ट्रंप क्यों फूफा बनना चाहते हैं?

ट्रंप क्यों फूफा बनना चाहते हैं?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर के बाद ‘क्रेडिट-जीवी’ चीन और अमेरिका अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। ऐसा लग रहा है जैसे भारत और पाकिस्तान के बाद एक संघर्ष इन दोनों देशों के बीच क्रेडिट को लेकर शुरू हो गया है। खुद को दुनिया का मसीहा समझने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पहले ये साबित करने की कोशिश की कि भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर उनकी मध्यस्थता का नतीजा है। वहीं इससे दो कदम आगे निकलकर चीन ने यहां तक कह दिया कि वह क्षेत्र को शांतिपूर्ण और स्थिर बनाए रखने का प्रयास जारी रखेगा।

पाकिस्तान से नाराज है चीन

भारत ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि पाकिस्तान के डीजीएमओ ने फोन कर सीजफायर की गुजारिश की थी। दरअसल चर्चा है कि चीन इस बात को लेकर पाकिस्तान से नाराज है कि बीजिंग फोन मिलाने की बजाय अमेरिका की मदद क्यों ली। ये सच है कि भारत और अमेरिका के बीच पाकिस्तान से तनाव के दौरान कई बार बातचीत हुई थी, जिसमें भारत ने ये स्पष्ट कर दिया था कि वह पाकिस्तान पर जवाबी कार्रवाई कर रहा है। जब भारत-पाकिस्तान के बीच सीजफायर पर सहमति बनी, तो डोनाल्ड ट्रंप ने क्रेडिट लेने की कोशिश में पहले ही सोशल मीडिया पर पोस्ट कर जानकारी दे दी।

अमेरिका और चीन में प्रतिस्पर्धा

  • चीन ने कथित तौर पर पाकिस्तान को फोन मिलाकर खरी-खोटी सुनाई। इसके बाद चीन ने सीजफायर का क्रेडिट लेते हुए बयान जारी किया। बदले में पाकिस्तान ने अपने सहयोगी की खुशामद के लिए फिर से एक बयान जारी किया और बताया कि चीन से उसकी सीजफायर पर बात हुई है।
  • चीनी विदेश मंत्री वांग यी की अजित डोभाल से बातचीत के बाद चीन ने एक और बयान जारी किया और जिसमें खुद को मसीहा दिखाने की कोशिश की। ये भी कहा कि चीन इस्लामाबाद और नई दिल्ली दोनों के संपर्क में रहेगा और क्षेत्र को शांतिपूर्ण और स्थिर बनाए रखने के प्रयास जारी रखेगा।
  • एक ओर अमेरिका खुद को दुनिया का मसीहा साबित करने में जुटा है, तो वहीं चीन भी एशिया में हो रही हर दूसरी बात का क्रेडिट लेना चाहता है। हालांकि भारत ने दोनों के ही दावों की पोल खोल दी है।

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर के बाद से अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार दावा कर चुके हैं कि अमेरिका ने दोनों देशों के बीच परमाणु जंग रुकवा दी है। ट्रंप ने यह तक कहा है कि उन्होंने दोनों देशों को व्यापार ना करने की धमकी दी, जिसके बाद दोनों देश समझौते के लिए माने। भारत ने ट्रंप के इन दावों का कई बार खंडन किया है। अब देश की प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने ट्रंप के इन बयानों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसा है। कांग्रेस ने पीएम मोदी को लेकर प्रसिद्ध हुए बीजेपी के एक विज्ञापन की प्रमुख टैगलाइन का इस्तेमाल कर सवाल उठाए हैं कि क्या ट्रंप ने सचमुच जंग रुकवा दी है।

कांग्रेस के राज्यसभा सांसद जयराम रमेश ने बुधवार को अमेरिका के दावों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर पर निशाना साधा। जयराम रमेश ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट किया, “कुछ दिन पहले हमें अमेरिका के राष्ट्रपति से पाकिस्तान के साथ युद्धविराम के बारे में पता चला। कल सऊदी अरब में एक सार्वजनिक कार्यक्रम में राष्ट्रपति ने खुलासा किया कि उन्होंने प्रतिबंधों और व्यापार सौदों का लालच देकर भारत को युद्धविराम के लिए मजबूर किया और ब्लैकमेल किया।”

उन्होंने आगे लिखा, “आम तौर पर बातूनी प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री का इस खुलासे के बारे में क्या कहना है? क्या उन्होंने अमेरिकी दबाव के सामने भारत के सुरक्षा हितों को गिरवी रख दिया?” उन्होंने लिखा, “अमेरिकी पापा ने वॉर रुकवा दी क्या?”

ट्रंप ने फिर किया दावा

बता दें कि ट्रंप ने एक बार फिर भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर पर बेतुके दावे किए हैं। ट्रंप ने सऊदी-अमेरिका निवेश फोरम 2025 में एक बयान में कहा, “कुछ ही दिन पहले हमने भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ती हिंसा को रोकने के लिए ऐतिहासिक युद्धविराम करवाया था और मैंने इसके लिए काफी हद तक व्यापार का इस्तेमाल किया था।”

ट्रंप ने कहा, “मैंने कहा, ‘हम एक सौदा करते हैं।’ हमें परमाणु मिसाइलों का व्यापार नहीं करना चाहिए। हमें उन चीजों का व्यापार करना चाहिए जो आप इतनी खूबसूरती से बनाते हैं। दोनों के पास शक्तिशाली, चतुर नेता हैं। यह सब रुक गया। मुझे उम्मीद है कि यह इसी तरह बना रहेगा।”

भारत ने किया है खंडन

हालांकि भारत ने बीते दिनों यह स्पष्ट किया है कि सीजफायर को लेकर अमेरिका से व्यापार पर कोई चर्चा नहीं हुई है। भारत की ओर से सीजफायर की पुष्टि करते हुए विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने यह जानकारी दी थी कि पाकिस्तान ने इस सीजफायर के लिए भारत से गुहार लगाई थी। उन्होंने बताया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच DGMO स्तर पर हुई बातचीत के बाद ही इस पर सहमति बनी। पीएम नरेंद्र मोदी ने भी देश के नाम संबोधन में इस बात की जानकारी दी थी।

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