भारत के पास हथियार बेचकर कमाने का बड़ा अवसर,कैसे?

भारत के पास हथियार बेचकर कमाने का बड़ा अवसर,कैसे?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने आते ही दूनिया के कई देशों और संगठनों से बुराई मोल ले ली है। यूरोपीय देशों को साफ कह दिया है कि नाटो के लिए वे अपनी ओर से भी ज्यादा राशि दें। उधर, यूरोपीय देशों ने भी अमेरिका से उम्मीद छोड़ते हुए अपना रक्षा बजट बढ़ाने पर गंभीरता से कदम उठाना शुरू कर दिया है। ऐसे में भारत के लिए यूरोपीय बाजार में अपने रक्षा हथियार बेचकर मोटी कमाई करने का अच्छा मौका है। इस स्टोरी में आप पढ़ेंगे कि कैसे यूरोपीय बाजार भारत के लिए नई संभावना बन रहा है। यह भी जानेंगे कि भारत ने एक दशक में अब तक कितने हथियार बेचे हैं। साथ ही यह भी जानेंगे कि ट्रंप ने किन राष्ट्राध्यक्षों से बहसबाजी करके नई डिप्लोमेसी को जन्म दिया है।
ट्रंप के ‘अड़ियल’ रवैये के कारण यूरोपीय देशों की अमेरिका से दूरियां बढ़ती दिखाई देने लगी हैं। रूस यूक्रेन के बीच जंग और हाल ही में जेलेंस्की को धमकाने वाले ट्रंप के रवैये के कारण कई यूरोपीय देश अमेरिका से नाराज हैं। इस मतभेद का कारोबारी फायदा भारत उठा सकता है।

ये कैसी डिप्लोमेसी? आते ही ट्रंप के अड़ियल रवैये से दुनिया परेशान

  • ट्रंप जब से राष्ट्रपति बने हैं, उन्होंने कई देशों के राष्ट्राध्यक्षों और देशों को धमकियां दी हैं। ट्रंप और जेलेंस्की में हुई बहस को दुनिया ने देखा। ट्रंप ने जेलेंस्की से दो टूक कहा कि हमारी सहायता के बिना आप रूस से एक सप्ताह भी नहीं लड़ सकते। ट्रंप ने अब यूक्रेन को सैन्य सहायता भी रोक दी है।
  • फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल मैक्रोन ट्रंप से मिलने 24 फरवरी को अमेरिका गए, तब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान दोनों उलझ गए। जब ट्रंप ने दावा किया कि हमने यूक्रेन को सबसे ज्यादा धन का सहयोग किया है। तब ट्रंप का हाथ पकड़कर रोकते हुए मैक्रोन ने कहा था​ ‘गलत, यूरोप ने जंग में हुए खर्च का 60 फीसदी पैसा यूक्रेन को दिया है।’
  • जॉर्डन के किंग अब्दुल्लाह व्हाइट हाउस पहुंचे थे। तब प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान ट्रंप ने धमकी दे डाली थी कि यदि वे फिलिस्तीनियों को गाजा के अलावा किसी और सुरक्षित जगह पर बसाने की उनकी योजना में सहयोग नहीं करेंगे तो सहायता रोक दी जाएगी।
  • अपनी मुद्रा शुरू करने और डॉलर में व्यापार करने की ब्रिक्स संगठन की मंशा पर भी ट्रंप ने धमकी दे डाली। ब्रिक्स संगठन के देशों में जिसमें चीन और भारत भी शामिल हैं।
  • ब्रिटिश पीएम कीर स्टार्मर जब व्हाइट हाउस में ट्रंप से मिलने गए तो ट्रंप ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान स्टार्मर से पूछ लिया- क्या आप अकेले रूस का मुकाबला कर पाएंगे? इस पर सभी सकते में आ गए।

यूरोपीय देशों के लिए भारत बन सकता है हथियारों का बड़ा सप्लायर

  • दरअसल, अमेरिका और यूरोपीय देशों के सैन्य संगठन ‘नाटो’ के कारण यूरोपीय देश ‘सेफ’ रहते हैं। इस संगठन पर अमेरिका सबसे ज्यादा खर्च करता है। यह बात ट्रंप को रास नहीं आ रही है। ऐसे में ट्रंप ने इस संगठन से हाथ खींचे तो यूरोपीय देशों को अपना डिफेंस खुद ही करना पड़ेगा। इसके लिए उन्हें रक्षा बजट बढ़ाना पड़ेगा। भारत तेजी से हथियारों का बड़ा सप्लायर बनकर उभर रहा है।
  • हाल के समय में भारत ने अपना डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ाया है। ऐसे में यूरोपीय देश कम कीमत में यदि हथियार खरीदना चाहें तो भारत सबसे एक बड़ा सप्लायर बन सकता है, जो हथियार बेचकर मोटी कमाई कर सकता है। भारत तेजी से अपनी डिफेंस मैन्यूफैक्चरिंग और डिफेंस एक्सपोर्ट बढ़ा रहा है।

