क्या समाप्त हो जाएगा 25% अतिरिक्त शुल्क?
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
अमेरिका के साथ द्विपक्षीय व्यापार वार्ता (बीटीए) के अगले चरण की शुरुआत से पहले भारत जुर्माने के रूप में लगाए गए 25 प्रतिशत के शुल्क की समाप्ति चाहता है। अभी भारतीय वस्तु पर अमेरिका (India US Trade Deal) में 50 प्रतिशत का शुल्क लगता है। इसमें 25 प्रतिशत पारस्परिक शुल्क है। रूस से तेल खरीदने के कारण अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त शुल्क जुर्माने के रूप में लगा दिया है।
अमेरिका के साथ पेट्रोलियम डील
वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने कहा कि भारत अमेरिका के साथ भविष्य में पेट्रोलियम की अधिक खरीदारी कर सकता है, क्योंकि भारत की जरूरत आने वाले समय में बढ़ने वाली है। अपनी जरूरत का 80 प्रतिशत तेल भारत आयात करता है। गोयल ने अमेरिका के साथ परमाणु ऊर्जा में भी सहयोग बढ़ाने की बात कही।
भारत-अमेरिका के बीच व्यापारिक समझौते
इन दिनों गोयल दोनों देशों के साथ व्यापारिक मसलों पर बातचीत के लिए अमेरिका के दौरे पर है। गोयल के इस दौरे को दोनों देशों के बीच व्यापारिक समझौते की वार्ता को पटरी पर लाने के लिए काफी अहम माना जा रहा है। अमेरिका भारतीय बाजार में अपने कृषि उत्पादों को बेचने के लिए शुल्क में छूट चाहता है।
भारत से क्या चाहता है अमेरिका?
- अमेरिका यह भी चाहता है कि भारत उनसे पेट्रोलियम व रक्षा सेक्टर में बड़े सौदे करे ताकि भारत में अमेरिका का निर्यात बढ़ सके। अभी भारत अमेरिका में अधिक निर्यात करता है।
- सूत्रों का कहना है कि भारत भी अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौता चाहता है ताकि शुल्क की वजह से अमेरिका होने वाला निर्यात प्रभावित नहीं हो।
- भारत 86 अरब डालर का सालाना निर्यात अमेरिका में करता है, लेकिन 50 प्रतिशत शुल्क के बाद भारत से होने वाले 35 अरब डालर तक का निर्यात प्रभावित हो सकता है।
- भारत अमेरिका में मुख्य रूप से रोजगारपरक सेक्टर से जुड़े आइटम का निर्यात करता है और इसके प्रभावित होने से रोजगार भी प्रभावित होगा।
जीडीपी को फायदा कैसे?
सूत्रों का कहना है कि व्यापार समझौते की वार्ता में भारत अब कुछ खास सेक्टर या वर्ग के हित की जगह समग्र रूप से देश हित को प्राथमिकता देगा। सूत्रों का कहना है कि कुछ वस्तुओं में अमेरिका को छूट देने से पूरे देश की जीडीपी को फायदा होता है तो भारत वार्ता में उस रास्ते को अपना सकता है।
क्या है 25% ‘पेनल्टी टैरिफ’ का मामला?
भारत ने रूस से तेल खरीदना जारी रखा है, जिस पर अमेरिका को आपत्ति रही है. इसी पृष्ठभूमि में अमेरिका ने भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगा दिया. यह शुल्क मौजूदा बेस टैरिफ के ऊपर जुड़कर कुल 50% तक पहुंच गया है.
इससे भारत से अमेरिका में होने वाला करीब 35 अरब डॉलर का निर्यात प्रभावित हो सकता है, खासकर रोजगार पैदा करने वाले सेक्टर्स जैसे टेक्सटाइल, फूड प्रोडक्ट्स और मैन्युफैक्चरिंग.
पेट्रोलियम डील पर भारत की नजर
वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल, जो इन दिनों अमेरिका दौरे पर हैं, ने साफ किया है कि भारत आने वाले वर्षों में अमेरिका से तेल और गैस की खरीद बढ़ा सकता है. भारत अपनी जरूरत का 80% कच्चा तेल आयात करता है, और अमेरिका इस ज़रूरत को पूरा करने वाला संभावित आपूर्तिकर्ता बन सकता है. इसके अलावा, भारत और अमेरिका के बीच न्यूक्लियर एनर्जी सेक्टर में भी सहयोग बढ़ाने की चर्चा चल रही है.
भारत क्या चाहता है?
- अमेरिका द्वारा लगाए गए 25% अतिरिक्त शुल्क की समाप्ति
- भारत से अमेरिका होने वाले निर्यात पर छूट
- न्यायसंगत व्यापार संतुलन, जिससे दोनों देशों को लाभ मिले
भारत के लिए यह डील इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका भारत का सबसे बड़ा एक्सपोर्ट मार्केट है. भारत हर साल अमेरिका को 86 अरब डॉलर का निर्यात करता है.
अमेरिका क्या चाहता है?
- भारत में अपने कृषि उत्पादों के लिए टैरिफ छूट
- भारत से बड़े पैमाने पर रक्षा और ऊर्जा समझौते
- अपने उत्पादों और टेक्नोलॉजी के लिए भारतीय बाजार तक बेहतर पहुंच
- अमेरिका चाहता है कि भारत कृषि, पेट्रोलियम और रक्षा क्षेत्र में खुलापन दिखाए ताकि अमेरिकी कंपनियों को अधिक अवसर मिल सकें.
सेक्टर नहीं, अब ‘देशहित’ प्राथमिकता
सूत्रों के अनुसार, भारत इस बार व्यापार वार्ता में कुछ चुनिंदा सेक्टर्स के बजाय पूरे देश की अर्थव्यवस्था को ध्यान में रखते हुए निर्णय लेगा. अगर कुछ अमेरिकी उत्पादों पर छूट देने से देश की जीडीपी को समग्र रूप से फायदा होता है, तो भारत उस दिशा में आगे बढ़ सकता है.