तमिलनाडु के करूर में तमिलागा वेट्री कड़गम (TVK) प्रमुख विजय की रैली में भगदड़ मचने से 40 लोगों की मौत हो गई
जस्टिस अरुणा जगदीसन करेंगी करूर भगदड़ की जांच
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क
तमिलनाडु के करूर में अभिनेता से नेता बने विजय की रैली में मची भगदड़ के बाद 41 लोगों की मौत हो गई थी। इस घटना से हर कोई स्तब्ध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने गहरा दुख जताया है।
अब इस मामले पर एक्टर विजय ने सामने आकर दुख जताया है और वीडियो संदेश जारी कर कहा, “हमने कुछ गलत नहीं किया, फिर भी हमारे खिलाफ FIR हुई।” भगदड़ में 41 लोगों की मौत के बाद टीवीके प्रमुख विजय का यह बयान सामने आया है।
विजय ने क्या-क्या कहा?
तमिलनाडु के करूर में अपनी राजनीतिक रैली में मची भगदड़ में 41 लोगों की मौत के दो दिन बाद, अभिनेता विजय ने मंगलवार को एक शोक संदेश जारी किया। उन्होंने कहा, “मैंने अपने जीवन में कभी इतनी दर्दनाक स्थिति का सामना नहीं किया। मेरा तन-मन चिंता से भर गया है। मेरा दिल दर्द से भर गया है।”
स्टालिन को विजय की चुनौती
उन्होंने मुख्यमंत्री एमके स्टालिन को चुनौती देते हुए कहा, “आप मुझ पर कोई भी कार्रवाई करें, लेकिन मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं को न छुएं।” विजय ने यह भी कहा कि हादसे वाले दिन वे अचानक करूर से निकल गए थे ताकि वहां लोगों की सुरक्षा बनी रहे।
विजय ने कहा कि उन्होंने पीड़ित परिवारों और घायलों से अभी तक मुलाकात नहीं की क्योंकि वहां उनकी मौजूदगी से हालात बिगड़ सकते थे। हालांकि उन्होंने भरोसा दिलाया कि जल्द ही वे सब से मिलेंगे और उनका दर्द बांटेंगे।
इस मामले में पुलिस ने विजय की पार्टी के वरिष्ठ नेताओं बुस्सी एन आनंद और सीटीआर निर्मल कुमार पर केस दर्ज किया है। विजय ने कहा कि यदि सरकार को बदले की भावना से कोई कार्रवाई करनी है तो वह सिर्फ उन पर करे, कार्यकर्ताओं पर नहीं।
DMK का पलटवार
वहीं, DMK ने विजय के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी। पार्टी प्रवक्ता ए. सरवनन ने कहा कि विजय को वीडियो जारी करने में चार दिन क्यों लगे? उन्होंने मुख्यमंत्री स्टालिन के त्वरित करूर दौरे से तुलना की।
DMK सांसद ए. राजा ने आरोप लगाया कि विजय का रैली स्थल से तुरंत निकल जाना गुनाह की भावना दर्शाता है। वहीं, कनिमोझी ने कहा कि विजय को पुलिस की सलाह माननी चाहिए थी और बस को भीड़ से थोड़ी दूर रोकना चाहिए था।
चढ़ा सियासी पारा
इस पूरे घटनाक्रम ने राज्य की राजनीति को और गर्मा दिया है। विजय का बयान सीधे तौर पर सत्तारूढ़ डीएमके पर हमला माना जा रहा है। उन्होंने संकेत दिए कि सरकार अगर चाहे तो उन्हें सज़ा दे, लेकिन निर्दोष कार्यकर्ताओं को परेशान न करे।
टीवीके चीफ विजय की रैली के दौरान हुई भगदड़ को लेकर टीवीके ने डीएमके पर आपराधिक साजिश का आरोप लगाया है। डीएमके के वकील ने कहा कि पार्टी ने मद्रास हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है, जिसनें अदालत से एसआईटी गठित करने या मामले को सीबीआई को सौंपने का आग्रह किया है।
