कैसे जारी होता है स्मारक सिक्का एवं डाक टिकट?

कैसे जारी होता है स्मारक सिक्का एवं डाक टिकट?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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प्रधानमंत्री मोदी  ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी समारोह के मौके पर स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी किया है। आजादी के इतिहास में पहली बार है जब संघ के लिए डाक टिकट और सिक्का जारी किया गया है। दिल्ली के डॉय अंबेडकर इंटरनेशनल सेंटर में RSS के शताब्दी समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें पीएम मोदी मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। इस दौरान पीएम मोदी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को खास सौगात दी।

कैसे जारी होता है सिक्का और डाक टिकट?

भारत में किसी के नाम पर डाक टिकट और सिक्का जारी करने की दो अलग-अलग प्रक्रियाएं होती हैं, जो मुख्य रूप से सरकार द्वारा नियंत्रित होती हैं। डाक टिकट आम तौर पर डाक विभाग द्वारा जारी किए जाते हैं, वहीं सिक्के भी सरकार के अधीन संस्था ही जारी करती है। लेकिन इसके लिए विशेष प्रक्रिया होती है।

सबसे पहले बात डाक टिकट के बारे में करते हैं कि आखिर किसी व्यक्ति विशेष के नाम पर डाक टिकट कैसे जारी होता है? तो किसी व्यक्ति के नाम से डाक टिकट जारी करने के लिए आमतौर पर एक स्मारक डाक टिकट ही जारी किया जाता है। इसके लिए सरकार या डाक विभाग को एक प्रस्ताव बनाकर भेजा जाता है, इसमें उस व्यक्ति के बारे में जानकारी दी जाती है, जिसमें उस व्यक्ति के बारे में डाक टिकट जारी करना है।

प्रस्ताव में सबसे पहले व्यक्ति का नाम, उसका महत्व और इस बात का उल्लेख होना भी जरूरी है कि क्या इस व्यक्ति पर पहले भी कोई डाक टिकट जारी हुआ है या फिर नहीं। अगर पहले से किसी व्यक्ति के नाम से डाक टिकट जारी हुआ है तो फिर उसके नाम से डाक डिकट जारी नहीं होगा। भेजे गए प्रस्तावों की डाक विभाग की पीएसी कमेटी समीक्षा करती है और फिर निर्णय होता है कि किसी व्यक्ति के नाम से डाक टिकट जारी होगा या नहीं।

डाक टिकट के लिए योग्यता?

आपको बता दें कि डाक टिकट जारी करने से पहले व्यक्ति की योग्यता भी देखी जाती है। आमतौर पर किसी व्यक्ति की मौत के 10 साल बाद ही डाक टिकट जारी किया जा सकता है, लेकिन कुछ मामलों में इसे अपवाद भी माना जाता है। जैसे- राष्ट्रपति,प्रधानमंत्री, स्वतंत्रता संग्राम सैनानी। इन सभी मानकों को पूरा करने के बाद अंतिम रूप से निर्णय संचार मंत्रालय लेता है कि जिस व्यक्ति के नाम पर टिकट जारी हो रहा है वह वैध है या नहीं।

कैसे जारी होता है स्मारक सिक्का?

स्मारक सिक्का जारी करने के लिए भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अंतर्गत भारत टकसाल विभाग द्वारा फैसला लिया जाता है। किसी के नाम या चिन्ह पर सिक्का जारी करने के लिए राज्य सरकार या वैधानिक संगठन के नाम से सिक्का जारी करवा सकते हैं, जिसके लिए वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजा जाता है।

सिक्के आमतौर पर किसी विशेष अवसरों या महत्वपूर्ण घटनाओं को मनाने के लिए भी जारी किए जाते हैं। किसी ऐतिहासिक व्यक्ति के नाम से सिक्का जारी करने के लिए भी वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव भेजकर अनुमोदन लिया जाता है। आपको बता दें कि ये सिक्के आम तौर पर बाजार में नहीं चलते बल्कि इन्हें संग्रहालयों में रखा जाता है।

स्मारक सिक्का कैसे खरीदे?

