आप के दरकते किले पर भारी पड़ा भाजपा का चुनावीं मैनेजमेंट

आप के दरकते किले पर भारी पड़ा भाजपा का चुनावीं मैनेजमेंट

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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8 फरवरी को आखिरकार दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे आए और 27 साल बाद एक बार​ फिर दिल्ली में बीजेपी की सरकार बनने जा रही है। अरविंद केजरीवाल ने 2013 में एंटी करप्शन मूवमेंट चलाकर चुनाव जीता। लेकिन वक्त का पहिया ऐसा घूमा कि अरविंद केजरीवाल एंड पार्टी को करप्शन ही ले डूबा। सड़क पर आंदोलन करने वाले केजरीवाल को शराब घोटाले में जेल की हवा खानी पड़ी।
छोटी सी कार, स्वेटर और मफलर वाली इमेज से निकलकर करोड़ों का शीशमहल खड़ा करने तक केजरीवाल की बदलती छवि को बीजेपी ने जनता के सामने रख दिया।1. शराब घोटाले और करप्शन ने धूल में मिला दी ‘ईमानदार’ छवि

  • अरविंद केजरीवाल ने दिल्ली में शराब पॉलिसी लेकर आए और दिल्ली के युवाओं को साधने की कोशिश की। दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में विशेष आफर के साथ धड़ल्ले से शराब बिकने लगी। उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने आबकारी नीति पर सवाल उठाए और केंद्रीय एजेंसियों से इसकी जांच की डिमांड कर डाली।
  • तब केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो यानी सीबीआई ने भ्रष्टाचार और ईडी यानी प्रवर्तन निदेशालय मनी लॉन्ड्रिंग का अपराध दर्ज करलिया। 21 मार्च के दिन अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तार कर लिया गया।
  • केजरीवाल की गिरफ्तारी से दिल्ली वालों के दिल पर गहरी ठेस पहुंची। क्योंकि जिस केजरीवाल को ईमानदर छवि के रूप में दिल्ली ने पलकों पर बिठाया, वही करप्शन के केस में जेल चले गए।
  • अरविंद केजरीवाल 6 महीने से भी ज्यादा समय तक जेल में रहे। बीजेपी ने अरविंद केजरीवाल की ‘करप्ट’ छवि को पूरी ताकत से जनता के सामने रखा। इससे केजरीवाल और ‘आप’ की साख पर बुरी तरह ‘बट्टा’ लगा।

2. 10 साल तक किया राज, एंटी इनकंबेंसी रहा बड़ा फैक्टर

  • किसी भी नेता या पार्टी की कितनी भी चमत्कारिक छवि हो, कितना ही सुराज हो। जनता एक समय बाद बदलाव ही चाहती है। 10 साल के शासनकाल में तीन बार लगातार केजरीवाल को दिल्ली की ‘कुर्सी’ पर बिठाने के बाद अब जनता का मन-मानस भी बदलाव के मूड दिखा।
  • डबल इंजन की सरकार: दिल्ली की जनता ने 10 साल केजरीवाल के शासन के बाद यह समझ लिया कि जेल, करप्शन और पार्टी में भितरघात व लगातार ‘आप’ छोड़ते नेताओं की ‘रेलमपेल’ की बजाय दिल्ली में इस बीजेपी पर विश्वास करना ही ज्यादा उचित होगा। इस कारण बीजेपी के लिए जमकर वोट डाले और प्रचंड जीत दिला दी।

3. करोड़ों के शीशमहल ने तोड़ी केजरीवाल की मफलर वाली छवि

  • अरविंद केजरीवाल ने सड़क पर लड़ाई लड़ी, पानी की बौछारें सहन की और 2012 में एंटी करप्शन मूवमेंट में सरकार के भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाई। प्रतिसाद में जब केजरीवाल को दिल्ली की कुर्सी मिली तो वक्त के साथ उन्होंने अपनी छवि ही बदल डाली।
  • जो केजरीवाल मफलर, स्वेटर और सिर पर टोपी पहनकर खुद को कॉमन मैन बताते थे और कहते थे कि वे कभी सरकारी आवास और गाड़ी तक का उपयोग नहीं करेंगे। इन्हीं केजरीवाल पर सरकारी बंगले को शीशमहल बनाने का आरोप लगा। सरकारी आवास को चमकदार और आलीशान बनाने के लि 45 करोड़ रुपये के खर्च को बीजेपी ने सबके सामने उजागर कर दिया।
  • बीजेपी के हर नेता ने अपनी जनसभाओं में और मीडिया चर्चा में केजरीवाल की शीशमहल वाली छवि को ताकत के साथ रखा। इसका खासा प्रभाव दिल्ली की जनता पर पड़ा। ‘आप’ के लिए वोटिंग और नतीजों पर इसका विपरीत असर पड़ा।
  • केजरीवाल पर दिसंबर 2024 में आरोप लगा कि सरकारी बंगले में उन्होंने 1.9 करोड़ रुपए से मार्बल ग्रेनाइट, लाइटिंग और 35 लाख रुपए का जिम व स्पा बनवाया है। बीजेपी ने इसका वीडियो भी जारी किया था।
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