वाराणसी में ढाबा संचालक के लापरवाही के कारण गवानी पड़ी बिटिया को अपनी जान

वाराणसी में ढाबा संचालक के लापरवाही के कारण गवानी पड़ी बिटिया को अपनी जान

श्रीनारद मीडिया / सुनील मिश्रा वाराणसी यूपी

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वाराणसी / मिर्जामुराद रूपापुर में हाइवे के किनारे स्थित विधान बसेरा ढाबा के एक कमरे में मिला युवती का शव उसकी पहचान मिर्जामुराद थाना क्षेत्र के मेंहदी गंज निवाशी अल्का बिंद (२२)के रूप में हुई है अल्का चंद्रशेखर बिंद के दो पुत्र व एक पुत्री में सबसे बड़ी अल्का थी अल्का रुपापुर में स्थित एक महाविद्यालय की एमएससी प्रथम वर्ष की छात्रा थी वह अपने घर से विद्यालय के लिए कह के निकली मगर वहां न जाकर वो विधान बसेरा लगभग नौ बजे सुबह पहुंच गई जो कि विद्यालय से महज ५०० मीटर की दूरी पर है। वहां पे पहले से एक युवक बैठा अल्का का इंतजार कर रहा था दोनों ने पहले कुछ खाया और खाने के बाद ढाबा संचालक से युवक ने एक कमरे की बात कही ढाबा संचालक मोटी रकम कमाने के चक्कर में तुरन्त एक कमरे की चाभी दे दिया।

इधर लगभग १२ बजे चंद्रशेखर बिंद ने अल्का के घर नहीं लौटने पर विद्यालय पहुंचे तो पता चला कि आज अल्का आई ही नहीं थी चंद्रशेखर तत्काल मिर्जामुराद थाने पर गुमशुदगी लिखवाने गए तो पता चला की एक लड़की का शव रूपापुर में स्थित विधान बसेरा ढाबा में मिला है जिसकी सूचना ढाबा संचालक ने पुलिस को खुद दी मौके पर पहुंच पुलिस ने देखा कि धार दार हथियार से अल्का का गला बेरहमी से काट कर चादर से लिपटा पड़ा है चंद्रशेखर को अल्का का बैग व मोबाइल कवर दिखा कर अलका की पहचान कराई गई घटना की जानकारी मिलते ही काफी संख्या में ग्रामीण घटना स्थल पे पहुंचे डीसीपी(गोमती जोन)आकाश पटेल एसीपी(राजातालाब)अजय श्रीवास्तव, थानाध्यक्ष प्रमोद पांडे शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेजा वही अल्का के परिजनों व ग्रामीणों में अल्का के शव को न दिखाने को लेकर पुलिस के इस कृत्य से काफी असंतुष्ट थे वहीं पर मौजूद इस बात को उन्होंने अपने विधायक पुत्री, व विधायक प्रतिनिधि अदिति सिंह पटेल से भी कहा कि हमें अल्का के शव को दिखाने के लिए मगर उनके पास से भी कोई जवाब नहीं था

*क्षेत्रीय लोगों की आवाज*
ढाबा संचालक बहुत रसूखदार है और मिर्जामुराद पुलिस की जानकारी में यह जिस्म फिरोशी का काम कई वर्षों से उच्च स्तर पे चलता चला आ रहा है कोई भी आए मोटी रकम दे कमरे की चाभी ले

*ढाबा संचालक अपने ग्राहकों की गोपनीयता की बड़ी परवाह करते है*
जिस कारण वह पर कोई परिचय पत्र नहीं चाहिए न ही फोटो न ही मोबाइल नंबर न कोई रजिस्टर मेंटनेंस कोई डर नहीं क्यों की उस पैसे में मिर्जामुराद की पुलिस का भी कही न कही हिस्सा रहता है तभी तो साहब की गाड़ी रोज शाम को चली आती है और साहब के लिए एक टेबल अलग से लग जाती है तब ढाबे पे नाश्ता चाय और ठहाके बाजी होती है।और यही से अपराध व अपराधी दोनों जन्म लेती है।

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