आप स्मारक सिक्का Spmcil की वेबसाइट पर जाकर खरीद सकते हैं। इसके लिए पहले आपको रजिस्ट्रेशन करना होगा फिर बिक्री के उपलब्ध सिक्कों को देखना होगा। आप जो भी सिक्का खरीदना चाहते हैं उसका ऑनलाइन मूल्य भुगतान कर खरीद सकते हैं। कुछ हाई प्राइज सिक्के RBI की वेबसाइट से भी खरीदे जा सकते हैं।

  • 100 साल पहले RSS की स्थापना संयोग नहीं था: PM ने कहा, अन्याय पर न्याय, अंधकार पर प्रकाश की जीत… यह भारतीय संस्कृति के विचार और विश्वास का कालजयी उद्घोष है। ऐसे महान पर्व पर 100 साल पहले RSS की स्थापना संयोग नहीं था। ये हजारों साल की परंपरा का पुनरुत्थान था, जिसमें राष्ट्र चेतना समय-समय पर उस युग की चुनौतियों का सामना करने के लिए नए अवतारों में प्रकट होती है। संघ उसी अनादि राष्ट्र चेतना का पुण्य अवतार है।
  • संघ और स्वयंसेवकों का एक ही उद्देश राष्ट्र प्रथम: समाज के कई क्षेत्रों में संघ लगातार काम कर रहा है। संघ की एक धारा, बंटती तो गई, लेकिन उनमें कभी विरोधाभास पैदा नहीं हुआ, क्योंकि हर धारा का उद्देश्य, भाव एक ही है, राष्ट्र प्रथम। अपने गठन के बाद से ही RSS विराट उद्देश्य लेकर चला राष्ट्र निर्माण, इसके लिए जो रास्ता चुना। व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जो पद्धति चुनी वह थी शाखा।
  • RSS दशहरा से अपना शताब्दी वर्ष कार्यक्रम शुरू कर रहा है। इसके तहत 2 अक्टूबर 2025 से 20 अक्टूबर 2026 तक देशभर में सात बड़े कार्यक्रम आयोजित होंगे। इसके अलावा संघ प्रमुख मोहन भागवत अमेरिका और यूरोप के कुछ देशों में कार्यक्रमों में शामिल हो सकते हैं।
  • संघ की एक धारा,बंटती गई, राष्ट्र निर्माण करती गई 

    पीएम ने कहा, “जिन रास्तों में नदी बहती है,उसके किनारे बसे गांवों को सुजलाम् सुफलाम् बनाती है। वैसे ही संघ ने किया। जिस तरह नदी कई धाराओं में अलग अलग क्षेत्र में पोषित करती है,संघ की हर धारा भी ऐसी ही है। समाज के कई क्षेत्रों में संघ लगातार काम कर रहा है। संघ की एक धारा बंटती तो गई, लेकिन उनमें कभी विरोधाभास पैदा नहीं हुआ, क्योंकि हर धारा का उद्देश्य, भाव एक ही है, राष्ट्र प्रथम। अपने गठन के बाद से ही RSS विराट उद्देश्य लेकर चला राष्ट्र निर्माण, इसके लिए जो रास्ता चुना, व्यक्ति निर्माण से राष्ट्र निर्माण, जो पद्धति चुनी वह थी शाखा।

    उन्होंने कहा, “हेडगेवार जी कहते थे, जैसा है वैसा लेना है, जैसा चाहिए वैसा बनाना है। लोकसंग्रह का तरीका समझना है तो कुम्हार को देखते हैं। जैसे ईंट पकाना है तो पहले मिट्‌टी लाता है, आकार देता है, खुद भी तपता है, ईंट भी तपाता है। ऐसे ही हेडगेवार जी बिल्कुल सामान्य व्यक्ति को चुनकर देश के लिए तैयार करते थे। संघ के बारे में कहा जाता है कि इसमें सामान्य लोग मिलकर असामान्य काम करते हैं। संघ ऐसी भूमि है, जहां से स्वयं सेवक की अहं से वयं की यात्रा शुरू होती है। शाखा में व्यक्ति का सामाजिक, मानसिक विकास होता है। उनके मन में राष्ट्र निर्माण का भाव पनपता रहता है।

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