हिन्दी दिवस पखवारे  पर मुशायरा सह कवि सम्मेलन आयोजित

हिन्दी दिवस पखवारे  पर मुशायरा सह कवि सम्मेलन आयोजित

श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

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सीवान नगर के पुराना किला स्थित साहित्यिक संस्था बज्मे शमा अदब के कार्यालय परिसर में एक भव्य मुशायरा सह कवि सम्मेलन आयोजित किया गया, जिसकी अध्यक्षता मशहूर उस्ताद शायर कमर सिवानी ने किया।  जहां हिन्दी दिवस पखवारे के मद्दे नज़र हिन्दी साहित्य के उत्थान में अनेकों कवि शायरों ने अपनी रचना प्रस्तुत किया ।  सभा के मुख्य अतिथि के रूप में मशहूर शायर फहीम जोगा पूरी मंचासिन थे अनेकों गणमान्य व्यक्ति सह दिग्गज कवि शायरों द्वारा दीप प्रज्वलित कर सभा को प्रारंभ किया गया।

 

उक्त अवसर पर उस्ताद शायर कमर सिवानी को फहीम जोगा पूरी ने अंग वस्त्र पुष्प गुच्छ प्रदान कर सम्मानित किया, साथ ही अनेकों कवि शायरों को इस अवसर पर माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया ।

डॉ अली असगर सिवानी ने हृदय से बुजुर्ग उस्ताद शायर कमर सिवानी को माल्यार्पण करते हुए गले से लिपटा प्रेम प्रीत को व्यक्त किया। कहा सिवान की धरती पर उस्ताद एक ईश्वरीय थाती के रूप में हमें प्राप्त हैं ये हमारा स्वभाग्य है कि हमारे साथ शब्दों के जादूगर विद्यमान हैं,
वरिष्ठ उर्दू पत्रकार शय्यद आरिफ़ हसनैन ने हिन्दी पख्वारे पर अपना विचार व्यक्त करते हुए हिंदी के सम्मान में सुन्दर रचना प्रस्तुत कर सभी को भाव विभोर कर दिया, पढ़ा, हिन्दी दिवस आज हम मना रहे हैं अंधेरे में दीप जला रहे हैं, खूब सराही गई।

 

अजय कुमार अजीत ने हिन्दी भाषा को विचाराभिव्यक्त का सरल सुबोध एवं सबल माध्यम के साथ साथ भारतीय संस्कृति सभ्यता रीति रिवाज तथा परंपराओं की जड़ बताया।
अजीत ने सुन्दर रचना प्रस्तुत किया। डॉ अली असगर सिवानी ने हिन्दी साहित्य प्रेमी के रूप में अपने मन का उद्गार व्यक्त खूब किया, कहा, लिपट जाता हूं मां से और मौसी मुस्कुराती है

मैं उर्दू में ग़ज़ल कहता हूं हिंदी मुस्कुराती है।
आगे हिंदी के सम्मान में कहा, मै भारत मां के मस्तक पर सबसे चमकीली बिंदी हूं, सबकी जानी पहचानी भारत की भाषा हिन्दी हूं।
सफीर मखदूमी की कविता भी खूब सराही गई, जिन्दगी मेरी सफीर दर्द की किताब है,,,,
डॉ जाहिद सिवानी ने व्यंग्यात्मक कविता सुना कर सभी को खूब हंसाया । कवि अवधेश कुमार पाण्डेय ने कहा , मेरी कोशिश है तुम्हे भूल जाने की।
जोया जीनत प्रवीन की रचना, शहर में अमीरों के मुफलिशों का गुजर नहीं होता,,,।

अधिवक्ता अरशद सिवानी की, अपने बिस्तर पर तू लेट कर रात भर सोचना छोड़ दें, खूब सराही गई। सरवर हाशमी, शामी बाहुवारबी, जया कुतबी हैदर वारसी, डॉ पी के शुक्ला, मार्कण्डेय दिक्छित, कुलदीप कुमार मनोज कुमार, रेहान मुस्तुफाबादी, मुस्ताक सिवानी आदि ने भी अपनी रचना प्रस्तुत कर श्रोताओं का दिल जीता लिया।
अंत में संस्था के सक्रिय सदस्य अधिवक्ता अरशद सिवानी ने उपस्थि कवि शायरों तथा श्रोताओं का धन्यवाद ज्ञापन किया, और कहा बहुत जल्द पुराना किला के साहित्यिक धरती पर आलइंडिया कवि सम्मेलन सह मुशायरे का आयोजन किया जाएगा, ऐसे प्रोग्राम से साहित्य का उत्थान के साथ साथ आपसी प्रेम सौहार्द भाईचारा कायम होता है।

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