बिहार के मधेपुरा जिले का आज स्थापना दिवस है

बिहार के मधेपुरा जिले का आज स्थापना दिवस है

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

1001467106
1001467106
previous arrow
next arrow
1001467106
1001467106
previous arrow
next arrow


मधेपुरा जिला का सृजन 9 मई 1981 को  हुआ था। सहरसा जिले के सात प्रखंड काटकर क्रमश: मधेपुरा, सिहेश्वर, कुमारखंड, मुरलीगंज, उदाकिशुनगंज, आलमनगर एवं चौसा को मिलाकर मधेपुरा जिले का सृजन किया गया था। बाद में इन्हीं प्रखंडों को काट-काट कर छह और नये प्रखंड क्रमश: घैलाढ़, गम्हरिया, शंकरपुर, बिहारीगंज, ग्वालपाड़ा और पुरैनी बनाये गये।वर्ष 2007 से जिला स्थापना दिवस मनाई जा रही है।

बिहार के तत्कालीन सीएम जगन्नाथ मिश्रा नौ मई 81 को मधेपुरा को जिला घोषित किया था।इसके लिए विभिन्न वर्गो के लोगों ने लगातार आंदोलन किया था। उसी का नतीजा है की मधेपुरा आज जिला के रूप में स्थापना दिवस मनाएगा। मधेपुरा के आधुनिक इतिहास की शुरुआत को हम 1793 के ईस्ट इंडिया कंपनी के उस आदेश को कह सकते हैं, जिसके तहत तिरहुत के कुछ गांव भागलपुर में शामिल कर दिया जाता है।

जिसमें मधेपुरा मुख्य है। पुनः प्रशासनिक दृष्टिकोण से आवश्यक समझते हुए तत्कालीन बंगाल प्रेसीडेंसी के भागलपुर जिले के इस उत्तरी भू-भाग को 3 सितम्बर 1845 को एक नए अनुमंडल का निर्माण कर जिसका मुख्यालय मधेपुरा रखा जाता है।मधेपुरा 1778 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है।कोसी के मुहाने पर अवस्थित यह जिला चारों ओर से छह जिलों से घिरा है।

वहीं नेपाल से नजदीक है।प्रथम जिला पदाधिकारी एसपी सेठ व प्रथम पुलिस अधीक्षक अभयानंद के नेतृत्व में नौ मई 1981 को सात प्रखंडों के साथ बिहार के नक्शे पर जिला बने मधेपुरा में वर्तमान में दो अनुमंडल, 13 प्रखंड व 13 ही अंचल भी हैं।20 लाख से ज्यादा की आबादी रखने वाले इस जिले की राजनीतिक, धार्मिक व ऐतिहासिक महत्व राष्ट्रीय स्तर की है। धर्म से सियासत तक पहचान- मधेपुरा क्षेत्र का संबंध रामायण व महाभारत काल के अतिरिक्त मौर्य, कुषाण वंश व मुगल काल में भी अति महत्वपूर्ण रहा है।

स्वतंत्रता आंदोलन में भी इस जिले की अमिट निशानी देखने को मिलती है।आजादी के बाद भी यह क्षेत्र विभिन्न स्तरों पर अपनी राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय पहचान को दर्शाता रहा है। स्थापना के मात्र चार दशक के सफर में इसकी उपलब्धि उच्च स्तरीय रही है।वहीं सफर के कई आयाम अभी और बांकी हैं। राजनीतिक आइने में रासबिहारी मंडल, भूपेंद्र नारायण मंडल, प्रथम कानून मंत्री बिहार शिव नंदन प्रसाद मंडल, पूर्व मुख्यमंत्री सह मंडल आयोग के अध्यक्ष बीपी मंडल आदि इसके चमचमाते सितारे रूपी वो नाम हैं, जिसकी चमक निरंतर बढ़ती जा रही है.

शिक्षा को दी प्राथमिकता- शिक्षा के माहौल बनाने में कोसी के शिक्षा दधीचि कहे जाने वाले कीर्ति नारायण मंडल का त्याग बेमिसाल है, जिसकी बदौलत इस जिले में एक विश्वविद्यालय व दर्जनों उच्च शिक्षण संस्थान हैं, जो जिले को शैक्षणिक व आर्थिक विकास को आधार देता है। कृषि के क्षेत्र में सिंहेश्वर का नारियल विकास बोर्ड की एक खास पहचान रही है।वहीं सिंहेश्वर स्थान इसके गौरवशाली अतीत को प्रमाणित करते हैं।

जिला बनने के बाद मधेपुरा तेजी से विकास के पथ पर अग्रसर है। एग्रीकल्चर, इंजीनियरिंग, लॉ व इवनिंग कॉलेज के साथ राष्ट्रीय फलक का हाल में जिले को समर्पित हुआ।मेडिकल कॉलेज शिक्षा के विभिन्न आयामों में समृद्धि दे रहा है।विश्व स्तरीय विद्युत रेलवे इंजन कारखाना से इस जिले को अंतर्राष्ट्रीय पहचान मिल रही है।विकास के पथ पर अग्रसर राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय छवि प्राप्त मधेपुरा के सामने कई प्रकार की चुनौतियां भी हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!