हरितालिका (तीज) व्रत 26 अगस्त को, जाने कैसे करें पूजा।
श्रीनारद मीडिया, दारौंदा, सिवान, (बिहार)।
सौभाग्यवती महिलाएं अखण्ड सौभाग्य के लिए तथा वैधव्य दोषनाशक, पुत्र -पौत्रादि के सुख समृद्धि की वृद्धि के लिए किया जाने वाला तीज व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को हरितालिका (तीज) व्रत इस बार 26 अगस्त, मंगलवार को मनाया जाएगा।
सिवान जिला सहित दारौंदा प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में इस व्रत को लेकर तैयारी शुरू हो गई है। महिलाएँ इस पावन अवसर पर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना कर अखंड सौभाग्य और सुखी दांपत्य जीवन की कामना करती हैं।
स्थानीय पंडितों का कहना है कि इस बार हरितालिका तीज का व्रत विशेष शुभ योग में पड़ रहा है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, माता पार्वती ने भगवान शिव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर इस व्रत को किया था। तभी से यह व्रत सुहागिनों और अविवाहित कन्याओं द्वारा बड़े श्रद्धा और विश्वास के साथ किया जाता है।
सुहागिन महिलाएँ अपने पति की लम्बी उम्र और मंगलमय जीवन की प्रार्थना करती हैं, वहीं अविवाहित कन्याएँ मनचाहा वर पाने के लिए यह व्रत करती हैं।
व्रत की परंपरा के अनुसार महिलाएँ 26 अगस्त को पूरे दिन निर्जला उपवास रहेगी।
संध्या के समय मिट्टी के शिव-पार्वती की मूर्ति बनाकर या शिव -पार्वती की प्रतिमा को स्थापित कर पंचोपचार विधि से पूजन करना चाहिए। इसमें विशेष रूप से बेलपत्र, अक्षत, दूर्वा, फूल, फल और सुहाग की सामग्रियों को अर्पण करना चाहिए।
पूजा के बाद व्रत कथा का श्रवण कर आरती करना चाहिए।
व्रती महिलाएं अगले दिन 27 अगस्त को प्रातः स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण कर, बास की डलिया या केला के पत्ता पर फल मूल सेव, केला, खीरा, सत्तू,खजूर, पुड़किया, वस्त्र और श्रृंगार की सामग्री व्यवस्थित कर ब्राह्मण को दान कर पारण करें। पारण के साथ व्रत का समापन होगा।
जाने पूजा की विधि:-
हरतालिका तीज पूजा के लिए सर्वप्रथम एक छोटी चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं।
मिट्टी से बने भगवान शिव, देवी पार्वती और गणेश जी की मूर्ति या प्रतिमा रखे।
उसके बाद भगवान शिव, पार्वती माता और गणेश जी की पूजन करें और सोलह श्रृंगार सामग्री चढ़ाये।
फिर धूप, चंदन, फल, मिठाई, पान, सुपारी, नारियल और बेलपत्र भी चढ़ाएं।
गणेश जी को मोदक (लड्डू) का भोग लगाएं और दूर्वा भी अर्पित करें, इससे मनोकामनाएं पूरी होती हैं।
अब हरतालिका तीज व्रत की कथा सुनें या पढ़ें।
इसके बाद भगवान शिव माता पार्वती सहित गणेश जी की आरती करें।
नोट :- व्रत का पारण सुबह सूर्योदय के बाद करें।