सारण में कालाजार के संदिग्धों की पहचान और पुराने मरीजों की हो रही है निगरानी

सारण में कालाजार के संदिग्धों की पहचान और पुराने मरीजों की हो रही है निगरानी
• जिले के 72 गांवों में चल रहा है अभियान
• जिन इलाकों में पहले मरीज मिले हैं, वहाँ सतत निगरानी ज़रूरी है
• “कालाजार मुक्त” बनने की ओर अग्रसर है सारण जिला

श्रीनारद मीडिया, पंकज मिश्रा, अमनौर, सारण (बिहार):

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सारण ज़िले ने कालाजार उन्मूलन के लक्ष्य को न केवल हासिल किया है बल्कि लगातार तीन वर्षों तक इसे सस्टेन भी रखा है। यह उपलब्धि जिले को “कालाजार मुक्त” बनने की ओर अग्रसर कर रही है। इस सफलता को और मज़बूत करने तथा किसी भी संभावित संक्रमण को जड़ से खत्म करने के लिए स्वास्थ्य विभाग ने अब गहन सक्रिय खोज (Intensified Active Case Detection – IACD) अभियान की शुरुआत की है। यह अभियान विशेष रूप से उन 72 गाँवों में केंद्रित है, जहाँ पिछले एक दशक (2015–2025) में कालाजार के मामले दर्ज किए गए थे। इस अभियान में स्वास्थ्य विभाग के साथ पिरामल फाउंडेशन भी सहयोग कर रहा है। अभियान का मुख्य उद्देश्य है पूर्व में रिपोर्ट हुए मरीजों का फॉलो-अप करना, नए संदिग्ध मामलों की पहचान करना और गाँव स्तर पर सामुदायिक भागीदारी सुनिश्चित करना।
क्यों ज़रूरी है फॉलोअप?
• कालाजार का इलाज होने के बाद भी कई मरीजों में पीकेडीएल विकसित हो सकता है, जो संक्रमण का स्रोत बन सकता है।
• समय-समय पर फॉलोअप से यह सुनिश्चित किया जाता है कि बीमारी दोबारा न फैले और सामुदायिक स्तर पर संक्रमण की कड़ी टूटे।
• जिन इलाकों में पहले मरीज मिले हैं, वहाँ सतत निगरानी ज़रूरी है, ताकि जिले को “कालाजार मुक्त” का दर्जा लंबे समय तक बनाए रखा जा सके।
• फॉलोअप से इलाज के दौरान छूटे या लक्षण दबाए हुए मरीज भी सामने आते हैं।

गांव-गांव में जाकर मरीजों से संपर्क कर रही है स्वास्थ्य टीम
अभियान के दौरान विशेष प्रशिक्षित टीमें गाँव-गाँव जाकर घर-घर संपर्क कर रही हैं। अब तक 33 गाँवों में खोज कार्य पूरा कर लिया गया है। इसमें 7 संदिग्ध कालाजार (VL) और 1 संदिग्ध पीकेडीएल (कालाजार के बाद त्वचीय लीशमैनियासिस) मरीज चिन्हित किए गए हैं। इनकी जाँच रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।
सामुदायिक सहभागिता पर ज़ोर:
जिला वेक्टर जनित रोग नियंत्रण पदाधिकारी डॉ. दिलीप कुमार सिंह ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग ने इस अभियान में ग्रामीण समुदाय को भी सक्रिय भागीदार बनाया है। प्रमुख सूचनादाताओं – जैसे ग्रामीण स्वास्थ्य प्रैक्टिशनर (RHP), पंचायती राज प्रतिनिधि (PRI) तथा अन्य सामुदायिक नेताओं से बैठक की जा रही है ताकि कोई भी संदिग्ध लक्षण वाला व्यक्ति छूट न जाए। यह कदम पारदर्शिता और प्रभावी निगरानी सुनिश्चित करने में सहायक है।
निगरानी और पारदर्शिता
अभियान की दैनिक रिपोर्ट राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी (कालाजार) को भेजी जा रही है, जिससे न केवल कार्य की गति पर नज़र रखी जा सके बल्कि ज़रूरत पड़ने पर तत्काल सुधारात्मक कदम भी उठाए जा सकें। स्वास्थ्य विभाग का मानना है कि यह व्यवस्था जिला स्तर पर अभियान की पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखेगी।
कालाजार मुक्त सारण की ओर
विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस तरह की सक्रिय खोज और फॉलो-अप की प्रक्रिया सतत रूप से जारी रही तो सारण ज़िला आने वाले समय में बिहार के कालाजार मुक्त जिलों की सूची में शामिल हो जाएगा।

फैक्ट बॉक्स
• अभियान का नाम: गहन सक्रिय खोज (IACD)
• लक्षित क्षेत्र: 72 गाँव (जहाँ 2015–2025 में मामले रिपोर्ट हुए)
• अब तक कवर गाँव: 33
• संदिग्ध मरीज मिले: 7 (VL) + 1 (PKDL)

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