सीवान नगर का राजेन्द्र पथ : सीक चिकेन के धंधे से त्रस्त

सीवान नगर का राजेन्द्र पथ : सीक चिकेन के धंधे से त्रस्त

✍️ धनंजय मिश्र

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

पुलिस और प्रशासन. दोनों मूकदर्शक ! बिल्कुल बेखबर और मौन ! पर आमजन काफी परेशान  तन-मन की उनकी शुचिता बेशक हो रही तार-तार किन्तु, वे विवश और त्रस्त. विगत कुछ वर्षों से ही शुरू हुआ है.यह धंधा.सीवान शहर इसका रोज हो रहा साक्षी ! इस शहर का विशेषकर हृदय-स्थली ‘राजेन्द्र पथ’बिल्कुल विवश जिसके दोनों चौड़े किनारों पर ठेलों-खोंमचों की भरमार घोर अतिक्रमण के सबब वर्षों से सिसक रहा. यह मुख्य मार्ग . मगर, सर्वजन मूकदर्शक ! मजाल जो कोई राहगीर किसी तरह निकलने हेतु. उन ठेलों-खोंमचों को टस- से-मस करा दें! ऐसा कराने का कोई. कभी जुर्रत भी कर दे, फिर उसकी खैर कहां ! उसे बेआबरू कौन कहे. उसे पिटाई से भी बचना. एक चुनौती ही होगी !

प्रशासन के समक्ष आम जन-मन का यह यक्ष प्रश्न ? आखिर किसके दम-खम पर. ये ठेला-खोंमचे वाले ऐसी करते हैं. मनमानी और दादागिरी ? शहर के अन्य कुछ पथों की भांति अतिक्रमण से त्रस्त इस राजेन्द्र पथ पर अक्सर जाम से राहगीर. रेंगने को मजबूर लेकिन सिसकते इस मुख्य सड़क की, एक और है. विशेष गंभीर जन-समस्या जिससे आम और खास हर जन राहगीर बेहद हैं परेशान !.. और इस परेशानी का यह धंधा है. सीक चिकेन- मटन का ! इस पथ के दोनों किनारे बिल्कुल बेरोक-टोक, कुछ वर्षों से चल रहा है. बदबूदार एवं काला धुआंधार यह धंधा !मसलन, काले धुओं की भरमार का यह धंधा खुलेआम

इस पथ पर चल रहा है! लकड़ी-कोयले की धुआंधार आग. जिस पर पकते-जलते चिकेन- मटन के टुकड़े !.. और उस मांस के टुकड़ों के जलने के सबब . इस पथ पर उसके फैलते काले धुओं व बदबूदार हवाओं के बीच से गुजरना..! यहां पर राहगीरों की नियति-सी बन गई है ! वस्तुतः इस पथ पर चलना . अजीब-सा दूभर हो गया है! जिस धंधे के रोज और अक्सर उठते-फैलते काले धुओं एवं बदबूओं से बढ़ता प्रदूषण..! एक दीगर जन-स्वास्थ्य समस्या उत्पन्न कर रहा है!

जबकि दूसरी ओर. बहुतेरे आमजन राहगीर और लोग. अपनी धार्मिक आस्था और भावनाओं से रोज हो रहे हैं आहत !

वे आपस में बहुचर्चा तो करते हैं. मगर उनकी यह आवाज शासन-प्रशासन तक पहुंच नहीं पाती है! किन्तु रोज इस धंधे का यहां की पुलिस. सिर्फ बनी हुई है तमाशबीन !.. और अपने गृह-जिला मुख्यालय स्थित’सीवान नगर’ के मध्य अवस्थित. देशरत्न डा. राजेन्द्र प्रसाद की स्मृति के नाम पर. रोज यह मुख्य सड़क अपने इस हाल पर बेशक हो रही है शर्मशार !

इस सड़क के दोनों किनारों पर बड़े-बड़े ठेलों पर. सीक चिकेन-मटन बेचने का यह धंधा. आए दिन तेजी से बढ़ता जा रहा हैं.. ! जिसके पकाने हेतु. जलते लकड़ी- कोयले के काले फैलते धुओं और बदबूदार हवाओं के कारण. मंदिरों आदि में पूजा-पाठ हेतु जाने वाले भक्तगण और दूर-दराज आने-जाने वाले बहुतेरे यात्रीगण इससे हो रहे हैं बेहद परेशान.

वस्तुतः बदबूदार इस धंधे के करण. इस पथ से जाने वाले सज्जनों का भी. आना-जाना हो गया है बेहद दूभर लिहाजा इसके अगल-बगल ठेलों पर बिकते फलों को क्रय करने से भी आमजन अक्सर कतरा रहे हैं! विवश आमजन एवं खासजन की इस समस्या पर.अगर जिला प्रशासन शीघ्र ध्यान दें. तब कितना बेहतर होता! दरअसल यह धंधा. ‘स्वच्छ भारत अभियान’ पर भी कर रहा है . काफी कुठाराघात !

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