मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए EC को मिले 1.98 लाख आवेदन
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में चुनाव आयोग को विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के तहत मतदाता सूची से नाम हटाने के लिए 1.98 लाख आवेदन प्राप्त हुए हैं। आयोग ने शनिवार को बताया कि इस दौरान नाम शामिल करने के लिए लगभग 30,000 आवेदन भी आए हैं। मतदाता सूची का मसौदा एक अगस्त को प्रकाशित किया गया था और यह एक सितंबर तक व्यक्तियों तथा राजनीतिक दलों की ओर से दावों और आपत्तियों के लिए खुला रहेगा। चुनाव कानूनों के अनुसार, लोगों और दलों को उन नामों को चुनौती देने का अधिकार है, जिन्हें वे मसौदा सूची में अपात्र मानते हैं।
कौन-कौन नाम शामिल करवा सकता है?
इसी प्रकार, जो लोग खुद को पात्र समझते हैं लेकिन सूची से बाहर रह गए हैं, वे भी नाम शामिल करने की मांग कर सकते हैं। बिहार में नवंबर में विधानसभा चुनाव होने की संभावना है और अंतिम मतदाता सूची 30 सितंबर को प्रकाशित की जाएगी।
राजनीतिक दलों द्वारा नियुक्त बूथ स्तरीय एजेंटों(बीएलए) ने अब तक बिहार के मतदाताओं की मसौदा सूची में शामिल करने के लिए 25 और बाहर करने के लिए 103 दावे दायर किए हैं। निर्वाचन आयोग के अनुसार, राज्य के 7.24 करोड़ मतदाताओं में से 99.11 प्रतिशत ने अब तक सत्यापन के लिए अपने दस्तावेज जमा कर दिए हैं।
SC का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग से कहा है कि वह मतदाता सूची में नाम शामिल कराने के इच्छुक लोगों से आधार कार्ड या सूचीबद्ध 11 दस्तावेजों में से कोई भी दस्तावेज स्वीकार करे। निर्वाचन आयोग ने शीर्ष कोर्ट से कहा है कि वह चुनावी राज्य बिहार में विशेष गहन पुनरीक्षण अभियान पर भरोसा जताए।
बिहार में मतदाता सूची के विशेष सघन पुनरीक्षण (एसआईआर) शुरू होने के साथ ही चुनाव आयोग को राज्य में जिस तरह से बड़ी संख्या में विदेशी नागरिकों के मतदाता सूची में गलत तरीके से नाम दर्ज होने को लेकर प्रारम्भिक जानकारी मिली थी, अब उसे लेकर तस्वीर साफ होती दिख रही है।
चुनाव आयोग को ड्राफ़्ट सूची में शामिल तीन लाख लोगों की नागरिकता संदिग्ध मिली है। जिन्हें अब अपनी नागरिकता साबित करने के लिए नोटिस दिया गया है। आयोग के वरिष्ठ अधिकारियों के मुताबिक इनमें से ज्यादातर नेपाल और बांग्लादेश के होने की संभावना है। साथ ही बताया है कि इन तीन लाख लोगों की पहचान बिहार के आठ जिलों से की गई, जबकि और जिलों में इनकी जांच चल रही हैं।
इन जिलों से हुई तीन लाख लोगों की पहचान
माना जा रहा है कि इनकी संख्या अभी और बढ़ सकती है। फिलहाल जिन जिलों से अभी इन तीन लाख लोगों की पहचान की गई है, उनमें पूर्वी चंपारण, पश्चिम चंपारण, मधुबनी, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार, अररिया और सुपौल है। चुनाव आयोग के मुताबिक जिन तीन लाख लोगों को नोटिस दिया गया है, उन्हें 25 सितंबर से पहले अपने नागरिकता प्रमाणित करने वाले दस्तावेज देने होंगे, क्योंकि 25 सितंबर तक ऐसे मामलों पर अंतिम निर्णय ले लिया जाएगा।
65 लाख लोगों को मदाता सूची से बाहर कर चुका है चुनाव आयोग
आयोग के तय कार्यक्रम के मुताबिक 30 सितंबर तक अंतिम मतदाता सूची का प्रकाशन हो जाएगा। इस कार्यक्रम के अनुसार अभी ड्राफ़्ट सूची को लेकर दावे आपत्ति ली जा रही है। गौरतलब है कि पुनरीक्षण के दौरान आयोग पहले ही करीब 65 लाख लोगों को मतदाता सूची से बाहर कर चुका है। इनमें मृत हो चुके दूसरी जगह शिफ्ट हो चुके और दो जगहों से नाम दर्ज कराने वाले मतदाता शामिल थे।
राजनीतिक दलों में अब तक सीपीआईएमएल में थोड़ी सक्रियता दिखी थी और बताया जाता है कि एक दिन पहले तक उसकी ओर से 79 शिकायत दर्ज की गई थी और नाम जोड़ने का आग्रह किया गया था।
चुनाव आयोग ने बिहार की मतदाता सूची की समीक्षा के लिए तीन केंद्रीय पर्यवेक्षकों को फिर भेजा है। तीन में से दो पर्यवेक्षकों ने जिलों का दौरा शुरू कर समीक्षा भी आरंभ कर दी। तीसरी पर्यवेक्षक शुक्रवार से जिलों का दौरा करेंगी। आयोग के केंद्रीय पर्यवेक्षकों में नजमूल होदा, अनुराधा पटनायक एवं भरत खेड़ा का नाम सम्मिलित हैं। बिहार की मतदाता सूची के प्रारूप प्रकाशन के उपरांत दावे-आपत्तियों का जायजा लेने के लिए तीन वरिष्ठ आइएएस अधिकारियों को भेजा गया है। ये पर्यवेक्षक तीन-तीन प्रमंडलों के जिलों का दौरा कर वहां पर वोटर लिस्ट को लेकर चल रहे दावा-आपत्तियों का जायजा रहे हैं।
इन अधिकारियों द्वारा स्थानीय स्तर पर जिले के राजनीतिक दलों के साथ बैठक की जा रही है। साथ ही जिलाधिकारियों के साथ भी बैठक कर अद्यतन स्थिति से अवगत हो रहे हैं। पर्यवेक्षक नजमुल होदा को पटना, मगध एवं सारण प्रमंडल के जिलों का दौरा कर रहे हैं, जबकि अनुराधा पटनायक कोसी, तिरहुत एवं दरभंगा प्रमंडल के जिलों में जाकर स्थिति का जायजा शुक्रवार से लेंगी।
भरत खेड़ा को भागलपुर, पूर्णिया एवं मुंगेर प्रमंडल के जिलों के साथ बैठक कर जानकारी लेनी आरंभ कर दी है। खेड़ा ने कटिहार जिला की गुरुवार को समीक्षा की, जबकि होदा ने पटना जिला की समीक्षा की। विदित हो कि इन लोगों द्वारा अगस्त के पहले सप्ताह में भी बिहार में मतदाता सूची प्रारूप प्रकाशन के बाद प्रमंडलों का दौरा कर अद्यतन स्थिति की समीक्षा की थी।


