भारत में ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन निर्मित बाँध का प्रभाव

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

ब्रह्मपुत्र नदी पर चीन की जलविद्युत परियोजनाओं को लेकर चिंताओं के कारण इस मुद्दे पर ध्यान आकर्षित हुआ है। भारत में नदी के प्रवाह पर चीन निर्मित बाँधों के संभावित प्रभाव के साथ, इस मुद्दे से भारत की जल सुरक्षा को लेकर चिंताएँ उत्पन्न हुई हैं।

चीन निर्मित बाँध भारत में ब्रह्मपुत्र नदी के प्रवाह को किस प्रकार प्रभावित कर सकते हैं?

  • जल प्रवाह में परिवर्तन: चीन तिब्बत के मेडोग ज़िले में ‘ग्रेट बेंड’ के पास बड़े पैमाने पर हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजनाओं (जैसे मेडोग हाइड्रो प्रोजेक्ट) का निर्माण कर रहा है। यह वही स्थान है जहाँ ब्रह्मपुत्र नदी यू-आकार में मुड़कर घाटी में प्रवेश करती है और फिर अरुणाचल प्रदेश की सीमा में प्रवेश करती है।
    • इस तरह की परियोजनाएँ भारत और बांग्लादेश में ब्रह्मपुत्र के जल प्रवाह और मार्ग को प्रभावित कर सकती हैं।
  • पारिस्थितिकी व्यवधान: इस क्षेत्र में चीन की जलविद्युत परियोजनाओं की जल भंडारण क्षमता सीमित है। जल भंडारण क्षमता में कोई भी बड़ा परिवर्तन, नीचे की ओर होने वाले प्रवाह को प्रभावित करने के साथ बाढ़ चक्र एवं सिंचाई तथा घरेलू उपयोग के लिये जल की उपलब्धता को प्रभावित कर सकता है।
    • जल प्रवाह में परिवर्तन से भारत में नदी पारिस्थितिकी तंत्र (जिसमें वन्यजीव अधिवास भी शामिल हैं) पर भी प्रभाव पड़ सकता है। 
    • ब्रह्मपुत्र में समृद्ध जैव विविधता है, जिसमें काजीरंगा राष्ट्रीय उद्यान जैसे संरक्षित क्षेत्र शामिल हैं, जो एक सींग वाले गैंडे का अधिवास है।

नोट: मेडोग प्रोजेक्ट की उत्पादन क्षमता यांग्त्ज़े पर स्थित थ्री गॉर्जेस बाँध की तुलना में तीन गुना होने का अनुमान है, जो वर्तमान में विश्व का सबसे बड़ा जलविद्युत स्टेशन है।

ब्रह्मपुत्र नदी प्रणाली के बारे में मुख्य तथ्य क्या हैं?

  • उत्पत्ति और मार्ग: ब्रह्मपुत्र नदी मानसरोवर झील के पास कैलाश पर्वतमाला में चेमायुंगडुंग ग्लेशियर से निकलती है जहाँ इसे तिब्बत में यारलुंग त्सांगपो के नाम से जाना जाता है। अरुणाचल प्रदेश से भारत में प्रवेश करने पर इसे सियांग या दिहांग कहा जाता है।
  • अपवाह: ब्रह्मपुत्र बेसिन तिब्बत (चीन), भूटान, भारत और बांग्लादेश तक विस्तारित है। 
    • यह नदी अरुणाचल प्रदेश के सादिया शहर के पश्चिम में भारत में प्रवेश करती है तथा इसका जलग्रहण क्षेत्र अरुणाचल प्रदेश, असम, पश्चिम बंगाल, मेघालय, नागालैंड और सिक्किम तक विस्तारित है।
    • भारत में ब्रह्मपुत्र नदी हिमालय (उत्तर और पश्चिम), पटकारी पहाड़ियों (पूर्व) और असम पहाड़ियों (दक्षिण) से घिरी हुई है।
    • ब्रह्मपुत्र नदी के तीस्ता नदी में मिलने के बाद इसे जमुना के नाम से जाना जाता है। वहाँ से यह दक्षिण की ओर प्रवाहित होती है और अंततः ग्वालुंडो घाट (बांग्लादेश) के पास गंगा (जिसे बांग्लादेश में पद्मा के नाम से जाना जाता है) में मिल जाती है और तब इसे पद्मा नाम से जाना जाता है। 
  • पद्मा नदी अंततः मेघना नदी में विसर्जित हो जाती है और बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है।
    • सुंदरबन डेल्टा मुख्य रूप से गंगा और ब्रह्मपुत्र नदियों के संयुक्त अवसादी निक्षेप के साथ-साथ मेघना नदी के योगदान से बना है
  • ब्रह्मपुत्र 2,900 किमी लंबी नदी है, जिसमें से केवल 916 किमी भारत में बहती है। (गंगा भारत में बहने वाली सबसे लंबी नदी है)।
  • सहायक नदियाँ:
    • दाहिने तट की सहायक नदियाँ: लोहित, दिबांग, सुबनसिरी, जिया भराली, धनसीरी, मानस, तोर्षा, संकोश और तीस्ता।
    • बाएँ तट की सहायक नदियाँ: बुरहीदिहिंग, देसांग, दिखौ, धनसीरी और कोपिली।
  • भौगोलिक और पारिस्थितिक महत्त्व: ब्रह्मपुत्र में भारत की कुल जल संसाधन क्षमता का 30% से अधिक हिस्सा है और यह भारत की जलविद्युत क्षमता में 41% का योगदान देती है।
  • ब्रह्मपुत्र नदी घाटियाँ महत्त्वपूर्ण वन्यजीव अभयारण्यों और राष्ट्रीय उद्यानों (जैसे, काज़ीरंगा, मानस) का घर हैं ।
  • ब्रह्मपुत्र घाटी और आसपास की निचली पहाड़ियों में अधिकतर पर्णपाती वन हैं।
  • प्रमुख विशेषताएँ: विश्व का सबसे बड़ा नदी द्वीप माज़ुली, असम ब्रह्मपुत्र में स्थित है।
  • विश्व का सबसे छोटा नदी द्वीप उमानंद भी असम में स्थित है।

