बिहार चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार ने आपका ध्यान खींचा है,कैसे?

बिहार चुनाव में एक निर्दलीय उम्मीदवार ने आपका ध्यान खींचा है,कैसे?

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में अचानक से ‘जंजीर’ की चर्चा में है हालांकि, बिहार की राजनीति का ‘जंजीर’ से पुराना नाता है. जंजीरों में जकड़े एक निर्दलीय उम्मीदवार ने देश के कद्दावर नेता रहे जॉर्ज फर्नांडीस की याद दिला दी है. आपातकाल खत्म होने के बाद जेल से मुजफ्फरपुर लोकसभा का चुनाव जेल से लड़े और जीते.

उस वक्त तिहाड़ जेल जाते समय जॉर्ज की एक तस्वीर सुर्खियों में आयी थी, जिसमें वह हाथ में लगी हथकड़ी दिखा रहे थे. तीसहजारी कोर्ट में पेशी से पहले यह संदेश था उनके संघर्ष का. सरकार का विरोध जारी रखने का. आजाद भारत में जेल से चुनाव लड़ने और जीतने वाले जॉर्ज देश के पहले नेता बने थे.

‘जंजीर में जकड़ा’ शिवहर विधानसभा का उम्मीदवार

जॉर्ज फर्नांडीस की याद आयी, क्योंकि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में एक उम्मीदवार ने खुद को जंजीरों में जकड़ रखा है. समर्थकों के साथ प्रचार अभियान पर निकल पड़ा है. हालांकि, न तो उसकी गिरफ्तारी हुई है, न ही किसी जुर्म में उसे जंजीरों में जकड़ा गया है. उम्मीदवार ने खुद को जंजीरों में जकड़ा है. इसकी अपनी कहानी है. यह संजय संघर्ष सिंह का अपना संघर्ष है. ‘जंजीर में जॉर्ज’ की भी एक कहानी थी, उनकी कुछ मांगें थीं. बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में निर्दलीय प्रत्याशी संजय संघर्ष सिंह की भी अपनी कहानी है. अपनी मांगों के समर्थन में जंजीर धारण किया है.

संजय संघर्ष सिंह खुद को जंजीरों में जकड़ कर रहे प्रचार

अभी बिहार में जिस शख्स ने खुद को जंजीरों में जकड़ रखा है, उसका नाम है संजय संघर्ष सिंह. शिवहर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. निर्दलीय उम्मीदवार हैं. लोगों को बता रहे हैं कि शिवहर विधानसभा क्षेत्र भी समस्याओं की जंजीरों में जकड़ा है. शिवहर को इससे मुक्ति दिलाना है.

जंजीर में जकड़े उम्मीदवार अलग अंदाज में मांग रहे वोट

संजय संघर्ष सिंह समर्थकों के साथ जंजीरों में जकड़ी अवस्था में घर से निकलते हैं. दाढ़ी बढ़ी हुई है. संजय लोगों को बताते हैं कि वह बागमती नदी के अदौरी खोरी पाकड़ घाट पर पुल का निर्माण कराना उनका उद्देश्य है. इसलिए चुनाव लड़ रहे हैं. जब तक पुल का निर्माण नहीं होगा, वह चुनाव लड़ते रहेंगे. संजय को वर्ष 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में निर्वाचन आयोग की ओर से ‘जंजीर’ चुनाव चिह्न आवंटित हुआ था.

जब तक पुल नहीं बनेगा, तब तक लड़ता रहूंगा चुनाव – संजय

बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में संजय चुनाव हार गये थे. फिर भी उन्होंने अपने चुनाव चिह्न जंजीर को नहीं छोड़ा. ग्रामीणों की सलाह से तब उन्होंने अपने गांव के ब्रह्म स्थान में जंजीर को सुरक्षित रख दिया था. तब प्रण लिया था कि अगली बार खुद को इसी जंजीर में जकड़कर चुनाव प्रचार करेंगे. उस प्रण पर अब तक टिके हुए हैं. कहते हैं कि वह चुनाव जीतेंगे, तो सबसे पहले पुल का निर्माण करायेंगे और लोगों को समस्या की जंजीरों से मुक्ति दिलवायेंगे. जब तक पुल नहीं बनेगा, तब तक चुनाव लड़ते रहेंगे. दाढ़ी भी नहीं कटवायेंगे.

शिवहर विधानसभा सीट से एनडीए-इंडिया ने किसे उतारा

शिवहर विधानसभा सीट पर एनडीए की ओर से जदयू की श्‍वेता गुप्‍ता चुनाव लड़ रहीं हैं, तो इंडिया गठबंधन की ओर से राजद ने यहां नवनीत झा को अपना उम्मीदवार बनाया है. श्वेता गुप्ता बनिया हैं, तो नवनीत झा ब्राह्मण जाति से आते हैं.

पहले चरण के चुनाव की हाई प्रोफाइल सीटें कौन-कौन सी हैं?

पहले चरण में जिन सीटों पर मतदान होना है, उनमें पटना साहिब, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, आरा, बेगूसराय और वैशाली जैसी हाई-प्रोफाइल विधानसभा सीट शामिल हैं.

बिहार विधानसभा चुनाव कब होंगे? कब आयेंगे परिणाम?

bihar election 2025 date: बिहार में इस बार 2 चरणों में चुनाव कराये जा रहे हैं. 6 और 11 नवंबर को क्रमश: 121 और 122 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी. 14 नवंबर को बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर एक साथ मतगणना होगी. उसी दिन देर शाम तक सभी सीटों के परिणाम आ जाने की उम्मीद है.

कितने लोग लड़ रहे हैं बिहार विधानसभा चुनाव 2025?

1,314 लोग बिहार विधानसभा चुनाव 2025 लड़ रहे हैं. 1,690 उम्मीदवारों ने किया था नामांकन, 315 प्रत्याशियों के नामांकन रद्द कर दिये गये और 61 उम्मीदवारों ने अपने नाम वापस ले लिये.

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 : पहले चरण में कितने जिले में होगी वोटिंग?

बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के पहले चरण में 18 जिलों में वोटिंग होगी. इन 18 जिलों में मधेपुरा, सहरसा, दरभंगा, मुजफ्फरपुर, गोपालगंज, सीवान, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, बेगूसराय, खगड़िया, मुंगेर, लखीसराय, शेखपुरा, नालंदा, पटना, भोजपुर और बक्सर जिले शामिल हैं.

 

 

 

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