चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया हलफनामा,क्यों?
आप हमें निर्देश नहीं दे सकते-चुनाव आयोग
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) को लेकर बिहार की सियासत में बवाल मचा हुआ है। विपक्ष के विरोध के बीच यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक जा पहुंचा है। वहीं, चुनाव आयोग का कहना है कि तय समय पर SIR करवाने का आदेश देना आयोग की स्वतंत्रता का हनन करना है।
समय-समय पर पूरे देश में SIR करवाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। इसके जवाब में चुनाव आयोग ने कहा कि SIR करवाने का फैसला लेना पूर्ण रूप से चुनाव आयोग का अधिकार है। ऐसे में कोई और संस्था यह निर्धारित नहीं कर सकती है कि कहां-कब SIR करवाना है।
सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर करते हुए चुनाव आयोग ने कहा, मतदाता सूची की तैयारी और संशोधन की देखरेख करना चुनाव आयोग का संवैधानिक और वैधानिक अधिकार है। चुनाव आयोग ने कहा-देश में नियमित अंतराल पर SIR करवाने से जुड़ा कोई भी आदेश चुनाव आयोग के न्यायाधिकार पर अतिक्रमण करने जैसा होगा।
दरअसल एडवोकेट अश्विनी कुमार उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल करते हुए अपील की थी कि सर्वोच्च न्यायालय चुनाव आयोग को नियमित अंतराल पर देश भर में SIR करवाने का आदेश दे, जिससे देश के नागरिक ही वोट दे सकें।
चुनाव आयोग ने 5 जुलाई 2025 को बिहार के अलावा सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में नियुक्त मुख्य चुनाव अधिकारियों को आदेश दिया है कि SIR पहले की प्रक्रिया शुरू की जाए। चुनाव आयोग ने इसके लिए 1 जनवरी 2026 से तक मोहलत दी है।
चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (बिहार को छोड़कर) को भेजे गए पत्र में 1 जनवरी 2026 को संदर्भ तिथि मानकर मतदाता सूची के लिए तत्काल पूर्व-पुनरीक्षण गतिविधियां शुरू करने का निर्देश दिया गया है। चुनाव आयोग ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि देशभर में नियमित अंतराल पर मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण ( SIR ) कराने का कोई भी निर्देश आयोग के विशेष अधिकार क्षेत्र में दखल होगा। चुनाव आयोग ने यह हलफनामा अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की याचिका के जवाब में दाखिल किया गया था।
याचिका में पूरे देश में SIR कराने की मांग की गई थी
याचिका में पूरे देश में नियमित अंतराल पर मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण कराने का निर्देश मांगा गया था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में आयोग की ओर से बताया गया कि उसने सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों (बिहार को छोड़कर) के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों को पत्र लिखकर मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) के लिए तैयारी संबंधी कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। इस राष्ट्रीय स्तर के SIR के लिए 1 जून 2026 को योग्यता तिथि (qualifying date) तय किया गया है।
शीर्ष अदालत में चुनाव आयोग की ओर से दाखिल हलफनामे में आयोग ने कहा कि मतदाता सूची के पुनरीक्षण की नीति पर उसका “पूर्ण विवेकाधिकार” है और इसमें किसी अन्य प्राधिकरण का हस्तक्षेप नहीं हो सकता। आयोग ने बताया कि 5 जुलाई 2025 को राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के सभी मुख्य निर्वाचन अधिकारियों (बिहार को छोड़कर) को भेजे गए पत्र में 1 जनवरी 2026 को संदर्भ तिथि मानकर मतदाता सूची के लिए तत्काल पूर्व-पुनरीक्षण गतिविधियाँ शुरू करने का निर्देश दिया गया है।
हलफनामे में कहा गया कि चुनाव आयोग को मतदाता सूचियों की तैयारी और पुनरीक्षण की संवैधानिक व वैधानिक शक्तियाँ प्राप्त हैं। देशभर में नियमित अंतराल पर SIR कराने का कोई भी निर्देश चुनाव आयोग के विशेष अधिकार क्षेत्र में दखल होगा।
हलफनामे में चुनाव आयोग ने और क्या कहा
आयोग ने हलफनामे में कहा कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत संसद और राज्य विधानसभाओं के सभी चुनावों के लिए मतदाता सूची की तैयारी और चुनावों के संचालन का अधिकार चुनाव आयोग को सौंपा गया है। यह प्रावधान आयोग के व्यापक अधिकारों की नींव है। सुप्रीम कोर्ट ने भी बार-बार अनुच्छेद 324 की व्याख्या इस रूप में की है कि चुनाव आयोग के पास मतदाता सूची की तैयारी और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने का पूर्ण अधिकार है, भले ही क़ानून चुप हो या अपर्याप्त हो।
5 जुलाई के पत्र का उल्लेख करते हुए आयोग ने कहा कि 10 सितम्बर को नई दिल्ली में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों का सम्मेलन बुलाया गया था। आयोग ने कहा कि उसने विभिन्न राज्यों में SIR कराने का निर्णय लिया है और इसके लिए तुरंत पूर्व-पुनरीक्षण गतिविधियां शुरू करने के निर्देश दिए गए हैं। इस प्रक्रिया के समन्वय के लिए आयोग ने 10 सितम्बर को नई दिल्ली में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के मुख्य निर्वाचन अधिकारियों का सम्मेलन आयोजित किया।