  • ब्रह्मपुत्र पर भारत के निगरानी प्रयास: भारत, ब्रह्मपुत्र बेसिन के लगभग 34% हिस्से को कवर करता है, लेकिन भारी वर्षा (2,371 मिमी) और हिम पिघलने के कारण इसके 80% से अधिक जल का योगदान भारत करता है, जबकि शुष्क तिब्बती पठार (कम वर्षा ~ 300 मिमी प्रतिवर्ष) ऐसा नहीं करता है।
    • भारत में सहायक नदियाँ नदी के प्रवाह को और बढ़ाती हैं। इस बेसिन में भारत के 30% जल संसाधन और 41% जलविद्युत क्षमता मौज़ूद है, चुनौतियों के बावज़ूद अरुणाचल प्रदेश विकास में अग्रणी है।
    • प्रस्तावित नदी-जोड़ो परियोजनाएँ – मानस-संकोष-तीस्ता-गंगा लिंक, जो ब्रह्मपुत्र की सहायक नदी मानस को संकोष और तीस्ता के माध्यम से गंगा से जोड़ती है; तथा जोगीघोपा-तीस्ता-फरक्का लिंक, जो नियोजित जोगीघोपा बैराज पर ब्रह्मपुत्र को फरक्का बैराज पर गंगा से जोड़ती है, का उद्देश्य अधिशेष जल को सूखे क्षेत्रों में स्थानांतरित करना है तथा इन पर चीन की अपस्ट्रीम गतिविधियों का प्रभाव पड़ने की संभावना नहीं है।
  • ब्रह्मपुत्र बेसिन (भारत) में जल विद्युत परियोजनाएँ: 
नामराज्यनदी
चुज़ाचेन जलविद्युत परियोजनासिक्किमरंगपो और रोंगली
दोयांग जलविद्युत परियोजनानगालैंडदोयांग
कार्बी लांगपी जलविद्युत परियोजनाअसमबोरपानी
कोपिली जलविद्युत परियोजनाअसमकोपिली
मिंटडू लेश्का स्टेज-Iमेघालयविशेषकर माइंटडू
पगलाडिया (कामरूप)असमपगलाडिया
रंगनाडी जलविद्युत परियोजनाअरुणाचल प्रदेशरंगानदी
रंगीत – III जलविद्युत परियोजनासिक्किमग्रेटर रंगीत
सुबनसिरी लोअर जलविद्युत परियोजनाअसमसुबानसिरी
तीस्ता-V जलविद्युत परियोजनासिक्किमतीस्ता
तीस्ता लो डैम III जलविद्युत परियोजनापश्चिम बंगालतीस्ता
तीस्ता लो डैम IV जलविद्युत परियोजनापश्चिम बंगालतीस्ता
उमियम जलविद्युत परियोजनामेघालयउमियम
उमियम-उमट्रू जलविद्युत परियोजनामेघालयउमट्रू
उमट्रू जलविद्युत परियोजनामेघालयउमट्रू

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