बस कुछ समय बाद पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागु होगा- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

बस कुछ समय बाद पूरे देश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागु होगा- उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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समान नागरिक संहिता यानी यूसीसी को लागू करने वाला उत्तराखंड देश का पहला राज्य हो गया है। उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने इस पर खुशी जताई है। उन्होंने कहा कि आज एक बहुत ही शुभ संकेत हुआ है। उन्होंने कहा कि ‘संविधान का अनुच्छेद 44 इस बात की इजाजत देता है कि समान नागरिक संहिता सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में लागू करने का प्रयास किया जाए। लेकिन ये काफी समय से रुका हुआ था।’

उत्तराखंड सरकार को सराहा

धनखड़ ने कहा कि हमारे जहन में राजनीति इस तरह घुस गई है कि उसके लिए राष्ट्रवाद को तिलांजलि देते भी पलक नहीं झपकती। उन्होंने कहा कि यह काम इसी वजह से अटका हुआ था। हमारे सामने कई चुनौतियां हैं। एक चुनौती ये है कि लाखों अवैध प्रवासी हमारी जमीन पर रह रहे हैं। ऐसे लोग कभी भी हमारे राष्ट्रवाद से नहीं जुड़ेंगे। अवैध प्रवासी लोकतंत्र के लिए खतरा हैं। मैं सरकार से अपेक्षा करता हूं कि वह इस पर गंभीरता से सोचे- जगदीप धनखड़

उपराष्ट्रपति ने कहा कि ‘देवभूमि उत्तराखंड ने समान नागरिक संहिता को वास्तविकता बना दिया है। मैं सरकार के दूरदर्शिता की सराहना करता हूं। ये केवल समय की बात है, जब पूरा देश भी इसी तरह के कानून को अपनाएगा।’

आलोचकों पर भड़के धनखड़

वाइस प्रेसिडेंट धनखड़ ने कहा कि मुझे समझ नहीं आता कि कोई यूनिफॉर्म सिविल कोड का विरोध कैसे कर सकता है। ऐसे लोगों को संविधान सभा की बहसों के बारे में पढ़ना चाहिए। पढ़िए कि कितनी बार सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि ‘कुछ लोग अज्ञानता के कारण यूनिफॉर्म सिविल कोड की आलोचना कर रहे हैं। हम उस चीज की आलोचना कैसे कर सकते हैं, जो भारतीय संविधान का मेंडेट है, हमारे संविधान निर्माताओं की तरफ से दिया गया आदेश है और जिससे लैंगिक समानता आएगी?’

भाजपा ने किया था वादा

यूनिफॉर्म सिविल कोड का वादा भारतीय जनता पार्टी ने 2024 के इलेक्शन मेनिफेस्टो में किया था। उत्तराखंड ने सबसे पहले इस दिशा में पहल की। दिसंबर में राज्यसभा में गृह मंत्री अमित शाह ने कहा था कि हर भाजपा शासित राज्य में यूसीसी लाया जाएगा। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश ने भी समान नागरिक संहिता की दिशा में कदम बढ़ाए हैं। हालांकि मु्स्लिम नेताओं का मानना है कि यूसीसी के कारण तलाक, उत्तराधिकारी और शादी से जुड़े इस्लामिक कानूनों को चुनौती मिलेगी।

 

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