सर्वसमाज की प्रगति ही ‘जन सुराज’ की मूल राजनीति

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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सर्व-समाज की प्रगति ही ‘जन सुराज’ की मूल राजनीति है ! अत: ‘जन सुराज’ विचार मंच के सभी श्रद्धेय अध्यक्षजनों से साग्रहपूर्ण आह्वान यह है कि हमें अपने आयोजित बैठकों के प्रस्तुतिकृत संभाषणों और संबोधनों में यह बात प्रकटीकृत व प्रदर्श कदापि न हो कि हम ‘सत्ता-सरकार’ का ‘नीति-नियंता’ बन गये हैं ! क्योंकि, हमारे ‘जन सुराज’ के प्रणेता श्रीयुत् प्रशांत किशोर जी के ‘श्रेष्ठ बिहार’ के ‘नव-निर्माण’ की सुविचार पूर्ण सुनीति को कमोवेश इससे आघात लग सकता है !

अब इस बात की ‘बानगी’ हम अपने कुछ अध्यक्षगण साथियों के आहुत बैठकों में प्रस्तुत संबोधनों के संदर्भित बयानों और बातों को उद्धृत कर लेते हैं..! गोया उन संबोधनों में यह बात प्रमुखता से प्रकटीकृत हो रही हैं कि प्राइवेट स्कूलोें पर तमाम ऐसे-वैसे प्रतिबंधों आदि को सरकार द्वारा शीघ्र लागू कर देना आवश्यक है!..आदि सरकारी नीतिगत विरोधी बातें!

पहली बात तो यह कि मौजूदा सरकार के हम ‘नीति-नियंता’ नहीं हैं ! दूजा, यह कि प्रबुद्धजनों के विरोधीपूर्ण बातों-बयानों के प्रस्तुतिकरण में भी प्रबुद्धता और विद्वतापूर्ण तथ्यगत बातों का पू्र्णत: समावेश अवश्य होना चाहिए! दरअसल, हम प्रबुद्धजनों के बातों-बयानों से कतई और कदापि ‘जन सुराज’ की नीतिगत नारा-‘ सही लोग , सही सोच , सामूहिक प्रयास’ की निरंतरता ,संलग्नता ,जन- व्यापकता, जन-जुड़ता..आदि का कतई और किसी प्रकार का ह्रास नहीं होना चाहिए!

क्योंंकि, ‘जन सुराज’ की राजनीति के निहितार्थ हमें प्रत्यक्षतः बयानबाजी नहीं करके ,अपितु ‘जन सुराज’ के ‘राजनय’ के संबल के निमित विज्ञतापूर्ण सार्थक-सकारात्मक व मर्यादापूर्ण बेहतरीन बयानबाजी करनी है..! अन्यथा, क्या हम निजी विद्यालयों का जोरदार विरोध जता-बताकर ‘जन सुराज’ के सामूहिक प्रयास में उन विद्यालयों और शिक्षकों की भागीदारी सुनिश्चित कर सकते हैं?

लिहाजा हम सबके समक्ष यह यक्ष-प्रश्न भी सदैव विद्यमान है ? सच बात तो यह है कि आगामी विधान सभा चुनाव में ‘जन सुराज’ सत्तासीन हुई तो उसकी सद्सोचपूर्ण मूल राजनीति ही है- संपूर्ण बिहार में और पूरे प्रदेश के सर्व-समाज की सदैव व निरंतर आवश्यक यथार्थपूर्ण एवं बेहतरीन प्रगतिशीलता के साथ ससमयानुसार विकासात्मक नव-निर्माण कार्यों को संपादित-निष्पादित कराना..! वस्तुत: जन सुराजी साथियों को ऐसी प्रासंगिक बातें हीं सदैव व्यक्त करना बेहतर होगा!

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