झारखंड के पलामू से चोरी हुई हथिनी जयामति सारण के अमनौर में हुई बरामद
पुलिस-वन विभाग की संयुक्त कार्रवाई में जयामति बरामद
श्रीनारद मीडिया, स्टेट डेस्क:
झारखंड के पलामू जिले से चोरी हुई हथिनी जिसका नाम जयमति है उसे पुलिस ने बिहार के सारण जिले के अमनौर थाना क्षेत्र के पहाड़ पुर निवासी गोरख सिंह उर्फ अभिमन्यु के घर से सकुशल बरामद कर लिया है. यह हथिनी अमनौर के पहाड़पुर गांव निवासी गोरख सिंह को अवैध रूप से 27 लाख रुपये में बेची गई थी. हालांकि हथिनी के लिए अधिक पैसे देने की बात कही गई थी. लेकिन अबतक 27 लाख रुपए हीं दी गई थी.
जयमति कैसे पहुंची छपरा
जानकारों के मुताबिक एक हाथी की रफ्तार दौड़ने के दौरान 25 से 30 किलोमीटर हर घंटा होता है. वहीं हाथी का सामान्य चाल लगभग 10 से 15 किलोमीटर प्रतिघंटा होता है. पलामू से चोरी हुई हथिनी जयमति को महावत के साथ बिहार ले जाया गया. जिसे महावत ने अपने साथ बिहार ले गया. ऐसे में महावत खिलाते-पिलाते हुए करीब 50 किलोमीटर तक एक दिन में चला देता था, इसी रफ्तार से हथिनी लगभग एक हफ्ते में पलामू से छपरा पहुंच गई होगी.
हथिनी के मालिक यूपी के मिर्जापुर
उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर निवासी नरेंद्र कुमार शुक्ला ने 12 सितंबर को पलामू के मेदिनीनगर सदर थाना में हथिनी चोरी की शिकायत दर्ज कराई थी. दर्ज प्राथमिकी में उत्तर प्रदेश मिर्जापुर जिला कछुआ थाना क्षेत्र के तिलनग्गंज गांव निवासी 56 वर्षीय मुन्ना पाण्डेय, उत्तर प्रदेश चुनार जनपद मिर्जापुर थाना क्षेत्र के मेडिया गांव निवासी 60 वर्षीय मुन्ना पाठक एवम जिगना जनपद जिला मिर्जापुर बघेरा कला गांव निवासी 42 वर्षीय तारकेश्वर नाथ तिवारी के बिरुद्ध मामला दर्ज कराया था शिकायत में बताया गया था कि हथिनी जयमति गायब है. इसके बाद थाना पुलिस ने खोजबीन शुरू किया. खास बात यह रही कि हथिनी में पहले से ट्रैकिंग चिप लगी होने की बात सामने आई थी. लेकिन हथिनी को खोजने के लिए पुलिसिया दिमाग हीं काम आया.
सदर थाना प्रभारी लाल जी यादव पलामू पुलिस को गुप्त सूचना मिली कि हथिनी को बिहार के छपरा जिले में बेचा गया है. इस सूचना के बाद एसपी के निर्देश पर विशेष टीम बनाई गई. टीम सोमवार को अमनौर पहुंची और स्थानीय थाना पुलिस व छपरा वन विभाग के सहयोग से हथिनी को रेस्क्यू किया.
कीमत और सौदेबाजी का हुआ खुलासा
मामले में बड़ा खुलासा यह हुआ कि जिस हथिनी की कीमत एक करोड़ रुपये आंकी गई थी, उसे मात्र 27 लाख रुपये में बेच दिया गया. जांच में सामने आया कि हथिनी को मूल रूप से नरेंद्र कुमार शुक्ला ने तीन अन्य साझेदारों के साथ मिलकर 40 लाख रुपये में खरीदा था. लेकिन शुक्ला की जानकारी के बिना बाकी तीन साझेदारों ने महावत के साथ मिलकर हथिनी को बेचने की साजिश रच डाली. जिसके बाद उसे 27 लाख रुपए में बेच दिया.
महावत और तीनों पार्टनरों की मिलीभगत से हथिनी को गुप्त रूप से बिहार ले जाया गया. शिकायतकर्ता नरेंद्र शुक्ला को इस सौदे की भनक तक नहीं लगी. जब हथिनी नहीं मिली, तब उन्होंने थाने में आवेदन देकर पूरी चोरी की बात उजागर की.
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