बहुला व्रत एवं भाद्रपद श्रीगणेश चतुर्थी व्रत कल, चन्द्रमा उदय रात्रि 8:37 बजे।
श्रीनारद मीडिया, दारौंदा, सिवान (बिहार)।
सिवान जिला सहित दारौंदा प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में बहुला संकष्टी श्री गणेश चतुर्थी व्रत हिन्दू पंचांग के अनुसार इस वर्ष 12 अगस्त, मंगलवार को श्रद्धा व आस्था के साथ मनाई जायेगी।इस दिन दो व्रतों का पावन संयोग रहेगा। बहुला व्रत तथा भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाने वाला श्रीसंकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत एक साथ पड़ रहे हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, यह दिन व्रत एवं पूजा-अर्चना के लिए अत्यंत शुभ और पुण्यदायी माना जाता है।
बहुला व्रत मुख्यतः गौ-पूजन और गोमाता के महत्व से जुड़ा हुआ पर्व है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। महिलाएं इस दिन प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लेती हैं और गोमाता की पूजा करती हैं। गौ को हरी घास, रोटी और गुड़ खिलाकर आरती की जाती है। पुराणों में वर्णित कथा के अनुसार, बहुला नाम की एक गाय ने अपने धर्मपालन के कारण विशेष स्थान पाया था, जिसके स्मरण में यह व्रत किया जाता है।
इसी दिन भाद्रपद श्रीसंकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत भी मनाया जाएगा। गणेश भक्त इस दिन सूर्योदय से लेकर चंद्रमा के दर्शन तक उपवास रखते हैं। भगवान गणेश की मूर्ति या चित्र के समक्ष दूर्वा, मोदक, लड्डू, लाल फूल और सिंदूर चढ़ाकर विधिवत पूजन किया जाता है। रात्रि में चंद्र दर्शन के बाद गणेश चालीसा एवं व्रत कथा का पाठ कर चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पित किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन में आने वाली सभी विघ्न-बाधाएं दूर होती हैं और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है।
पंडितों के अनुसार, इस वर्ष 12 अगस्त का दिन इसलिए भी विशेष है क्योंकि दोनों व्रत का एक साथ पड़ना धार्मिक महत्व को और बढ़ा देता है। भक्तजन बहुला व्रत का पूजन कर गोमाता का आशीर्वाद प्राप्त करेंगे और दिनभर श्री संकष्टी गणेश चतुर्थी व्रत रखकर शाम को गणपति पूजन व चंद्र दर्शन करेंगे।
विद्वानों का कहना है कि इस दिन व्रत, कथा-पाठ और दान-पुण्य का विशेष महत्व है। श्रद्धालु यदि पूरे नियम और श्रद्धा के साथ यह दोनों व्रत करें, तो उनके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।