मुंबई विस्फोट की जांच करने वाले अधिकारियों के नाम नहीं होंगे सार्वजनिक,क्यों?
11 मिनट, 7 धमाके और 189 मौतें; 2006 में कैसे दहली थी मायानगरी?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
7/11 मुंबई ट्रेन विस्फोट मामले में मौत की सजा पाए दोषी एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया। एहतेशाम कुतुबुद्दीन सिद्दीकी ने सूचना के अधिकार (आरटीआई) अधिनियम के तहत उन अधिकारियों के बारे में विवरण मांगा था, जिन्होंने मामले की जांच की और उसकी गिरफ्तारी व अभियोजन को मंजूरी दी थी।
न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद की पीठ ने जानकारी देने से इनकार करने के निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा कि जानकारी उपलब्ध कराने से अधिकारियों की जान को खतरा हो सकता है। कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला कि यह सार्वजनिक हित में है कि मांगे गए विवरण का रहस्योद्घाटन नहीं किया जाए। याचिकाकर्ता द्वारा मांगी गई जानकारी उन अधिकारियों के खिलाफ है, जो जांच में शामिल थे और जो याचिकाकर्ता की गिरफ्तारी और दोषसिद्धि से संबंधित अभियोजन को मंजूरी देने में भी शामिल थे। कोर्ट ने कहा कि भले की घटना को हुए 20 वर्ष बीत चुके हैं, लेकिन उक्त जानकारी उपलब्ध कराना संभव नहीं होगा।
13 IPS और चार IAS अधिकारियों की नहीं दी जाएगी सूचना
अदालत ने कहा कि मुंबई विस्फोट मामले में जांच और उसके खिलाफ मुकदमा चलाने की मंजूरी देने वाले 13 आइपीएस और चार आइएएस अधिकारियों के बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के एहतेशाम कुतुबद्दीन सिद्दीकी के अनुरोध को सीआइसी ने ठुकरा दिया था। इसके विरुद्ध सिद्दीकी ने याचिका दायर की है। सिद्दीकी को मुंबई में लोकल ट्रेनों में हुए विस्फोटों में शामिल होने के लिए एक विशेष अदालत ने वर्ष 2015 में मौत की सजा सुनाई थी।
इस विस्फोट में 189 लोगों की हुई थी मौत
इस विस्फोट में 189 लोगों की मौत हुई थी और 800 से अधिक लोग घायल हुए थे। सिद्दीकी वर्तमान में नागपुर सेंट्रल जेल में बंद है। इसके अलावा अदालत ने सिद्दीकी की एक अन्य याचिका को भी खारिज कर दिया। उसने इसमें गृह मंत्रालय (एमएचए) को सौंपी गई इंटेलिजेंस ब्यूरो (आइबी) की रिपोर्ट की एक प्रति उपलब्ध कराने की मांग की थी।
उक्त रिपोर्ट में सुझाव दिया था कि कुछ लोगों को विस्फोट के मामले में गलत तरीके से गिरफ्तार किया गया था और फंसाया गया था। हालांकि, आइबी ने कहा था कि ऐसी कोई रिपोर्ट मंत्रालय को कभी नहीं भेजी गई थी। अदालत ने माना कि समाचार पत्रों की रिपोर्टों को सत्य के रूप में नहीं लिया जा सकता है और आइबी के हलफनामे पर अविश्वास करने का कोई कारण नहीं है।
11 मिनट, 7 धमाके और 189 मौतें; 2006 में कैसे दहली थी मायानगरी?
