क्या पेट्रोल-डीजल कीमतों में होगी भारी कटौती होगी?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा है कि अगर मौजूदा वैश्विक हालात ऐसे ही बने रहे और कच्चे तेल की कीमतें मौजूदा 65 डॉलर के आसपास बनी रहीं तो तीन-चार महीनों में देश में पेट्रोलियम उत्पादों की खुदरा कीमतों में कमी आ सकती है।
देश में हाइड्रोकार्बन क्षेत्र पर आयोजित सबसे बड़े सेमिनार ‘ऊर्जा वार्ता-2025’ को संबोधित करते हुए पुरी ने कहा कि सरकारी क्षेत्र की सभी तेल कंपनियों के पास 21 दिनों का भंडार है। बुधवार को अंतरराष्ट्रीय बाजार में पेट्रोलियम उत्पादों की कीमत 67 डॉलर प्रति बैरल रहीं।
अमेरिका का दवाब दरकिनार
वैश्विक स्तर पर भारी अनिश्चितता के बावजूद भारत में कमोवेश पिछले साढ़े तीन वर्षों में पेट्रोल, डीजल की खुदरा कीमतें स्थिर रही हैं। पेट्रोलियम मंत्री ने अमेरिका की तरफ से भारत पर रूस से तेल खरीदने के बढ़ते दबाव को दरकिनार किया है।
भारत के पास पर्याप्त तेल भंडार
उन्होंने कहा कि हम अपनी जरूरत के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय बाजार में जहां एनर्जी उपलब्ध होती है, वहां से खरीद रहे हैं और आगे भी ऐसा किया जाएगा। जहां तक किसी एक देश से तेल खरीदने की बात है तो अभी अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी कच्चे तेल के पर्याप्त विक्रेता है और भारत के पास पर्याप्त तेल भंडार भी है।
रूस मुख्य आपूर्तिकर्ता बना हुआ
उन्होंने कहा कि भारत अपनी जरूरत का 85 प्रतिशत से ज्यादा कच्चा तेल आयात करता है और इसे रिफाइनरियों में पेट्रोल और डीजल जैसे ईंधन में बदला जाता है। परंपरागत तौर पर पश्चिम एशिया मुख्य स्त्रोता था, लेकिन रूस लगभग तीन सालों से मुख्य आपूर्तिकर्ता बना हुआ है।
भारी छूट की पेशकश शुरू
फरवरी, 2022 में मास्को द्वारा यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिम के अधिकांश देशों ने रूसी कच्चे तेल से दूरी बना ली। रूस ने वैकल्पिक खरीदारों को आकर्षित करने के लिए भारी छूट की पेशकश शुरू कर दी। भारतीय रिफाइनिंग कंपनियों ने इस अवसर का फायदा उठाया और रूस भारत का सबसे बड़ा कच्चा तेल का आपूर्तिकर्ता बन गया। अब भारत के तेल आयात में रूस का हिस्सा 40 प्रतिशत तक है।
फिलहाल 40 देशों से खरीद रहे कच्चा तेल
पेट्रोलियम मंत्री ने कहा, ‘वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कोई कमी नहीं है। कई नए तेल विक्रेता आ गए हैं। गुयाना, अर्जेंटीना, ब्राजील जैसे गैर-पारंपरिक देशों से भारत ज्यादा तेल की खरीद कर रहा है। दूसरे पश्चिमी क्षेत्रों से भी तेल की आपूर्ति बढ़ रही है। हम पहले जिन 27 देशों से तेल खरीदते थे, अब उनकी संख्या लगभग 40 देशों तक पहुंच गई है। पिछले छह महीने में वैश्विक स्तर पर काफी ज्यादा अस्थिरता होने के बावजूद कीमतों में बहुत ज्यादा बदलाव नहीं हुआ। मुझे लगता है कि आने वाले समय में कीमतें 65-70 डॉलर प्रति बैरल के बीच में ही रहेंगी।’
रूस से तेल खरीदने पर अगर अमेरिका किसी तरह का भारी-भरकम शुल्क लगाता है तो हम उसी आपूर्ति ढांचे पर लौट जाएंगे जो यूक्रेन संकट से पहले अपनाया गया था। उस समय भारत को रूसी तेल की आपूर्ति दो प्रतिशत से भी कम थी।
-एएस साहनी, इंडियन आयल कारपोरेशन
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री हरदीप पुरी ने कहा कि भारत की रूस से कच्चे तेल की निरंतर खरीद ने वैश्विक ऊर्जा कीमतों को स्थिर करने में मदद की है। रूस से तेल व्यापार रोकने पर कच्चे तेल की कीमतें 120-130 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच जातीं।
हमने पूरी दुनिया को महंगाई की मार बचाया- हरदीप पुरी
जब एक प्रेस वार्ता के दौरान रूस के तेल खरीदने के बारे में पूछा गया तो मंत्री पुरी ने स्पष्ट किया कि रूस प्रतिदिन नौ मिलियन बैरल से अधिक कच्चा तेल उत्पादन करता है और यह दुनिया के सबसे बड़े कच्चे तेल उत्पादकों में से एक है। उन्होंने कहा कि हमने पूरी दुनिया को महंगाई की मार बचाया।
उन्होंने कहा- ”यदि वैश्विक तेल आपूर्ति में से लगभग 97 मिलियन बैरल में से नौ मिलियन बैरल अचानक गायब हो जाते तो पूरी दुनिया को खपत में 10 प्रतिशत से अधिक की कमी करनी पड़ती, जो असंभव है।”
भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा
रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध के बाद अमेरिका और पश्चिमी देशों ने रूस पर प्रतिबंध लगाए, लेकिन भारत ने अपनी ऊर्जा आवश्यकताओं के लिए रूस से तेल खरीदना जारी रखा।
पुरी ने कहा कि रूस का तेल कभी भी वैश्विक प्रतिबंधों के अधीन नहीं था और भारत ने मूल्य सीमा के तहत छूट पर तेल खरीदकर वैश्विक बाजारों को स्थिरता प्रदान की है।
पुरी ने पीएम मोदी की सराहना की
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की ऊर्जा नीति की सराहना की, जिसमें ऊर्जा की उपलब्धता और सस्ती कीमतों को प्राथमिकता दी गई है। पुरी ने यह भी बताया कि भारत अपने 330 मिलियन घरों को स्वच्छ खाना पकाने की गैस प्रदान कर रहा है, जो ऊर्जा सुरक्षा के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
इस बीच, पुरी ने वियना में ओपेक अंतरराष्ट्रीय सेमिनार में भाग लिया, जहां उन्होंने विभिन्न देशों के ऊर्जा मंत्रियों से द्विपक्षीय बैठकें कीं ताकि भारत की ऊर्जा साझेदारियों को और मजबूत किया जा सके।