श्रीलंका से मिला ‘मित्र विभूषण’ पुरस्कार,क्यों खास है ?

श्रीलंका से मिला ‘मित्र विभूषण’ पुरस्कार,क्यों खास है ?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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भारत और श्रीलंका के बीच गहरे सांस्कृतिक और धार्मिक संबंधों को मजबूत करने के प्रतीक के रूप में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने ‘मित्र विभूषण’ पुरस्कार से सम्मानित किया।
क्या है मित्र विभूषण पुरस्कार?

  • “मित्र विभूषण पुरस्कार” श्रीलंका का एक सम्मान है, जो मित्र राष्ट्रों के प्रति असाधारण योगदान और मैत्रीपूर्ण संबंधों को बढ़ावा देने के लिए दिया जाता है।
  • इस सम्मान की शुरुआत फरवरी 2008 में राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने की थी।
  • सम्मान पाने वाले को एक प्रशस्ति पत्र और एक रजत पदक दिया जाता है, जिसे गले में पहना जाता है।
  • पदक को कमल, ग्लोब, सूर्य, चंद्रमा और चावल के ढेर के प्रतीकों के साथ नौ प्रकार के श्रीलंकाई रत्नों (नवरत्नों) से जड़ा और सजाया जाता है।

यह पुरस्कार भारत और श्रीलंका दोनों देशों के बीच दोस्ती और सहयोग के मजबूत रिश्ते को दर्शाता है। इस सम्मान समारोह के दौरान कई महत्वपूर्ण सांस्कृतिक प्रतीकों का उल्लेख किया गया, जो दोनों देशों के बीच प्राचीन संबंधों को चित्रित करते हैं।

धर्म चक्र: साझा बौद्ध धरोहर का प्रतीक

‘धर्म चक्र’ यह एक महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो भारत और श्रीलंका की साझा बौद्ध धरोहर को दर्शाता है। यह चक्र दोनों देशों के सांस्कृतिक परंपराओं को एक साथ जोड़ने का प्रतीक है, जो बौद्ध धर्म की गहरी जड़ों से जुड़ा हुआ है। यह धर्म चक्र शांति, समृद्धि और मानवता के मार्ग पर चलने का संदेश देता है।

पुन कलसा: समृद्धि और नवीनीकरण का प्रतीक
‘पुन कलसा’ (एक धार्मिक कलश) जो चावल की बालियों से सुसज्जित है, समृद्धि और नवीनीकरण का प्रतीक है। यह श्रीलंका और भारत के बीच वैभव और विकास की निरंतरता को दर्शाता है। यह दोनों देशों के बीच सांस्कृतिक और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने की दिशा में एक नई शुरुआत का प्रतीक है।

नवरत्न: मित्रता की गहरी और स्थायी बंधन
‘नवरत्न’ (नौ कीमती रत्न) यह एक अन्य महत्वपूर्ण प्रतीक है, जो भारत और श्रीलंका के बीच स्थायी मित्रता को दर्शाता है। यह नौ रत्न एक ग्लोब के चारों ओर स्थित हैं, जो दोनों देशों के रिश्ते को वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण और मूल्यवान बताते हैं। इन रत्नों के चारों ओर कमल के शुद्ध पंखुड़ियों की माला इस रिश्ते की शुद्धता और स्थिरता का प्रतीक है।
सूर्य और चंद्रमा: अतीत से भविष्य तक की अनंत मित्रता
अंत में, ‘सूर्य और चंद्रमा’ का प्रतीक दोनों देशों के बीच अतीत से लेकर भविष्य तक के संबंधों को निरंतरता और अटूटता के रूप में प्रस्तुत करता है। सूर्य और चंद्रमा यह दर्शाते हैं कि भारत और श्रीलंका का बंधन समय की सीमा से परे है और भविष्य में भी यह मित्रता और सहयोग मजबूत रहेगा। 


यह पुरस्कार और इन प्रतीकों के माध्यम से, भारत और श्रीलंका के बीच सांस्कृतिक, धार्मिक और ऐतिहासिक संबंधों को एक नई दिशा मिली है। यह सम्मान न केवल दो देशों के बीच रिश्तों को मजबूत करता है, बल्कि पूरी दुनिया को यह संदेश भी देता है कि दोनों देशों की दोस्ती अनमोल और अडिग है।

2019 के बाद पहली बार तीन दिवसीय यात्रा पर श्रीलंका पहुंचे पीएम मोदी का गर्मजोशी से स्वागत किया गया। श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने पीएम मोदी को सर्वोच्च गैर-नागरिक सम्मान श्रीलंका मित्र विभूषण से सम्मानित किया। इस पर पीएम मोदी ने कहा कि यह 140 करोड़ भारतीयों का सम्मान है।पीएम मोदी ने श्रीलंका के राष्ट्रपति, सरकार और वहां के लोगों को धन्यवाद किया।

क्या है श्रीलंका मित्र विभूषण सम्मान?

श्रीलंका मित्र विभूषण वहां का सर्वोच्च गैर-नागरिक सम्मान है। यह सम्मान विदेशी हस्तियों को दिया जाता है। श्रीलंका की सरकार इन पुरस्कारों को उन राष्ट्राध्यक्षों को देती है, जिनके श्रीलंका के साथ संबंध दोस्ताना होते हैं। पुरस्कार में एक रजत पदक और प्रशस्ति पत्र दिया जाता है।
पदक को श्रीलंका के नवरत्नों से सजाया जाता है। इसमें चंद्रमा, सूर्य, पृथ्वी और कमल की पंखुड़िया बनी हैं। मेडल पर “पुन कलसा” बना होता है। यह चावल से भरा एक बर्तन होता है। इसे समृद्धि और नवीनीकरण का प्रतीक माना जाता है। पदक पर बने सूर्य और चंद्रमा भारत और श्रीलंका के बीच संबंधों की शाश्वत प्रकृति को दर्शाते हैं। साल 2008 में श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे ने इस सम्मान की शुरुआत की थी।

 

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