नक्सलियों के समर्थक को बनाया उपराष्ट्रपति का उम्मीदवार- अमित शाह

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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उपराष्ट्रपति पद के चुनाव को लेकर राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इंडी गठबंधन के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी को लेकर कांग्रेस पर बड़ा हमला किया है। उन्होंने कहा कि वामपंथी नक्सलियों के समर्थक को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया गया है।

अमित शाह ने कहा कि उपराष्ट्रपति के चुनाव को साउथ बनाम साउथ के नजरिए से न देखा जाए। देश का उपराष्ट्रपति किसी भी राज्य से आज सकता है। इस तरह से सोचना मेरे हिसाब से ठीक नहीं है।

शाह ने कहा कि केरल ने नक्सलवाद का दंश झेला है। गृह मंत्री ने कहा, “केरल की जनता निश्चित रूप से देखेगी कि कांग्रेस पार्टी, वामपंथी दलों के दबाव में एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतार रही है जिसने नक्सलवाद का समर्थन किया और सुप्रीम कोर्ट जैसे पवित्र मंच का इस्तेमाल किया।”

सुदर्शन रेड्डी ने क्या जजमेंट दिया था?

दिसंबर 2011 में, सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रेड्डी ने फैसला सुनाया कि माओवादी विद्रोहियों के खिलाफ लड़ाई में आदिवासी युवकों को विशेष पुलिस अधिकारी के रूप में इस्तेमाल करना – चाहे उन्हें ‘कोया कमांडो’ कहा जाए, सलवा जुडूम कहा जाए या किसी और नाम से – गैरकानूनी और असंवैधानिक है। उन्होंने यह भी आदेश दिया कि उन्हें तुरंत निरस्त्र कर दिया जाए।

‘केरल में खत्म हुई कांग्रेस की जीत की संभावना’

उन्होंने कांग्रेस पर हमला करते हुए कहा कि इंडी गठबंधन के इस कदम से केरल में कांग्रेस की जीत की जो बची कुची संभावना थी वो भी खत्म हो गई। क्योंकि विपक्ष के प्रत्याशी सुर्दशन रेड्डी वही हैं, जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद को मदद करने के लिए सलवा जुडूम का जजमेंट दिया था और अगर ये जजमेंट न दिया गया होता तो वामपंथी नक्सलवाद 2020 तक खत्म हो गया होता। यही सज्जन हैं, जिन्होंने विचारधारा से प्ररित होकर सलवा जूडुम का जजमेंट दिया था।

सलवा जुडूम फैसले को लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने विपक्ष की ओर से उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार सुदर्शन रेड्डी पर नक्सलवाद का समर्थन करने का आरोप लगाया था। इसके जवाब में उन्होंने कहा कि हर नागरिक के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा करना उनका कर्तव्य है।

रेड्डी ने कहा, “मैं भारत के माननीय गृह मंत्री के साथ सीधे तौर पर इस मुद्दे पर नहीं जुड़ना चाहता। उनका संवैधानिक कर्तव्य और दायित्व वैचारिक मतभेदों के बावजूद, प्रत्येक नागरिक के जीवन, स्वतंत्रता और संपत्ति की रक्षा करना है। दूसरी बात, मैंने फैसला लिखा है। यह फैसला मेरा नहीं है, यह फैसला सर्वोच्च न्यायालय का है।”

‘पहले 40 पन्नों का फैसला पढ़ें अमित शाह’

रेड्डी ने कहा कि उनकी इच्छा है कि अमित शाह 40 पन्नों का फैसला पढ़ें। उन्होंने जोर देकर कहा, “अगर उन्होंने फैसला पढ़ा होता तो शायद वह यह टिप्पणी नहीं करते। मैं बस इतना ही कहना चाहता हूं और यहीं खत्म करता हूं। बहस में शालीनता होनी चाहिए।”

अमित शाह ने क्या कहा था?

केंद्रीय गृह मंत्री ने रेड्डी पर हमला करते हुए कहा था, “विपक्ष के प्रत्याशी सुर्दशन रेड्डी वही हैं, जिन्होंने वामपंथी उग्रवाद को मदद करने के लिए सलवा जुडूम का जजमेंट दिया था और अगर ये जजमेंट न दिया गया होता तो वामपंथी नक्सलवाद 2020 तक खत्म हो गया होता। यही सज्जन हैं, जिन्होंने विचारधारा से प्ररित होकर सलवा जूडुम का जजमेंट दिया था।” उन्होंने आगे कहा, “कांग्रेस पार्टी, वामपंथी दलों के दबाव में एक ऐसे उम्मीदवार को मैदान में उतार रही है जिसने नक्सलवाद का समर्थन किया और सुप्रीम कोर्ट जैसे पवित्र मंच का इस्तेमाल किया।”

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