ब्रिटेन बढ़ा रहा रक्षा बजट

ब्रिटिश पीएम स्टार्मर पहले ही कह चुके हैं कि ब्रिटेन अपना रक्षा बजट बढ़ाएगा। यह डिफेंस बजट यूके की जीडीपी का 2.5 फीसदी होगा। ट्रंप ने जनवरी में कहा था कि नाटो देश अपने डिफेंस बजट पर कुल जीडीपी का 5 फीसदी तक खर्च करें।

अमेरिका पर यूरोप का कम हुआ भरोसा

भारत किस तरह बन रहा हथियारों का बड़ा सप्लायर?

  • 10 साल यानी एक दशक में भारत ने हथियार और रक्षा उत्पादों को बेचने में 10 गुना बढ़ोतरी की है। रक्षा मंत्रालय के अनुसार 10 साल पहले यानी वित्त वर्ष 2014-15 में भारत 1941 करोड़ रुपये की धनराशि के हथियार और रक्षा उत्पाद दुनिया के देशों को बेचता था।
  • डिफेंस एक्सपोर्ट में भारत ने एक दशक के हिसाब से देखा जाए तो 21 गुना बढ़ोतरी दर्ज की है। 2004-14 के दशक में भारत ने 4312 करोड़ के हथियार और रक्षा उपकरण बेचे थे।
  • 2014-24 यानी इस दशक में भारत ने 88,319 करोड़ रुपये के हथियार और रक्षा उपकरण दुनिया को बेचे। इस तरह दो दशकों में रक्षा निर्यात में 21 गुना बढ़ोतरी हो गई।
  • साल 2023-24 में भारत ने स्वदेश में 1.27 लाख करोड़ का रक्षा उत्पादन कर नया मुकाम हासिल किया। एक दशक पहले यानी 2014-15 के 46,429 करोड़ रुपये का रक्षा उत्पादन किया था। इस तरह भारत ने रक्षा उत्पादन में करीब 174 फीसदी की बढ़ोतरी हासिल कर ली।
  • भारत आने वाले 4-5 साल में यानी 2030 तक अपने रक्षा उत्पादन को 3 लाख करोड़ तक पहुंचाने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है। रक्षा उत्पादन में जितनी तेजी आएगी, दुनिया के देशों को रक्षा उत्पादन बेचने में भी उतनी ही तेजी आएगी। साल 2022-23 की तुलना में रक्षा निर्यात में 32.5 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई।

भारतीय तोपों की बढ़ेगी डिमांड

2024 में भारत में रक्षा उत्पाद से जुड़ी कई कंपनियों ने इंटरेस्ट दिखाया है और गोला बारूद निर्माण के लिए प्लांट लगाने पर इनवेस्टमेंट किया है। देश में ऐसे करीब 7 प्लांट लगाए जा रहे हैं। इनमें 155 मि​मी के तोपखाने भी शामिल हैं। ऐसी तोपों की दुनियाभर में काफी मांग है। अब यूरोपीय देश भी डिफेंस बजट बढ़ा रहे हैं। ऐसे में भारतीय हथियारों की डिमांड भी बढ़ने की उम्मीद है।
विदेश और रक्षा मामलों के विशेषज्ञ राशिद किदवई कहते हैं

निश्चित रूप से भारत यूरोपीय देशों को ​रक्षा उपकरणों का निर्यात कर सकता है। हालांकि इसके लिए भारत को स्वेदश में निर्मित हथियारों व अन्य रक्षा उत्पादों की गुणवत्ता को भी बढ़ाना होगा। यूरोप के मानकों के अनुरूप रक्षा उत्पादन बनेंगे तो यूरोप के रक्षा बाजार में भारत के लिए अच्छी संभावनाएं बनी रहेंगी।

किन रक्षा उपकरणों को बेचने से कमाएगा भारत?

  • भारत वैसे तो ब्रह्मोस जैसी मिसाइलें व तोप बेचेगा ही। इसके साथ ही निर्यात के लिए जो पोर्टफोलियो बनाया है। उसके हिसाब से बुलेटप्रूफ जैकेट, डोर्नियर (डीओ-228) विमान, इंटरसेप्टर बोट्स, हल्के रक्षा उपकरण और चैतक हेलिकॉप्टर शामिल हैं।
  • रूस और यूक्रेन की जंग के बीच रूसी सेना को भारत ने बिहार में बने स्पेशल बूट निर्यात किए, जो एक अहम उपलब्धि थी। इन मेड इन बिहार बूटों ने रक्षा बाजार में भारत की मैन्यूफैक्चरिंग के मापदंडों को उजागर किया।

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