स्तुति-निंदा से अप्रभावित सहज रहें : समर्थगुरू सिद्धार्थ औलिया

स्तुति-निंदा से अप्रभावित सहज रहें : समर्थगुरू सिद्धार्थ औलिया

श्रीनारद मीडिया, वैद्य पण्डित प्रमोद कौशिक, हरियाणा

1001467106
1001467106
previous arrow
next arrow
1001467106
1001467106
previous arrow
next arrow

श्री दुर्गा देवी मन्दिर, पिपली, कुरुक्षेत्र के पीठाधीश और समर्थगुरु धाम हिमाचल के जोनल कोऑर्डिनेटर आचार्य डॉ. सुरेश मिश्रा ने केंद्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली के सेवानिवृति कार्यक्रम होटल हेमकुंठ , गड़खल में सहायक प्रावैधिक अधिकारी श्री कुन्दन सैन नेगी और उनकी धर्मपत्नी श्रीमती लाजवन्ती नेगी को आदरणीय समर्थगुरु द्वारा रचित सन्तमत धारा पत्रिका भेंट की गई और समर्थगुरु धाम, मुरथल, हरियाणा के ध्यान योग और प्रज्ञा कार्यक्रम की विशेष जानकारी प्रदान की और समर्थगुरु धाम मुरथल हरियाणा में ध्यान योग कार्यक्रम परिवार सहित करने का विशेष निमंत्रण दिया ।

समर्थगुरु धाम के विमेन एंपावरमेंट हिमाचल के कोऑर्डिनेटर डॉ. अनिता मिश्रा ने केंद्रीय अनुसंधान संस्थान कसौली के सेवानिवृत्ति कर्मचारी सत्या देवी धर्मपत्नी किशन लाल को समर्थगुरु धाम की प्रकाशित पत्रिका संतमतधारा पत्रिका भेंट की।

इस अवसर पर स्वामी ध्यान मृदुल और मां संतोष ने भी सभी परिवार को हार्दिक शुभ कामनाएं प्रदान की और समर्थगुरु धाम के ध्यान योग कार्यक्रम की विशेष जानकारी दी।

ट्विटर के माध्यम से समर्थगुरु धाम मुरथल, हरियाणा के मुख्य संस्थापक आदरणीय समर्थगुरु सिद्धार्थ औलिया ने बताया कि स्तुति-निंदा से अप्रभावित सहज रहें। दूसरे के कृत्य अथवा निंदा-आलोचना की चिंता न कर वर्तमान परिस्थिति में हम क्या कर सकते हैं, यही हमारे चिंतन का विषय होना चाहिए।

जो परमात्मा की यात्रा है, वह ओंकार से शुरू होती है। जैसे कोई माली चंपा का पौधा रोंपता है, ऐसे ही सद्गुरु ओंकार का पौधा हमारे हृदय मे लगाता है। जब तक मुद्दा पकड़ में नहीं आता, तब तक परमात्मा को तुम नहीं खोज सकते और वह मुद्दा ओंकार है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!