फाइलेरिया बीमारी ने सुभाष के सपनों और उम्मीदों का कुचला, फिर भी नहीं टूटी हौसला

फाइलेरिया बीमारी ने सुभाष के सपनों और उम्मीदों का कुचला, फिर भी नहीं टूटी हौसला

• जिस पैर को काटने की नौबत थी, वही बना आज़ादी की राह
• एक ट्राइसाइकिल से सपनों की भरेंगे उड़ान
• अंधविश्वास की जंजीरों को तोड़ते हुए, दर्द के पार मिली जिंदगी

1001467106
1001467106
previous arrow
next arrow
1001467106
1001467106
previous arrow
next arrow

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर/छपरा (बिहार):


सारण जिले के रिविलगंज प्रखंड के एक साधारण से गांव में जन्मे सुभाष चौधरी की जिंदगी कभी किसी भी आम युवा से अलग नहीं थी। सपने थे, जज्बा था और जीवन को बेहतर बनाने का हौसला भी। पर 18 साल की उम्र में उनकी किस्मत ने ऐसी करवट ली कि सब कुछ बदल गया। एक दिन मोटरसाइकिल सीखते वक्त सुभाष गिर पड़े। परिवार ने सोचा मामूली चोट है। लेकिन मौसम बदलते ही उनका पैर फूलने लगा। माँ ने नजर दोष माना, पत्नी ने भी टोटके करवाए। गांव के लोग झाड़-फूंक में विश्वास दिलाते रहे। सुभाष भी चुपचाप दर्द सहते रहे, उम्मीद करते रहे कि शायद सब कुछ फिर से ठीक हो जाएगा। पर बीमारी ने उनकी उम्मीदों को कुचल दिया। साल दर साल उनका दर्द बढ़ता गया। पैर फूलता रहा, सूजन स्थायी बन गई।तब उन्हें पता चला कि यह एक गंभीर बीमारी है, जो हाथीपांव के नाम से जाना जाता है। हाथीपांव एक बार हो जाने के बाद दूबारा कभी ठीक नहीं हो सकता है। जीने की जिद भी धीरे-धीरे टूटने लगी थी।

जब हर रास्ता बंद था, तब आशा बनी सहारा:
इन्हीं अंधेरे दिनों में, वार्ड 5 की आशा कार्यकर्ता ने उन्हें ढूँढ़ निकाला। प्यार भरे शब्दों में समझाया —”सुभाष भैया, इलाज कराइए, सब ठीक हो सकता है।” उनकी बातों में अजीब सी सच्चाई थी, एक भरोसा। सुभाष पहली बार स्वास्थ्य केंद्र रिविलगंज पहुँचे। वहाँ प्रभारी चिकित्सक डॉ. राकेश कुमार ने न केवल उनका इलाज शुरू किया, बल्कि भरोसे की डोर भी थाम ली। एमएमडीपी किट, नियमित दवाइयाँ और डॉक्टरों की मेहनत से धीरे-धीरे घाव भरने लगे।

रोजगार की तलाश में पलायन, बीमारी बनी गंभीर
पर किस्मत ने फिर से परीक्षा ली। रोजगार की तलाश में सुभाष को राज्य से बाहर जाना पड़ा, और इस बार बीमारी ने फिर से पैर पकड़ लिया। जब लौटे तो उनका फाइलेरिया छठे स्टेज तक पहुँच चुका था — पैर में गहरे जख्म, टपकता हुआ पानी, और टूटती हुई उम्मीदें। यह वह मोड़ था जब डॉक्टरों ने सलाह दी “पैर काटवाना ही एकमात्र रास्ता है।” सुभाष के लिए यह शब्द मौत से कम नहीं थे। लेकिन डॉ. राकेश और टीम ने हार नहीं मानी। उन्होंने कहा “हम तुम्हारा पैर बचाएंगे। बस हमें भरोसा दो।” सुभाष ने भी भीतर कहीं छिपी ताकत को फिर से आवाज दी। नियमित देखभाल, एमएमडीपी किट का इस्तेमाल और परिवार के नए विश्वास के सहारे धीरे-धीरे उनके जख्म भरने लगे।

ट्राइसाइकिल पर बैठते ही सुभाष की आँखों से आंसू बह निकले:
फिर एक दिन वह भी आया जब उन्हें विकलांगता प्रमाण पत्र मिला। जब ट्राइसाइकिल के लिए आवेदन की बारी आई, तो दस्तावेजों की कमी ने राह रोकी। लेकिन इस बार सुभाष अकेले नहीं थे, उनके साथ मुखिया रेखा मिश्रा, उपमुखिया रणजीत मिश्रा, वार्ड सदस्य भोला कुमार और सीएचओ गिता त्रिपाठी, पेशेंट स्टेक होल्डर के सदस्यों ने सहयोग किया। रिविलगंज प्रखंड के भादपा में आयुष्मान आरोग्य मंदिर पर पेशेंट स्टेक होल्डर प्लेटफार्म का गठन किया गया। सीफार संस्था के तकनीकि सहयोग से प्लेटफार्म का गठन किया गया है। सदस्यों ने सुभाष को काफी सहयोग किया और कई चक्कर, कागजी दौड़भाग के बाद, आखिरकार वह दिन आया जब बुनियादी केंद्र सारण में, नीलू कुमारी (डीपीएम) के हाथों उन्हें ट्राइसाइकिल सौंपी गई। ट्राइसाइकिल पर बैठते ही सुभाष की आँखों से आंसू बह निकले। लेकिन यह हार के नहीं, जीत के आंसू थे।

अब मैं किसी पर बोझ नहीं हूं:
कांपती आवाज में उन्होंने कहा “अब मैं अपने हर सपने को खुद पूरा करूंगा। अब मैं किसी पर बोझ नहीं हूं।” नीलू कुमारी मुस्कुराईं और बोलीं “यह केवल सुभाष जी की नहीं, हम सबकी जीत है।” सुभाष चौधरी की कहानी हमें बताती है जब उम्मीद टूटने लगे, तब भी कहीं न कहीं कोई एक हाथ, कोई एक मुस्कान, कोई एक भरोसा , पूरी जिंदगी बदल सकता है।

 

 

यह भी पढ़े

मशरक की खबरें :  रूद्र महायज्ञ के समापन में शामिल हुए  सांसद, विधायक 

आरपीएफ के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त ने मशरक जंक्शन का किया निरीक्षण

 देश का नमक खाकर कर रहा था गद्दारी

सीवान की खबरें :  भगवान परशुराम का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया

बुजुर्गों को 10 लाख का फ्री इलाज,आयुष्मान भारत वय वंदना योजना का हुआ शुभारंभ

खबरें जरा हट के  : दूल्‍हें संग भाग गई  सास  

बांका पुलिस ने किया कमाल! महज 8 घंटे में अपहृत युवक को किया बरामद

पासपोर्ट से गिरफ्तार हुआ  4.84 करोड़ के साइबर ठग

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!