ठीक 80 साल पहले यानी की 06 अगस्त 1945 को जापान के हिरोशिमा शहर पर अमेरिका द्वारा गिराया परमाणु बम गिराया गया था। इस परमाणु बम का नाम ‘लिटिल बॉय’ था। बता दें कि यह मानव इतिहास की सबसे विनाशकारी घटनाओं में से एक था। सुबह के समय हुए हमले ने कुछ ही पलों में हिरोशिमा को मलबे के ढेर में बदल दिया था। बताया जाता है कि इस हमले में करीब 1, 40,000 लोग मारे गए थे। वहीं जो लोग इस घटना के बाद बच गए थे, वह रेडिएशन के दीर्घकालिक दुष्प्रभावों से पीड़ित रहे। 06 अगस्त को हुई इस त्रासदी ने परमाणु हथियारों की भयावहता को उजागर किया और युद्ध के विनाशकारी परिणामों से विश्व को अवगत कराया।

हिरोशिमा दिवस

बता दें कि हर साल 06 अगस्त को हिरोशिमा दिवस मनाया जाता है। यह दिन शांति, अहिंसा और वैश्विक एकता का संदेश देता है। यह एक घटना नहीं बल्कि मानवता के लिए एक गहरी चेतावनी है। इसने दिखाया कि युद्ध और हिंसा का परिणाम सिर्फ पीड़ा और विनाश होता है। इसलिए मानवता की रक्षा के लिए सहयोग, संवाद और शांतिपूर्ण समाधान ही एकमात्र रास्ता है। हिरोशिमा दिवस हम सभी को परमाणु निरस्त्रीकरण और वैश्विक शांति के महत्व की याद दिलाता है।

6 अगस्त 1945… दुनिया के लिए यह वो काला दिन था, जब एक विनाशकारी परमाणु बम आसमान से आफत बनकर जापान के हिरोशिमा में गिरा और एक ही झटके में लाखों लोगों को निगल गया। इस बम धमाके ने पूरी दुनिया को झकझोर कर रख दिया। 1,40,000 लोगों की मौत के बाद जापान का एक पूरा शहर विरान हो गया था।

हिरोशिमा में इस भयंकर त्रासिदी का मंजर आज भी लोगों के रोंगटे खड़े कर देता है। दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान अमेरिका ने जापान के 2 बड़े शहरों नागासाकी और हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराया था, जिसका असर अब भी देखने को मिलता है। हिरोशिमा बम धमाके को आज 80 साल पूरे हो चुके हैं।

परमाणु आज भी सबसे बड़ा खतरा

इन 80 सालों में बेशक जापान का नाम विकसित देशों की फेहरिस्त में शुमार हो गया। मगर, दुनिया पर अभी भी परमाणु का खतरा बना हुआ है। कई देश आज भी परमाणु बम की धमकियां देते नजर आते हैं। नोबेल पुरस्कार विजेता निहोन हिडानक्यो का कहना है-

हमारे पास ज्यादा समय नहीं बचा है। दुनिया बहुत तेजी से परमाणु खतरे की तरफ बढ़ रही है। परमाणु बम वाले देशों को बदलना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।

हिरोशिमा-नागासाकी परमाणु हमला

6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा में परमाणु बम गिराया, तो पलक झपकते ही 1 लाख 40 हजार से ज्यादा जिंदगियां मौत के घाट उतर गईं। इस घटना को 3 दिन ही बीते थे कि अमेरिका ने नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम गिरा दिया, जिसमें 70 हजार से ज्यादा लोग मारे गए। इस हमले ने जापान के पैरों तले से जमीन खींच ली। दूसरे विश्व युद्ध में जीत की कगार पर पहंचे जापान ने 15 अगस्त को घुटने टेक दिए और इसी के साथ दूसरा विश्व युद्ध खत्म हो गया।

सुबह 8:15 बजती है घंटी

अमेरिका ने तड़के सुबह ठीक 8:15 बजे हिरोशिमा में बम ब्लास्ट किया था। इस दिन को जापान में आज भी शोक सभा की तरह देखा जाता है। इसी समय जापान में पीस बेल (Peace Bell) बजाई जाती है। साथ ही मृतकों को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है।

परमाणु हमले का दंश झेलने वाला अकेला देश

इन परमाणु हमलों में कई लोगों ने अपनों को हमेशा के लिए खो दिया था। परमाणु बम से फैले रेडिएशन का असर आज भी नागासाकी और हिरोशिमा शहर के लोगों में देखा जाता है। इस हमले के बाद जापान ने अपनी सेना खत्म करने का फैसला लिया और अमेरिका के संरक्षण में चला गया। जापान की सुरक्षा का दारोमदार आज भी अमेरिका के कंधो पर है। वहीं, परमाणु हमले की त्रासदी झेलने वाला जापान दुनिया का एकमात्र देश है।

महत्व

हिरोशिमा दिवस के मौके पर हिरोशिमा के शांति स्मारक पर हर साल हजारों की संख्या में लोग मृतकों को श्रद्धांजलि देने और विश्व शांति की प्रार्थना के लिए एकत्रित होते हैं। वर्तमान समय में जब विश्व में परमाणु हथियारों की दौड़ और भू-राजनीतिक तनाव बढ़ता जा रहा है। तो वहीं दूसरी ओर हिरोशिमा की घटना हमें याद दिलाती है कि युद्ध का कोई विजेता नहीं होता है, बल्कि इससे सभी को हानि होती है। वहीं भारत देश जोकि गांधीवादी अहिंसा और शांति के सिद्धांतों पर आधारित हैं, ऐसे में यह दिन हमारे लिए भी विशेष महत्व रखता है।