‘वोट चोरी’ की जांच के लिए SIT गठित नहीं होगी-सुप्रीम कोर्ट
कर्नाटक चुनाव को लेकर राहुल गांधी ने लगाया था ‘वोट चोरी’ का आरोप
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

कांग्रेस सांसद और नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने कुछ समय पहले कर्नाटक चुनाव में धांधली का आरोप लगाया था। बेंगलुरु सेंट्रल समेत कई विधानसभाओं में ‘वोट चोरी’ का दावा किया गया था, जिसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। हालांकि, अदालत ने इस याचिका को सिरे से खारिज कर दिया है।
सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिक में रिटायर्ड जस्टिस की अगवाई में स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम (SIT) बनाने की मांग की गई थी, जो इस पूरे मामले की जांच करती। मगर, सर्वोच्च न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह मामला चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए चुनाव आयोग के सामने यह मुद्दा उठाना चाहिए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- हमने याचिकाकर्ता के वकील की बात सुनीं। कथित तौर पर यह याचिका जनहित में दायर की गई है, लेकिन हम ऐसी किसी भी याचिका पर सुनवाई नहीं करेंगे। याचिकाकर्ता यह मामला चुनाव आयोग के समक्ष उठा सकते हैं।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता का पक्ष रखते हुए एडवोकेट रोहित पांडे ने कहा, चुनाव आयोग से इसकी शिकायत की गई थी, लेकिन मामले पर कोई कदम नहीं उठाया गया। मगर, कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया।
राहुल गांधी ने लगाया था आरोप
बता दें कि 7 अगस्त को राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करते हुए कर्नाटक चुनाव में धांधली का दावा किया था। उन्होंने सत्तारूढ़ पार्टी बीजेपी पर ‘वोट चोरी’ करने का भी आरोप लगाया था। राहुल गांधी के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने उन्हें 7 दिन के भीतर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था। चुनाव आयुक्त का कहना था कि अगर उन्होंने ऐसा नहीं किया, तो उन्हें खुद अपने आरोपों को निराधार मानना होगा।
‘वोट चोरी के सभी आरोप बेबुनियाद’
अब चुनाव आयोग से जुड़े सूत्रो ने कहा कि वह शुरू से ही कहते आ रहे है की वोट चोरी के सभी आरोप बेबुनियाद हैं. आयोग के सूत्रों ने कहा कि बिहार में मतदाता सूची की प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी और निष्पक्ष तरीके से की गई है. चुनाव आयोग पूरी तरह निष्पक्ष होकर अपना काम कर रहा है. बिहार में Summary Intensive Revision (SIR) प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता के साथ पूरी की गई है.
आयोग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि बिहार में फाइनल मतदाता सूची प्रकाशित होने के बाद से अब तक किसी तरह की कोई अपील या आपत्ति नहीं आई है. जो भी दावे और आपत्तियां दर्ज हुई थीं, उनका समाधान नियमानुसार किया गया. किसी भी मतदाता का नाम गलत तरीके से नहीं काटा गया.
दलीलों को अपर्याप्त बताते हुए यह याचिका खारिज
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता की दलीलों को अपर्याप्त बताते हुए यह याचिका खारिज कर दी. कोर्ट ने कहा कि मतदाता सूची के अद्यतन और संशोधन की प्रक्रिया चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आती है और जब तक कोई ठोस सबूत न हो, उस पर सवाल नहीं उठाया जा सकता.
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जॉयमाला बागची ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि यह मामला चुनाव आयोग के अधिकार क्षेत्र में आता है, इसलिए चुनाव आयोग के सामने यह मुद्दा उठाना चाहिए.
याचिकाकर्ता ने कहा था कि उसने चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए यह याचिका दाखिल की है. कोर्ट मतदाता सूची के स्वतंत्र ऑडिट का आदेश दे. साथ ही चुनाव आयोग से कहे कि इस ऑडिट के पूरा होने तक वह मतदाता सूचियों में कोई बदलाव न करे. कोर्ट भविष्य में वोटर लिस्ट तैयार करने, उसके रखरखाव और प्रकाशन में पारदर्शिता के लिए जरूरी निर्देश भी दे.
गौरतलब है कि इससे पहले मद्रास हाईकोर्ट ने भी “वोट चोरी” के आरोपों से जुड़ी एक याचिका को खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया था. हाईकोर्ट ने तब कहा था कि ऐसे आरोप बिना सबूत के लगाना न सिर्फ़ चुनाव आयोग की साख को ठेस पहुंचाता है, बल्कि लोकतांत्रिक संस्थाओं पर भी अविश्वास फैलाता है.


