आधुनिक शिक्षा में प्राचीन परंपराओं का समावेश जरूरी: जनार्दन सिंह सिग्रीवाल

आधुनिक शिक्षा में प्राचीन परंपराओं का समावेश जरूरी: जनार्दन सिंह सिग्रीवाल

रामाधार सिंह टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ज्ञान कुंभ का हुआ समापन

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श्रीनारद मीडिया, कमल सिंह सेंगर, एमा, छपरा (बिहार):

रामाधार सिंह टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज, एकमा में आईक्यूएसी द्वारा आयोजित ‘प्राचीन शिक्षा प्रणाली बनाम आधुनिक शिक्षा प्रणाली’ विषयक दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय ज्ञान कुंभ का समापन शनिवार को हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सत्प्रकाश दास ने की, जबकि संचालन छात्राएं मानसी, आर्या व प्रियंका ने संयुक्त रूप से किया।

समापन समारोह के मुख्य अतिथि महाराजगंज सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल का स्वागत कॉलेज के सचिव इंजीनियर जयप्रकाश सिंह, ट्रस्टी राजीव कुमार शर्मा, प्राचार्य डॉ. सत्यप्रकाश दास, धर्मेंद्र कुमार सिंह उर्फ ठाकुर सिंह, शिक्षकों व शिक्षकेत्तर कर्मियों द्वारा पुष्पमाला, अंगवस्त्र व प्रतीक चिह्न प्रदान कर किया गया।

कॉलेज के राजेन्द्र सभागार में आयोजित समापन सत्र को संबोधित करते हुए सांसद श्री सिग्रीवाल ने कहा कि आधुनिक शिक्षा प्रणाली में प्राचीन शिक्षा परंपराओं व संस्कारों का समावेश अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि आज की शिक्षा में पारंपरिक संस्कृति, मूल्यों व व्यवहार का अभाव है, जिससे हमारी सांस्कृतिक विरासत विलुप्ति की कगार पर पहुंच रही है। उन्होंने पारिवारिक संबोधनों का उदाहरण देते हुए कहा कि पहले बच्चे ‘माई’, ‘भईया’, ‘दीदी’ जैसे आत्मीय शब्दों का प्रयोग करते थे, जबकि आज ‘डैडी’, ‘मम्मी’, ‘अंकल’, ‘आंटी’ जैसे शब्द प्रचलन में हैं, जिससे अपनापन व संस्कार कम हो रहे हैं।

इस अवसर पर बीएचयू वाराणसी के प्रवक्ता आकाश रंजन ने कहा कि वर्तमान शिक्षा प्रणाली में नैतिक मूल्यों का स्थान नहीं रह गया है। यदि आधुनिक शिक्षा में प्राचीन शिक्षण के तत्वों को जोड़ा जाए, तो देश का सर्वांगीण विकास संभव है।
सहरसा के प्रवक्ता मृगेंद्र कुमार ने कहा कि रामायण व गीता जैसे ग्रंथों में निहित शिक्षा यह दर्शाती है कि जीवन में मर्यादा व पुरुषार्थ दोनों आवश्यक हैं, जो आधुनिक शिक्षा में नजरअंदाज होते हैं।

डायट सोनपुर के पूर्व प्राचार्य डॉ. जयप्रकाश ने कहा कि प्राचीन शिक्षा पद्धति श्रवण व मौखिक पर आधारित थी, जिससे विद्यार्थियों का मस्तिष्क पूर्णतः सक्रिय रहता था। आज की शिक्षा में यह तत्व नदारद हैं, जिसके कारण स्मरण शक्ति व शुद्ध लेखन की क्षमता घटती जा रही है।
समापन सत्र को पूर्वांचल विश्वविद्यालय विराटनगर (नेपाल) के पूर्व कुलपति डॉ. घनश्याम लाल दास, कॉलेज की निदेशक संध्या सिंह, फखरुद्दीन अली अहमद टीचर्स ट्रेनिंग कॉलेज दरभंगा के असिस्टेंट प्रोफेसर पंकज कुमार, कुमार गौरव, प्रो. सुमन कुमार सिंह, बीएचयू की डॉ. रागिनी रंजन, मधेपुरा की डॉ. मोहिनी कुमारी, गया की डॉ. किरण कुमारी, सहरसा की डॉ. वंदना चतुर्वेदी आदि ने भी संबोधित किया। सभी वक्ताओं ने कहा कि ज्ञान कुंभ के माध्यम से प्राचीन शिक्षण परंपराओं व आधुनिक शिक्षा का समायोजन कर भारत को विकसित राष्ट्र की ओर अग्रसर किया जा सकता है।

इस अवसर पर सांसद जनार्दन सिंह सिग्रीवाल, पूर्व जिला पार्षद रूपेश कुमार सिंह छोटू, कॉलेज सचिव ई. जयप्रकाश सिंह, निदेशिका संध्या सिंह, ट्रस्टी राजीव कुमार शर्मा, धर्मेंद्र कुमार सिंह उर्फ ठाकुर सिंह, प्रधानाध्यापक व शिक्षक नेता मंजीत कुमार तिवारी, प्रो. सुमन कुमार सिंह, कमल कुमार सिंह, भाजपा जिला उपाध्यक्ष चैतेंद्रनाथ सिंह, चितरंजन सिंह, प्रमोद कुमार सिंह, बलवंत कुमार सिंह, अखिलेश्वर प्रसाद ‘भोला’, बीएड कॉलेज के उमाशंकर सिंह, अनुप कुमार, हरिशंकर, अजीत कुमार, सुजीत कुमार, अमरेश, कंचन भारती, नागेंद्र कुमार सिंह, संतोष कुमार सिंह, प्रमोद कुमार सहित बड़ी संख्या में गणमान्यजन व शिक्षाविद् मौजूद रहे।
कार्यक्रम का समापन प्राचार्य डॉ. सत्यप्रकाश दास द्वारा धन्यवाद ज्ञापन व राष्ट्रगान के साथ हुआ।

 

 

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