अदहन:-वैज्ञानिकता से भरा भोजपुरी लोक का एक शब्द

अदहन:-वैज्ञानिकता से भरा भोजपुरी लोक का एक शब्द

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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भोजपुरी लोक में एक शब्द सदैव सुनने को मिलता है,जिसे हम ‘अदहन’ के रुप में सुनते हैं।यह एक क्रिया रुप है।चावल को पानी में पकाये जाने के लिए डाला जाता है।उसके पूर्व पानी को गर्म करना होता है।यही गर्म करने की क्रिया “अदहन” कहलाती है।

इस शब्द के निर्माण के पार्श्व में एक वैज्ञानिक सिद्धांत छुपा है,जो इसके महत्व को रेखांकित तो करती ही है,इस शब्द को गढ़ने वाले की अध्ययनशीलता को उद्घाटित भी करती है।”अदहन” दरअसल हिन्दी के “दहन” शब्द से उत्पन्न है।दहन का अर्थ स्पष्ट है।इसे आग के जलने से पैदा हुई गर्मी भी कह सकते हैं।दहन ही से दाह भी होता है।

अब “अदहन” की विशिष्टता पर जब हम ध्यान देंगे तो दिखेगा कि वैसा गर्म पानी,जो वाष्पीकृत होकर वाष्प(भाप) बन जाता है,अदहन कहलाने लगता है।मतलब पानी को गर्म करने पर उस से निकलने वाले बुलबुले फिर से अगर ठंढ़ा हो जायें तो उसका भौतिक परिवर्तन होगा और वो एक बार फिर से पानी बन जायेंगें।
यह इतनी सूक्ष्म क्रिया है,जिसे हम सबों ने देखा तो है पर इस शब्द की महत्ता पर ध्यान नहीं दिया था।अब लोक के इस शब्द के निर्माण के पीछे के कारकों के इस विराट और महत्वपूर्ण सिद्धांत पर विचार के बाद पुरखों के ज्ञान और उन सभी की गहरी दृष्टि को स्वाभाविक रुप से प्रणाम करने को मन मचल जाता है।

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