अयोध्या में तिलोदकी गंगा: पशुओं के लिए मौत की खाई
श्रीनारद मीडिया, लक्ष्मण सिंह, यूपी डेस्क:
अयोध्या के मणि पर्वत पर स्थित प्राचीन तिलोदकी गंगा का पुनरुद्धार कार्य अधूरा होने से पशुओं के लिए मौत का गड्ढा बन गया है। हाल ही में एक गाय की इस गड्ढे में गिरकर दर्दनाक मौत हो गई, जिससे स्थानीय लोगों में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि ठेकेदारों की लापरवाही के कारण यह गड्ढा अधूरा पड़ा है और पशुओं के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
मणि पर्वत और तिलोदकी गंगा का महत्व
मणि पर्वत अयोध्या का एक पवित्र स्थल है, जहां भगवान राम और सीता का मंदिर है। तिलोदकी गंगा एक प्राचीन नदी है, जो ऋषि रमणक की तपोभूमि से निकलती है और सरयू नदी में मिलती है। इस नदी का पुनरुद्धार योगी सरकार की एक महत्वपूर्ण परियोजना है।
पुनरुद्धार परियोजना की प्रगति
तिलोदकी गंगा के पुनरुद्धार के लिए योगी सरकार ने बड़ा कदम उठाया है। इस परियोजना के तहत नदी के 11 किलोमीटर हिस्से का पुनरुद्धार कार्य तेजी से चल रहा है। अब तक 43,703 मानव दिवसों का सृजन कर लगभग 3,100 परिवारों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। नदी के दोनों किनारों पर 10,000 से अधिक पौधे रोपे जा रहे हैं।
स्थानीय लोगों की मांग
स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इस गड्ढे को ढका जाए और पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। लोगों का कहना है कि ठेकेदारों की लापरवाही के कारण यह गड्ढा अधूरा पड़ा है और पशुओं के लिए खतरनाक साबित हो रहा है।
महंत पुरुषोत्तम दास जी की बातें
महंत पुरुषोत्तम दास जी ने भी इस मुद्दे पर अपनी बात रखी है, जिसमें उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि जल्द से जल्द इस गड्ढे को ढका जाए और पशुओं की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। उन्होंने कहा कि यह गड्ढा पशुओं के लिए मौत का गड्ढा बन गया है और इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की है।
अब देखना यह है कि प्रशासन इस मुद्दे पर क्या कार्रवाई करता है और पशुओं की सुरक्षा के लिए क्या कदम उठाता है
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