भोजन के अंत में पानी पीना जहर के समान है,कैसे?

भोजन के अंत में पानी पीना जहर के समान है,कैसे?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow

हमारे आयुर्वेद में बताया गया हैं कि भोजन के अंत में पानी पीना जहर के समान हैं । ऐसा क्यों ? चलिये आज इसको हम विज्ञान की कसौटी पर कसने का एक सार्थक प्रयास करते हैं।

“अजीर्णे भेषजं वारि , जीर्णे वारि बलप्रदम।
भोजने चाऽमृतम् वारि , भोजनान्तें विषप्रदम् ।।”

इस श्लोक के अनुसार अपच की अवस्था में पानी औषध के समान होता है । भोजन पचने के बाद की अवस्था में पानी बल प्रदान करता है तो भोजन के बीच में घूंट भर थोड़ा सा जल अमृत के समान होता है ,जबकि भोजन के बाद में पिया हुआ पानी जहर के समान होता है।

भोजन करने के बाद हमारे पेट के जठर में जाकर खाना पचने की प्रक्रिया शुरू करता है। यह जठर हमारे शरीर की नाभि के बांई ओर एक थैली नुमा छोटा सा अंग है । वर्तमान की अपनी लोक भाषा में इसको हम आमाशय कहते हैं। जठर में एक प्रकार की हल्की अग्नि प्रदीप होती है। जब भूख लगती है तब वास्तव में आमाशय में वो अग्नि ही हमें संकेत करती है कि शरीर के लिए ईंधन भेजा जाए, गाङी रिजर में आ गई हैं।

आपने महसूस किया होगा कि जब अच्छी भूख लगती है तो कैसा भी भोजन कर लिया जाए बहुत मीठा भी लगता है और पच भी जाता है। जठर की अग्नि भोजन के एक घंटे बाद तक प्रदीप्त रहती हैं।

हमारी पुरानी बोली में इसको जठराग्नि कहते हैं। 1 घंटे तक जठराग्नि को अपना काम करने के लिए ऊपर से कुछ भी डालना अग्नि को बंद करने का कारण बनता है। इसलिए भूख अनुसार जब भोजन पूर्ण हो जाए तो हमें अपना भोजन बंद कर देना चाहिए । तब जठराग्नि अपनी प्रक्रिया 1 घंटे में आराम से चला कर भोजन से प्राप्त मात्रा में आहार रस हमारे शरीर के विभिन्न अंगों को भेजता है ।अब अगर जठराग्नि की चलती हुई प्रक्रिया के ऊपर हमने लोटा भरकर ठंडा पानी डाल दिया तो पेट की अग्नि बुझ जाएगी। जिसके चलते भोजन के उत्तम पाचन की प्रक्रिया तो एकदम रूक जायेगी।

वैसे आपने भी देखा होगा अग्नि के ऊपर पानी डालने से आग बुझ जाती है ।इसी भांति पेट की जठर अग्नि भी पानी डालने से बुझ जाएगी और भोजन जठर में अपने नियत समय 1 घंटे में पच नहीं पाएगा और जब 1 घंटे से अधिक समय तक भोजन वहां पर रहेगा तो भोजन अंदर पड़ा पड़ा खराब होगा, गैस कारक होगा। गंधनुमा होगा जिसकी गैस ऊपर व नीचे दोनों जगह से निकलनी शुरू हो जाएगी। इसलिए भोजन के अंत में कभी भी पानी नहीं पिएं।

हमारे ऋषिजनों के प्राचीन ज्ञान-विज्ञान पर आधुनिक वैज्ञानिक भी सर झुकाकर सैल्यूट कर रह हैं ये देर से ही सही पर लाईन पर तो आ ही गये।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!