अंतरराष्ट्रीय समुदाय अमेरिका की कार्रवाई को कैसे देखता है

अंतरराष्ट्रीय समुदाय अमेरिका की कार्रवाई को कैसे देखता है

होर्मुज को बंद करना, वैश्विक संकट को आमंत्रण

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु ठिकानों पर किए गए हवाई हमलों को लेकर अंतरराष्ट्रीय चिंता बढ़ गई है। इसी के कारण संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने रविवार को आपात बैठक बुलाने का निर्णय लिया है। यह बैठक अमेरिका के हालिया हमलों के क्षेत्रीय और वैश्विक प्रभावों पर चर्चा के लिए बुलाई गई है। संयुक्त राष्ट्र के एक प्रवक्ता ने शनिवार देर रात कहा, “अमेरिका के हवाई हमलों और उनके संभावित असर को लेकर सुरक्षा परिषद रविवार को बैठक करेगी।”

रात को अमेरिका ने अपने टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों और B-2 बॉम्बर्स की मदद से ईरान के नतांज, फोर्दो और अराक स्थित परमाणु स्थलों पर लक्षित हमले किए थे। अमेरिका का कहना है कि यह कदम ईरान द्वारा बढ़ते परमाणु खतरे को रोकने के लिए उठाया गया है। हालांकि, ईरान ने इसे आक्रामकता और अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी है।

रूस और चीन ने अमेरिका की कार्रवाई की निंदा करते हुए कहा कि यह हमला क्षेत्रीय अस्थिरता को और बढ़ा सकता है। यूरोपीय संघ (EU) ने सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है। ईरान ने कहा कि वह संयुक्त राष्ट्र में मामला उठाएगा और आत्मरक्षा का अधिकार सुरक्षित रखता है। पाकिस्तान और कई मध्य पूर्वी देशों ने भी अमेरिका की कार्रवाई की आलोचना की है।

क्यों अहम है यह बैठक?

यह बैठक इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह UNSC की पहली आपात बैठक है जो सीधे अमेरिका द्वारा किए गए हमले के कारण बुलाई जा रही है। इससे यह तय होगा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय अमेरिका की कार्रवाई को कैसे देखता है। आत्मरक्षा या आक्रामकता के रूप में? यह बैठक ईरान की प्रतिक्रिया और क्षेत्रीय शांति पर संभावित प्रभावों को भी ध्यान में रखेगी।

दशकों से ईरान के ऊपर परमाणु बम बनाने का आरोप लगाने वाले इजरायल ने 13 जून को ईरान के ऊपर हमला बोल दिया था। इस हमले में ईरान के तमाम सैन्य अधिकारी और परमाणु वैज्ञानिक मारे गए थे। शनिवार रात को अमेरिका एयर फोर्स ने भी इजरायल के साथ हाथ मिलाते हुए ईरान के उन परमाणु ठिकानों को निशाना बनाया है, जिन पर इजरायली बमों का असर नहीं हो रहा था। इस हमले के बाद अमेरिका के राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति का कहना है कि उन्होंने ईरान के परमाणु कार्यक्रम को कई साल पीछे पहुंचा दिया है। अब सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या इजरायल ईरान पर अपने हमले रोक देगा?

इस सवाल का जवाब देते हुए इजरायली सेना की तरफ से कहा गया कि अभी ईरान में उसके और भी लक्ष्य हैं। ऐसे में जब तक वह उन लक्ष्यों को हासिल नहीं कर लेते तब तक हमले करते रहेंगे। इजरायली सेना के प्रवक्ता एफी डेफ्रिन ने कहा, “हमारे पास अभी और भी लक्ष्य हैं। हम तब तक हमले करते रहेंगे जब तक हम उन्हें हासिल नहीं कर लेते।”

डेफ्रिन ने कहा कि कि फिलहाल हम फोर्डो में अमेरिका एयर स्ट्राइक से हुए नुकसान की समीक्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “अमेरिका हमलों के बाद यह निर्धारित करना जल्दबाजीह होगा कि ईरान का इनरिच यूरेनियम खत्म हो गया है.. या उसे हटा दिया गया है। हम लगातार स्थिति की जांच कर रहे हैं। मुझे लगता है कि आने वाले कुछ समय में हमें इस बात का पता चल जाएगा।”

इससे पहले शुक्रवार को जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप से पूछा गया कि क्या वह इजरायल के साथ ईरान पर किए जा रहे हमलों में शामिल होंगे। इसका जवाब देते हुए उन्होंने कहा था कि दो हफ्ते के अंदर यह तय हो जाएगा कि हम क्या करने वाले हैं। हालांकि, इस अल्टीमेटम के दो दिन बाद ही अमेरिका वायुसेना ने ईरान के तीन ठिकानों के ऊपर हमले कर दिए। रविवार को राष्ट्रपति ट्रंप ने इस हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि सेना द्वारा किया गया यह हमला क्षेत्र और वैश्विक शांति के लिए था और यह बहुत ज्यादा सफल हुआ।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक ईरान की संसद में होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी गई है। हालांकि इस पर फाइनल फैसला सुप्रीम नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल लेगी। इसको लेकर रविवार को वोटिंग करवाई गई थी। इस जलमार्ग से दुनियाभर का करीब 26 फीसदी तेल व्यापार होता है। अगर ईरान इस फैसले को लागू कर देता है तो पूरी दुनिया में तहलका मच जाएगा। अमेरिका और भारत पर भी इसका असर होगा।

बता दें कि होर्मुज जलडमरूमध्य फारस की खाड़ी को अरब सागर और हिंद महासागर से जोड़ता है। यह करीब 33 किलोमीटर चौड़ा रास्ता है जिसपर ईरान का अधिकार है। इस जलमार्ग में शिपिंग लेन करीब 3 किलोमीटर ही चौड़ी है। ऐसे में यह रास्ता दुनिया के लिए बेहद अहम हो जाता है। खाड़ी देशों के तेल की ज्यादातर सप्लाई इसी रास्ते से होती है।

सांसद और रिवोलूशनरी गार्ड कमांडर इस्माइल कोसारी ने कहा कि जलडमरूमध्य को बंद करना हमारे अजेंडे में शामिल है। जरूरत पड़ने पर इसे बंद कर दिया जाएगा। ईरान की नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल भी अगर होर्मुज स्ट्रेट को बंद करने के फैसले को मंजूरी दे देती है तो पूरी दुनिया में खलबली मचनी तय है। ईरान के सांसद याज्दिखाह ने पहले ही कह दिया था कि अगर इस युद्ध में इजरायल के साथ अमेरिका भी शामिल हो जाता है तो फिर होर्मुज को बंद किया जा सकता है।

होर्मुज को बंद करना, वैश्विक संकट को आमंत्रण

होर्मुज को बंद करना एक वैश्विक संकट को आमंत्रण देना होगा। यह शिपिंग रूट करीब 96 मील लंबा है। ईरान अगर ऐसा कदम उठाता है तो कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होगी। इसके बाद पेट्रोल डीजल की कीमतें बढ़ेंगी और फिर दुनिया का बड़ा हिस्सा महंगाई से त्रस्त हो जाएगा। यह रास्ता बंद हुआ तो जहाजों को अपना रास्ता बदलना पड़ जाएगा। ऐसे में डिलिवरी टाइम और लागत दोनों बढ़ जाएगी।

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