वसंत है रंग, रस, लय एवं ताल के भंगिमा का उत्सव

वसंत है रंग, रस, लय एवं ताल के भंगिमा का उत्सव

वसंत ऋतु अपना राग लेकर उपस्थित होती है और देती है संदेश समन्वय, समरसता एवं सुवास का

WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
01
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
01
previous arrow
next arrow

वसंत मन को आह्लादित करता है, प्रकृति में वाह्य एवं आंतरिक परिवर्तन की वाहक है वसंत है

✍️  राजेश पाण्डेय

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


समाज के प्रत्येक क्षण के परिवर्तनशील आयाम में सब कुछ चक्रीय गति में विद्यमान है। हमारी सनातन परंपरा के ऋतु भी चक्रीय गति के कारण आती है। अब वसंत आ गया है इसका अभिनंदन होना चाहिए। यह मात्र ऋतु नहीं बरन हमारे मन का वसंत है, जो अपने जीवन में समाहित नूतन की खोज करता है। हमारी प्रकृति यह है कि हम अपने को सदैव नूतन करते हैं। क्योंकि हम चाहते हैं कि परमपिता के सत्य को हम जान सजे, जिससे यह चराचर गतिमान है। इस सत्य के उद्घाटन हेतु हजारों मार्ग से यात्राएं संपन्न की जाती है।

एक मानव मन की भी यात्रा है जो वर्ष भर चलती रहती है, वह वसंत में प्रफुल्लित हो जाती है। क्योंकि वह ऋतु तब तक सफल नहीं होती, जब तक कि हम उसके साथ हृदय का एकात्मक बोध सुनिश्चित न कर लें। अर्थात यह हमारे जीवन का सत्य है जिसकी अनुभूति हमें चैतन्यता में प्रकट होती है।

वसंत हमारे फगुनहट की आहट है। वसंत पंचमी से ढोलक की थाप पर हम अपने कुल देवता, ग्राम देवता, नगर देवता, राष्ट्र देवता एवं विश्व बंधुता के लिए अपने नए अपने लय- ताल में सुमिरन करते है। इसमें रंग एवं पकवान की विशेष भूमिका होती है।


वसंत के आगमन से सरसों के फूलों, प्रातः बेला की सूरज की किरणें हमारे मन के तरंगों को झंकृत करती है। क्योंकि इस मौसम में राग एवं रंग की विशेष भूमिका होती है। बसंत की एक अलग ही सुवास है, जो उसे अन्य ऋतुओं से विशेष बनाती है। प्रकृति के सारे रंग को बसंत अपना सुवास देता है। वसंत का हमारे वाह्य एवं आंतरिक प्रकृति पर भी सघन प्रभाव पड़ता है।

प्रकृति में वाह्य प्रभाव के तौर पर पेड़ों में नई पत्तियां, मंझरिया आती है सरसों एवं अन्य पुष्प खिलकर अपने सुवास, पराग से बसंत का अभिनंदन करते हैं तो वही हम मनुष्य के आंतरिक मन में भी बसंत फूटता है जो राग-रंग से संबद्ध होकर हमें समाज हेतु कुछ नया करने की प्रेरणा दे जाता है। मन को सुर्ख, पीत, गुलाबी, श्वेत एवं धानि आदि रंगों से सराबोर करते हुए यह वसंत हमें एकरस नहीं बहुरस होने का संदेश देता है।


अंततः वसंत मन का उमंग है, तरंग है। जो हमारे से गीत बनकर, ताल एवं‌ लय बनकर विभिन्न रसों के माध्यम से हमें स्पंदित करता है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!