भू गर्भ जल में यूरेनियम की चुनौती का सामना सार्थक प्रयासों से होगा: डॉक्टर शाहनवाज आलम

भू गर्भ जल में यूरेनियम की चुनौती का सामना सार्थक प्रयासों से होगा: डॉक्टर शाहनवाज आलम

केंद्रीय भू गर्भ जल आयोग की रिपोर्ट, जिसमें जिले के भू गर्भ जल में यूरेनियम की मौजूदगी बताई गई है, पर विचार मंथन के लिए यूनिटी एंड पीस फाउंडेशन द्वारा विचार गोष्ठी का हुआ आयोजन

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श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

केंद्रीय भू गर्भ जल आयोग की हालिया रिपोर्ट ने सिवान में सनसनी फैला दी है। यह जानकारी मिलने के बाद कि सीवान के भू गर्भ जल में 30 पीपीबी से ज्यादा यूरेनियम मौजूद है, लोग इस मसले की गंभीरता को समझना चाह रहे हैं। इसी क्रम में शनिवार संध्या में चकिया मोड़ के पास स्थित सर सैय्यद रिफॉर्मेशन सेंटर पर यूनिटी एंड पीस फाउंडेशन और साइंटिफिक सोसाइटी, सीवान के संयुक्त तत्वावधान में एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया।

इस गोष्ठी में प्रोफेसर रवींद्र नाथ पाठक, डॉक्टर शाहनवाज आलम, प्रोफेसर(डॉक्टर) रुचिका जरयाल, डॉक्टर पंकज गुप्ता, डॉक्टर गणेश दत्त पाठक, एडवोकेट कबीर अहमद, रविश रोनाल्डो, अबरार अहमद, आतिफ, नेमत खान, साहिल मकसूद आदि ने अपने विचार रखे।

शिक्षाविद् डॉक्टर गणेश दत्त पाठक ने विषय प्रवेश कराते हुए कहा कि भू गर्भ जल में मौजूद यूरेनियम के समाधान के प्राकृतिक और तकनीकी उपायों की व्यवहार्यता का परीक्षण अनिवार्य है। रेन वाटर हार्वेस्टिंग, भू जल संरक्षण और प्रबंधन, फूड में कैल्शियम और मैग्नीशियम की उपलब्धता, इम्यून सिस्टम के मजबूती के उपायों पर भी ध्यान देना होगा।

यूनिटी एंड पीस फाउंडेशन के प्रेसिडेंट डॉक्टर शाहनवाज आलम ने कहा कि जब से केंद्रीय भू गर्भ जल आयोग की रिपोर्ट मीडिया में आई है। बहुत सारे लोगों ने फोन किया और मामले की गंभीरता को समझने का प्रयास किया।

निश्चित तौर पर सिवान के भू जल में यूरेनियम की मौजूदगी एक गंभीर मसला है। इसके स्वास्थ्य पर नकारात्मक दुष्प्रभाव की आशंकाएं हैं। लेकिन किसी को दहशत में आने की आवश्यकता नहीं है। इस चुनौती का मुकाबला करने के लिए बचाव के तमाम उपायों मसलन फिल्ट्रेशन और प्यूरीफिकेशन आदि की व्यवहार्यता का परीक्षण भी करना होगा। इस चुनौती का सामना करने में सरकार, आमजन, सामुदायिक संगठन आदि सभी की भूमिका है।

साइंटिफिक सोसाइटी के चेयरमैन प्रोफेसर रवींद्र नाथ पाठक ने कहा कि व्यक्ति को सिर्फ प्राकृतिक संसाधनों के दोहन पर ही ध्यान नहीं दिया जाना चाहिए। भू गर्भ जल स्तर के गिरने से भी इस तरह की चुनौतियां सामने आती है। डीएवी पीजी कॉलेज की प्रोफेसर रूचिका जरयाल ने कहा कि रासायनिक उर्वरकों के बेतहाशा इस्तेमाल के कारण वहां का भूगर्भ जल भी प्रदूषित हुआ। भू जल प्रबंधन पर विशेष बल देना होगा।

एडवोकेट कबीर अहमद ने कहा कि सरकार को स्वच्छ जल उपलब्ध कराने की व्यवस्थाओं को सहेजना चाहिए। समाजसेवी रविश रोनाल्डो ने बताया कि इस संदर्भ में जागरूकता के प्रसार का प्रयास बेहद जरूरी है।
अंत में इस बात पर सहमति बनी कि इस मसले पर जागरूकता के प्रसार पर ध्यान दिया जाय और सभी की भूमिकाओं को समझाया जाए। फाउंडेशन के नाजिर कलीम ने धन्यवाद ज्ञापन किया।

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