टीवीके की कानूनी शाखा के स्टेट कॉर्डिनेटर अरिवाझगन ने कहा कि वे कल उच्च न्यायालय की मदुरै पीठ के सामने यह मामला उठाएंगे। उन्होंने एनडीटीवी से कहा, “करूर की घटना में एक साजिश, एक आपराधिक साजिश थी, इसलिए हमने हाईकोर्ट से मामले की स्वतंत्र रूप से जांच करने का अनुरोध किया है, न कि किसी राज्य एजेंसी से।
रैली में भगदड़ से 40 लोगों की मौत
टीवीके प्रमुख विजय की करूर के वेलुस्वामीपुरम में हुई रैली में भगदड़ से 40 लोगों की मौत हो गई और लगभग 100 लोग घायल हो गए। तमिलनाडु पुलिस के डीजीपी जी वेंकटरमन के स्वीकार किया है कि अप्रत्याशित रूप से भारी भीड़ के बावजूद, रैली स्थल पर 500 पुलिसकर्मी तैनात किए गए थे।
जस्टिस अरुणा जगदीसन करेंगी करूर भगदड़ की जांच
सीएम स्टालिन ने मामले की जांच हाईकोर्ट की पूर्व जस्टिस अरूणा जगदीसन को सौंप दी है। करूर भगदड़ से पूरे देश में सनसनी फैल गई है। इस हादसे में 39 लोगों ने जान गंवा दी और 50 से ज्यादा लोग घायल हैं। वहीं, 2 घायलों की हालत गंभीर बताई जा रही है।
भगदड़ पर फौरन एक्शन लेते हुए तमिलनाडु सरकार ने हाई प्रोफाइल पैनल का गठन किया है, जिसकी जिम्मेदारी जस्टिस अरूणा जगदीसन को दी गई है। हालांकि, यह पहली बार नहीं है जब जस्टिस अरूणा इस तरह के संवेदनशील मामले की जांच करेंगी। इससे पहले भी वो कई मामलों की जांच कर चुकी हैं।
2018 हिंसा की जांच
2018 में तमिलनाडु के तूतीकोरिन में एंटी-स्टरलाइट प्रदर्शन के दौरान अचानक हिंसा भड़क गई थी। इस दौरान लोग स्टरलाइट कॉपर प्लांट का विरोध करने जुटे थे और पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए फायरिंग शुरू कर दी। इस घटना में 13 लोगों की मौत हो गई थी। मामले की जांच की जिम्मेदारी जस्टिस अरूणा को ही सौंपी गई थी। उनके कमीशन ने IPS अधिकारी समेत 17 पुलिसकर्मियों के खिलाफ एक्शन लेने का सुझाव दिया था।
चेन्नई पुलिस को दी थी क्लीन चिट
हाईकोर्ट में सेवा के दौरान जस्टिस अरूणा चेन्नई पुलिस को क्लीन चिट देने वाली बेंच का हिस्सा रह चुकी हैं। फरवरी 2015 में पुलिस एनकाउंटर के दौरान 5 लोगों की मौत हो गई थी। पांचों पर बैंक लूटने का आरोप था। हालांकि, कई लोगों ने इसे फेक एनकाउंटर बताया था, जिसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर की गई थी और अदालत ने पुलिस को क्लीन चिट दे दी थी।
पूर्व सीएम जयललिता की जांच
जस्टिस अरूणा तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता और उनके सहयोगियों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति से जुड़े मामले की भी जांच कर चुकी हैं। दरअसल जयललिता 6 बार राज्य की मुख्यमंत्री रह चुकी थीं। उनपर आरोप लगा था कि 1991-1996 के बीच उन्होंने अपने पद का दुरुपयोग करते हुए 66 करोड़ की संपत्ति जमा की थी। इस मामले की जांच भी जस्टिस अरूणा ने ही की थी।