11 जुलाई 2006…शाम के लगभग 6:24 बजे थे। मुंबई के स्टेशनों पर दफ्तर से लौट रहे लोगों की भारी भीड़ थी। मायानगरी की लाइफलाइन कही जाने वाली लोकल ट्रेनें भी यात्रियों से खचाखच भरी थीं। तभी अचानक एक जोरदार ब्लास्ट हुआ। धमाके की आवाज सुनते ही स्टेशन पर भगदड़ मच गई। इससे पहले की लोग कुछ समझ पाते एक के बाद एक लगातार सात लोकल ट्रेनों में हुए बम ब्लास्ट ने पूरी मुंबई को हिलाकर रख दिया।
पहला ब्लास्ट शाम 6:24 बजे हुआ, जिसके बाद महज 11 मिनट में लगातार 7 धमाके हुए। सभी धमाके लोकल ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट नें हुए थे। इस हादसे में 189 लोगों की जान चली गई। इसी के साथ मायानगरी भी कुछ पलों के लिए थम सी गई थी।
हाईकोर्ट ने किया रिहा
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट में मारे गए लोगों का परिवार आज भी न्याय की राह देख रहा है। लोकल ट्रेनों में हुए इन धमाकों ने कई जिंदगियों को तबाह कर दिया था। इस घटना के 19 साल बाद मुंबई हाईकोर्ट ने 12 आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। हालांकि, इस ब्लास्ट की कहानी आज भी लोगों के जेहन में जिंदा है।
प्रेशर कुकर में हुआ ब्लास्ट
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट को अंजाम देने के लिए चर्च गेट से चलने वाली लोकल ट्रेनों का चुनाव किया गया था। सात ट्रेनों के फर्स्ट क्लास कंपार्टमेंट में RDX प्लांट किए गए थे। इन बमों को प्रेशर कुकर में भरकर रखा गया था। सभी बमों पर टाइमर सेट थे, जिन्हें तय समय पर सिलसिलेवार तरीके से ब्लास्ट किया गया था। हादसे के दौरान ट्रेनें अलग-अलग स्टेशनों पर थीं। ऐसे में सातों ब्लास्ट मुंबई की अलग-अलग जगहों पर हुए थे।
लश्कर-ए-तैयबा ने रची थी साजिश
मुंबई पुलिस के अनुसार, इस भयानक ट्रेन ब्लास्ट की पूरी साजिश सरहद पार पाकिस्तान में मौजूद खूंखार आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा ने रची थी। लश्कर का आतंकी आजम चीमा इसका मास्टरमाइंड था। ब्लास्ट से ठीक पहले मई 2006 में लश्कर के बहावलपुर स्थित ट्रेनिंग कैंप से 50 लोगों को बम बनाने और बंदूकें चलाने का प्रशिक्षण देकर मुंबई भेजा गया था।
2015 में कोर्ट ने दी थी फांसी की सजा
मुंबई ट्रेन ब्लास्ट की जांच ATS के हाथों में दी गई। ATS ने चार्जशीट में 30 आरोपियों के नाम दर्ज किए, जिनमें से 13 आरोपियों की पहचान पाकिस्तानी नागरिक के रूप में हुई थी। लगभग 9 साल तक अदालत में ट्रायल हुआ और 11 सितंबर 2015 को स्पेशल मकोका कोर्ट ने मामले पर फैसला सुनाया था। कोर्ट ने 5 आरोपियों को फांसी की सजा दी, 7 को उम्रकैद और 1 आरोपी को रिहा कर दिया था।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने पलटा फैसला
स्पेशल कोर्ट के इस आदेश को बॉम्बे हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी। 2019 में मामले पर सुनवाई शुरू हुई। वहीं, अब हाईकोर्ट ने सबूतों के अभाव का हवाला देते हुए सभी 12 आरोपियों को बरी कर दिया है। हाईकोर्ट के फैसले के अनुसार,
- आरोपियों को दोषी ठहराने के लिए पर्याप्त सबूत और गवाह उपलब्ध नहीं हैं।
- ब्लास्ट में किस प्रकार के बमों का इस्तेमाल हुआ? अभियोजन पक्ष ने इसका रिकॉर्ड पेश नहीं किया।
- बम बनाने वाले विस्फोटक के पैकेट की सीलिंग खराब थी। इसे सबूत के तौर पर ठीक से पेश नहीं किया गया।
- आरोपियों के बयान से संदेह है कि उन्हें जबरन मारपीट कर बयान रिकॉर्ड करवाए गए हैं।
मैड्रिड और लंदन में भी हुए ट्रेन ब्लास्ट
वरिष्ठ पत्रकार जीतेंद्र दीक्षित ने अपनी किताब ‘बॉम्बे आफ्टर अयोध्या’ में मुंबई ट्रेन ब्लास्ट का जिक्र किया है। उनके अनुसार, मुंबई ब्लास्ट को मैड्रिड और लंदन में हुए ट्रेन ब्लास्ट की तरह ही अंजाम दिया गया था। 11 मार्च 2004 को स्पेन की राजधानी मैड्रिड की लोकल ट्रेनों में ऐसे ही 4 बम धमाके हुए थे, जिनमें 191 लोगों की मौत हो गई थी। इसके अगले साल 7 जुलाई 2005 को ब्रिटेन की राजधानी लंदन में तीन लोकल ट्रेनों और 1 डबल डेकर बस में जोरदार ब्लास्ट देखने को मिला था। इस हादसे में 92 लोगों ने जान गंवाई थी।