लक्ष्य कार्यक्रम: सोनपुर अनुमंडलीय अस्पताल का राज्य स्तरीय टीम ने किया दो दिवसीय असेस्मेंट

लक्ष्य कार्यक्रम: सोनपुर अनुमंडलीय अस्पताल का राज्य स्तरीय टीम ने किया दो दिवसीय असेस्मेंट
• प्रसव कक्ष और ऑपरेशन थिएटर का टीम ने गहनता से किया जांच
• लक्ष्य प्रमाणीकरण से स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता में आयेगी सुधार
• सोनपुर अनुमंडलीय अस्पताल में मिल रही है उच्च गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं
• आधार भूत संरचनाओं उपलब्ध सेवाओं के आधार पर मिलेगा अंक

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):

WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
WhatsApp Image 2025-08-14 at 5.25.09 PM
previous arrow
next arrow

नवजात एवं मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने को लेकर स्वास्थ्य विभाग प्रतिबद्ध है। इस दिशा में कई महत्वपूर्ण योजनाएं चलायी जा रही है। इसी उद्देश्य को पूर्ति करने के लिए लक्ष्य सर्टिफिकेशन कार्यक्रम भी चलाया जा रहा है। जिसके तहत अस्पतालों में प्रसव कक्ष और ऑपरेशन थिएटर का मूल्यांकन कर अंक के आधार पर प्रमाणीकर किया जाता है। गुरूवार और शुक्रवार को राज्य स्तरीय लक्ष्य टीम के द्वारा अनुमंडलीय अस्पताल सोनपुर का असेस्मेंट किया गया।

 

टीम में वैशाली के डीक्यूएसी डॉ. दीपक कुमार और पिरामल से दीपिका राणा मौजूद थी, जिन्होने अस्पताल में विभिन्न बिन्दुओं पर गहनता से जांच की। 8 मानकों मुख्य रूप से सेवा प्रावधान, रोगी का अधिकार, इनपुट, सपोर्ट सर्विसेज, क्लीनिकल सर्विसेज, इंफेक्शन कंट्रोल, क्वालिटी मैनेजमेंट, आउटकम का मूल्यंकन किया गया। राज्यस्तरीय प्रमाण पत्र के बाद इसे स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय भारत सरकार के पास भेजा जाता है। इसके बाद राष्ट्रीय स्तर की टीम अस्पताल का निरीक्षण व ऑडिट करती है।

कम से कम 70 प्रतिशत अंक मिलने पर ही लक्ष्य प्रमाणीकरण प्राप्त होता है। लेबर रूम और मैटरनिटी ओटी में गुणवत्ता सुधार का मूल्यांकन एनक्यूएएस (राष्ट्रीय गुणवत्ता आश्वासन मानक) के माध्यम से किया जाएगा। एनक्यूएएस पर 70% अंक प्राप्त करने वाली प्रत्येक सुविधा को लक्ष्य प्रमाणित सुविधा के रूप में प्रमाणित किया जाएगा। इसके अलावा, लक्ष्य प्रमाणित सुविधाओं की ब्रांडिंग एनक्यूएएस स्कोर के अनुसार की जाएगी। इस मौके पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. पुनम, आरपीएम प्रशांत कुमार, डीपीसी रमेश चंद्र कुमार, अस्पताल प्रबंधक मृत्युंजय पांडेय, पिरामल से दिलीप मिश्रा, सभी जीएनएम, एएनएम, स्वास्थ्यकर्मी और सहयोगी संस्था के प्रतिनिधि मौजूद थे।

 

गर्भवती महिलाओं की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार होगा:
सिविल सर्जन डॉ. सागर दुलाल सिन्हा ने बताया कि लक्ष्य कार्यक्रम से सार्वजनिक स्वास्थ्य संस्थानों में प्रसव कराने वाली हर गर्भवती महिला और नवजात शिशु को लाभ मिलेगा। कार्यक्रम से लेबर रूम, प्रसूति ऑपरेशन थियेटर और प्रसूति गहन चिकित्सा इकाइयों (आईसीयू) और उच्च निर्भरता इकाइयों में गर्भवती महिलाओं की देखभाल की गुणवत्ता में सुधार होगा। प्रसव कक्ष के अलावा प्रसूता कक्ष को लक्ष्य प्रमाणीकरण के गाइडलाइन के तहत संस्थागत प्रसव के लिए सुव्यवस्थित तरीक़े से तैयार करते हुए हर तरह की सुविधाएं दी जाती है । लक्ष्य योजना के मानकों के अनुरूप प्रसव से संबंधित सभी तरह की मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं । टीम द्वारा जांच के बाद अंकों का निर्धारण किया जाता है। जिसमें 70 से 80 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को सल्विर की श्रेणी में रखा जाता हैं। जबकि 81 से 90 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को गोल्ड की श्रेणी में तो वहीं 91 से 100 तक स्कोर पाने वाले अस्पताल को प्लेटिनम की श्रेणी में रखा जाता हैं। इन सभी श्रेणियों को प्रशस्ति पत्र के साथ ही प्रोत्साहन के रूप में नकद राशि दी जाती है। जिससे प्रसव कक्ष में आने वाली प्रसूताओं से संबंधित खर्च किया जाता है।

लक्ष्य प्रमाणीकरण होने पर मिलेगा नगद पुरस्कार:
जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीसी रमेश चंद्र कुमार ने बताया कि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर में कमी लाने के उद्देश्य से भारत सरकार ने लक्ष्य योजना शुरुआत की है । इसके माध्यम से प्रसव कक्ष में प्रसूता को दी जाने वाली आधुनिक सुविधाओं का अवलोकन किया जाता है। ताकि मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को कम किया जा सके । लक्ष्य टीम के निरीक्षण में बेहतर प्रदर्शन करने वाले अस्पतालों को आर्थिक सहायता भी दी जाती है । इससे अस्पताल के लेबर रूम एवं प्रसूता कक्ष में आधुनिक उपकरणों की सुविधाओं के साथ प्रसव से जुड़ी हुई नई-नई तकनीक के प्रयोग से जच्चा और बच्चा का पूरा ध्यान रखा जा सकेगा । इसके तहत प्रसव कक्ष, मैटरनिटी सेंटर में गुणवत्तापूर्ण सुधार लाना है । लक्ष्य योजना का मूल उद्देश्य प्रसूति विभाग से संबंधित सभी तरह की सुख सुविधाओं को पहले से बेहतर बनाने के साथ ही इससे जुड़ी हुई सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाना होता है । मातृ-शिशु मृत्यु दर में कमी लाने, प्रसव के बाद जच्चा-बच्चा को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से लक्ष्य प्रमाणीकरण बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण माना जाता है।

यह भी पढ़े

 

सोशल मीडिया पर हथियार लहराना पड़ा महंगा, दो युवक गिरफ्तार

झारखंड में अफसरशाही को भ्रष्टाचार का घुन लगा है, कैसे?

बालाकोट से लेकर ऑपरेशन सिंदूर तक की शेरनी को सुप्रीम कोर्ट से राहत

साइंटिफिक मैथड रिसर्च के लिए महत्वपूर्णः प्रो. वी.एन.अत्री

हरियाणा राज्य महिला आयोग पंचकूला चेयरपर्सन रेणू भाटिया ने किया जेल का निरीक्षण

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!