सरकार की नीति नफरत की है इसलिए ऐसा हुआ है- मौलाना अरशद मदनी

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

जमीयत उलेमा-ए-हिंद के प्रमुख मौलाना अरशद मदनी ने पहलगाम में सैलानियों को मजहब पूछकर मारने वाले आतंकवादियों को जाहिल बताया। रविवार को उन्होंने कहा कि इस्लाम किसी भी बेगुनाह के कत्ल की इजाजत नहीं देता है और इस हमले की आड़ में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाना भी गलत है। मौलाना मदनी ने कहा कि पहलगाम हमले के बाद कश्मीर में जिन लोगों के घर ढहाए गए हैं और सरकार को अगर 100 फीसदी यकीन है कि वे इसमें शामिल थे, तो यह कार्रवाई बिल्कुल ठीक है। पाकिस्तान का नाम लिए बिना उन्होंने यह भी कहा कि भविष्य में ऐसे किसी आतंकी हमले को रोकने के लिए सरकार को इसके स्रोत को बंद करना होगा।

जमीयत की दो दिवसीय कार्य समिति की बैठक के बाद पत्रकारों से बातचीत में मदनी ने कहा, ‘पहलगाम में हमला करने वाले आतंकवादी इस्लाम के बारे में कुछ नहीं जानते और वे जाहिल हैं क्योंकि इस्लाम बेगुनाह के कत्ल की इजाजत नहीं देता।’ मदनी ने सुरक्षा चूक के सवाल पर कहा कि सरकार इसकी जांच कराए कि सीमा के भीतर इतना बड़ा हमला कैसे हो गया। उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा कि सरकार को आतंकवाद के उस स्रोत को रोकना चाहिए जहां से यह हो रहा है। पहलगाम हमले के बाद देश के अलग-अलग हिस्सों में मुस्लिमों और कश्मीरी लोगों को निशाना बनाने की घटनाओं पर उन्होंने तीखी प्रतिक्रिया दी।

अरशद मदनी ने बताई अपनी चाहत

मौलाना अरशद मदनी ने आरोप लगाया, ‘यह सरकार की नीति है नफरत की, इसलिए वो ये कर रहे हैं। वरना ये नहीं होना चाहिए। अपने मुल्क में शांति कायम रखना चाहिए। जो लोग ऐसा कर रह रहे हैं वो लोग मुजरिम हैं।’ पहलगाम हमले के संदर्भ में उन्होंने कहा कि दोषियों को दी जाने वाली किसी भी सजा का वह समर्थन करेंगे लेकिन निर्दोष लोगों को निशाना बनाना सही नहीं है। हमले में पाकिस्तान की संलिप्तता संबंधी एक सवाल के जवाब में मदनी ने कहा कि किसी पर जुल्म के लिए अपनी जमीन, हथियारों और लोगों का इस्तेमाल किए जाने की वह निंदा करते हैं- फिर चाहे पाकिस्तान हो, अमेरिका, चीन या हिंदुस्तान ही क्यों न हो। जम्मू कश्मीर के पहलगाम में आतंकवादियों ने 22 अप्रैल को 26 लोगों की हत्या कर दी थी जिनमें ज्यादातर सैलानी थे।

वक्फ पर मौलाना ने क्या कहा

अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों के खिलाफ की जा रही कार्रवाई को अरशद मदनी ने सही ठहराया, लेकिन साथ ही कहा कि इसकी आड़ में बांग्ला भाषी पश्चिम बंगाल, असम और त्रिपुरा के लोगों को परेशान नहीं किया जाना चाहिए। पाकिस्तान के साथ युद्ध के सवाल पर उन्होंने कहा कि जंग अच्छी चीज नहीं होती है और इसके आर्थिक दुष्प्रभाव भी होंगे। वक्फ संशोधन कानून के संबंध में उन्होंने फिर दोहराया कि यह संपत्तियों को हड़पने के लिए लाया गया है। इससे वक्फ संपत्तियों का बचाव नहीं होगा, बल्कि उन्हें छीना जाएगा।

सिंधु जल संधि को स्थगित करने पर सरकार के फैसले के बारे में जमीयत उलमा-ए-हिंद के अध्यक्ष ने कहा, ‘अगर कोई पानी रोक सको, तो रोक ले। ये नदियां हजारों वर्षों से बह रही हैं। आप उनके पानी को कहां ले जाएंगे? यह आसान नहीं है। मेरा मानना है कि प्यार की हुकूमत का होना चाहिए, नफरत की नहीं। मैं एक मुस्लिम हूं। मैं इस देश में अपनी जिंदगी बिता रहा हूं और मैं जानता हूं कि यहां जो चीजें बढ़ावा दी जा रही हैं, वे देश के लिए उपयुक्त नहीं हैं।’ उन्होंने कहा कि अगर नफरत का दरवाजा ऐसे ही खुला रहा तो हिंदू और मुसलमान दोनों के लिए सांस लेना मुश्किल हो जाएगा।

बयान वापस लेने की उठी मांग

दूसरी ओर, ऑल इंडिया इमाम एसोसिएशन (AIIA) के अध्यक्ष मौलाना साजिद रशीदी ने अरशद मदनी के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, ‘अगर अरशद मदनी को पाकिस्तान से इतना प्यार है, तो वह भारत में क्या कर रहे हैं? उन्हें पाकिस्तान चले जाना चाहिए। ऐसी स्थिति में, जहां युद्ध जैसी परिस्थिति है, ऐसे बयान दुश्मन को मजबूत करते हैं।’

उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने जो किया और जो वह हमारे साथ करता रहा है, सरकार ने जो कदम उठाए हैं, वे कम हैं। अगर हमने पानी रोक दिया तो इसमें क्या अपराध होगा? अगर पाकिस्तान हमारे लोगों को मारता है, तो हम उनका पानी क्यों नहीं रोक सकते? मैं भी एक मुस्लिम हूं, लेकिन कौन सा मुस्लिम ऐसी बात के लिए खड़ा होगा जो कुरान के खिलाफ हो? मैं इस बयान की निंदा करता हूं और उम्मीद करता हूं कि वह अपने बयान को वापस लेंगे।

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