अमेरिका के लिए क्यों महत्वपूर्ण है अफगानिस्तान का बगराम हवाईअड्डा?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अफगानिस्तान के बगराम एयरबेस हासिल करने के सपने पर तालिबान पानी फेरता हुआ नजर आ रहा है। तालिबान सरकार के साफ मना करने के बाद अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी ने कड़े शब्दों में ट्रंप के इस बयान की निंदा की है। उन्होंने कहा कि बगराम एयरबेस तो क्या हम अफगानिस्तान की एक मीटर जमीन भी अमेरिका को नहीं देंगे। टोलो न्यूज से बात करते हुए मुत्ताकी के इस बयान के पहले अफगानिस्तान की तालिबान सरकार ने भी बयान जारी करके ट्रंप के बयान की निंदा की थी।
तालिबान के मुख्य प्रवक्ता जबीहउल्ला मुजाहिद ने ट्रंप के बयानों को खारिज कर दिया और अमेरिका को वास्तविकता और तर्कसंगत नीति अपनाने की सलाह दी थी। सोशल मीडिया साइट एक्स पर पोस्ट किए गए इस बयान में मुजाहिद ने लिखा कि अफगानिस्तान की विदेश नीति अफगान लोगों के आर्थिक हितों पर केंद्रित है। इसके अलावा उन्होंने अमेरिका के साथ हुई बातचीत का जिक्र करते हुए कहा कि द्विपक्षीय बातचीत के दौरान कई बार इस बात को दोहराया जा चुका है कि अफगानिस्तान की स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता सर्वोपरि है।
मुजाहिद ने ट्रंप के पहले कार्यकाल के दौरान हुए दोहा समझौते का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, “यह याद रखा जाना चाहिए कि दोहा समझौते के अंतर्गत अमेरिका ने यह संकल्प लिया था कि वह अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता या राजनीतिक स्वतंत्रता के विरुद्ध बल का प्रयोग या धमकी नहीं देगा, न ही उसके आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करेगा। ऐसे में अमेरिका को अपनी प्रतिबद्धताओं पर कायम रहना चाहिए।” हालांकि मुजाहिद ने इस बात की जानकारी नहीं दी कि इस एयरबेस को लेकर उनकी अमेरिकी अधिकारियों से क्या बात हुई है।
गौरतलब है कि ट्रंप दूसरी बार सत्ता में आने के बाद से ही अफगानिस्तान के बरगाम एयरबेस के बारे में बात करते रहे हैं। पिछले साल अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़कर जाने की तीसरी वर्षगांठ मना रहे तालिबान ने अमेरिका द्वारा छोड़े गए हथियारों का प्रदर्शन किया था। इसके बाद अमेरिका और दुनिया की नजर इस पर पड़ी। ट्रंप ने बाइडन प्रशासन पर निशाना साधते हुए कहा था कि वह अफगानिस्तान छोड़ते लेकिन बरगाम एयरबेस नहीं छोड़ना चाहिए था।
अभी हाल ही में ब्रिटेन की यात्रा पर पहुंचे ट्रंप ने कहा था कि वह अफगानिस्तान का बरगाम एयरबेस हासिल करने की कोशिश कर रहे हैं। इतना ही नहीं ट्रंप ने तालिबान को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर ऐसा नहीं होता है तो अफगानिस्तान को बुरे परिणाम भुगतने होंगे।
चीन की सीमा के पास मौजूद अफगानिस्तान के इस एयरबेस को अमेरिका द्वारा ही तैयार किया गया था। हालांकि 2021 में जब अमेरिकी सेना ने अफगानिस्तान को छोड़ा तो उसके साथ ही यह एयरपोर्ट और यहां पर मौजूद साजो-सामान भी छोड़ दिया। इसके बाद यह पूरा एयरबेस और यहां मौजूद हथियारों का जखीरा तालिबान के नियंत्रण में आ गया। वर्तमान में ट्रंप ने दावा किया था कि यहां पर चीन की मौजदूगी बढ़ गई है।
ट्रंप क्यों चाहते हैं बगराम एयरबेस?
ट्रंप कई मौकों पर बगराम एयरबेस पर अमेरिका के नियंत्रण छोड़ने के लिए बाइडेन प्रशासन की आलोचना कर चुके हैं। उन्होंने अफगानिस्तान से सैनिकों की वापसी को आपदा करार दिया था। ट्रंप ने कहा, हमने इसे उन्हें मुफ्त में दे दिया, हम उस एयरबेस को वापस चाहते हैं। ट्रंप बगराम पर वापस कब्जा कर इस पूरे रीजन पर नियंत्रण स्थापित करना चाहते हैं।
2021 में तालिबान के सत्ता में आने के बाद बगराम एयरबेस उनके नियंत्रण में आ गया, जबकि अमेरिकी सैनिक देश से वापस चले गए थे। जुलाई 2021 में अमेरिकी सेना द्वारा आधिकारिक तौर पर बगराम एयर बेस खाली करने को अफगानिस्तान में अमेरिका की 20 साल की सैन्य उपस्थिति के प्रतीकात्मक अंत के रूप में देखा गया था।
अमेरिका के लिए क्यों खास है बगराम एयरबेस?
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका द्वारा बनाए गए बगराम एयरबेस के रनवे कई इंटरनेशनल एयरपोर्ट से भी लंबे हैं और इसमें मजबूत सेल्टर्स, अस्पताल और ऑयल डिपो हैं।
इस एयरबेस पर सैनिकों की जरूरतों के लिए बर्गर किंग और पिज्जा हट जैसे फास्टफूड रेस्टोरेंट भी थे, साथ ही इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर अफगान कालीन तक, हर तरह की चीजों को बेचने वाली दुकानें भी। रॉयटर्स के अनुसार, बगराम में एक विशाल जेल भी थी।
रणनीतिक रूप से बेदह महत्वपूर्ण है बगराम एयरबेस
ईरान, पाकिस्तान, चीन के शिनजियांन और मध्य एशिया के बीच स्थित बगराम की रणनीतिक स्थिति में अमेरिकी प्रभाव को फिर से स्थापित करने की ट्रंप की चाहत को सूट करती है। इकोनॉमिक टाइम्स के अनुसार, इसका अर्थ यूरेशिया के एक विशाल क्षेत्र में रूसी सैन्य गतिविधियों से लेकर चीनी परियोजनाओं तक, निगरानी और सिग्नल इंटेलिजेंस भी है।