शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर सोमवार को मनाई जाएगी।

शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर सोमवार को मनाई जाएगी।

श्रीनारद मीडिया, दारौंदा, सिवान (बिहार)।

सिवान जिला सहित दारौंदा प्रखण्ड के विभिन्न क्षेत्रों में
शरद पूर्णिमा 6 अक्टूबर सोमवार को मनाई जायेगी।

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क्योंकि 6 अक्टूबर सोमवार को पूर्णिमा दिन में 11:25 बजे से शुरू हो रही हैं और 7 अक्टूबर को दिन में 9:34 तक रहेगी। इसलिए रात्रि व्यापिनी पूर्णिमा मिल रही हैं।

शरद पूर्णिमा आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को मनाई जाती हैं। आश्विन महीने की इस पूर्णिमा को “शरद पूर्णिमा”,
“कोजागरी पूर्णिमा”, “रास पूर्णिमा” और “आश्विन पूर्णिमा” के नाम से भी जाना जाता हैं।
सभी पूर्णिमा में शरद पूर्णिमा का खास महत्व है।
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन चन्द्रमा की किरणों से अमृत की बूंदे झरती हैं। इसलिए शरद पूर्णिमा की रात में खीर बनाकर पूरी रात चन्द्रमा की रोशनी में खीर को रखा जाता हैं और प्रातः काल यह खीर प्रसाद के रूप में ग्रहण की जाती हैं। जिससे शरीर से रोग दूर होते हैं साथ ही जिन जातक की कुंडली में चन्द्रमा कमजोर है, उन्हें इस खीर का सेवन जरूर करना चाहिए।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा के दिन भगवान कृष्ण गोपियों के संग रास रचाया था। इसीलिए इसे “रास पुर्णिमा” या “कौमुदी व्रत” भी कहते हैं।

वही दूसरी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन मध्य रात्रि में माता लक्ष्मी अपने कर कमलों में वर और अभय लिए धरती लोक पर भ्रमण करने के लिए आती हैं और मन ही मन संकल्प करती हैं। अपने भक्तों पर अपनी कृपा बरसाती हैं। इसीलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा कहते हैं।

पूरे वर्ष में चन्द्रमा केवल इसी दिन सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता हैं।
शरद पूर्णिमा पर चांद की रोशनी में रखी खीर खाने का विशेष महत्व बताया गया है।शरद पूर्णिमा की रात चांदनी में खीर रखने की परम्परा है। माना जाता हैं कि चांद कि किरणों से खीर में अमृत का रस घुल जाता हैं।

इस रात्रि को चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है। आज की रात शुद्ध दूध से घी शर्करायुक्त खीर को मिट्टी या चांदी के पात्र में पूर्ण चन्द्रमा की अमृतोमय चांदनी में रख दिया जाता है और प्रसाद स्वरूप ग्रहण किया जाता हैं। इस अमृत वर्षा से सिक्त खीर में अनेक रोगों को दूर करने की शक्ति होती हैं।

इस दिन धन की देवी माता लक्ष्मी और भगवान विष्णु की प्रतिमा को स्थापित करके भिन्न भिन्न उपचारों से पूजन अर्चन करने का विधान हैं। सायंकाल में 5 या 11 घी के दीपक जलाएं। इस दिन तामसिक भोजन का सेवन निषेध माना गया हैं।

इस दिन पूजा करने से मन शांत होता है। शरद पूर्णिमा आध्यात्मिक विकास के लिए एक अच्छा अवसर है। इस दिन एक दीपक जलाए। इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है और जीवन में आने वाली परेशानियों से छुटकारा मिलती हैं।

शरद पूर्णिमा की रात बहुत खास मानी जाती हैं क्योंकि इस रात चांद पूरी तरह से चमकता है यानि कि चांद 16 कलाओं से पूर्ण रहता हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन पूजा करने से घर में सुख-समृद्धि आती हैं और चांदनी रात में रखी गई खीर खाने से स्वास्थ्य लाभ होता हैं।

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