गुरुजी की स्मृतियों को नमन- संजय सिंह

गुरुजी की स्मृतियों को नमन- संजय सिंह

गुरु घनश्याम शुक्ल के जन्म जयंती पर विशेष

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सीवान जिले में दक्षिण के मालवीय के नाम से विख्यात थे‌ शुक्ल जी

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

गुरुजी की जन्मतिथि है आज। इस दिन को गांव उत्सव के रूप में मनाता है। तीन दिनों के उत्सव में शैक्षिक,खेल कूद और सांस्कृतिक प्रतिस्पर्धाएं होती हैं । स्कूली बालिकाओं पर केंद्रित । चुनाव के कारण इस बार यह उत्सव 21,22 और 23 दिसंबर को निर्धारित हुआ है । आज के दिन उनके द्वारा स्थापित प्रभा प्रकाश डिग्री कॉलेज के परिसर में उनके विद्यार्थियों,सहयोगियों और कॉलेज के कार्मिकों द्वारा उन्हें याद किया गया । एक विचार गोष्ठी का भी आयोजन हुआ ।

मतदान की पूर्व संध्या पर उन्हें स्मरण करते हुए कुछ स्मृतियां साझा करना चाहता हूं ।

गुरुजी स्वयं को विशुद्ध रूप से राजनीतिक व्यक्ति मानते थे । उनका मानना था कि लोकतान्त्रिक संरचना में सकारात्मक बदलाव का सबसे सशक्त माध्यम राजनीति है । इसमें अच्छे लोगों को आना चाहिए । स्वतंत्रता के तुरंत बाद राजनीति में सक्रिय कई नायकों का उदाहरण देते हुए तार्किक रूप से अपनी बात रखते । युवावस्था की दहलीज पर खड़े मेरे जैसे नौजवानों के लिए उनका दुआर भारत की संस्कृति, भारत की राजनीति और भारत के समाज को वैश्विक संदर्भों के साथ समझने के लिए एक अड्डा था जहां रोज शाम को घंटों जमघट होती ।

लोहिया और जेपी से प्रभावित समाजवादी थे । धर्म के पाखंड और जातीय असमानता के स्पष्ट विरुद्ध । संवैधानिक मूल्यों में अटूट विश्वास था । अंत्योदय की अवधारणा बताते हुए दीनदयाल उपाध्याय के करीब दिखते । गांधी का सत्याग्रह उनका अमोघ अस्त्र था ।

बिहार सहित सिवान की राजनीति में अपराधियों के बढ़ते वर्चस्व को लेकर उनकी चिंता थी । जिसे खुलकर व्यक्त करते थे । विल्फ्रेड परेटो के सर्कुलेशन ऑफ एलाइट सिद्धांत की अक्सर चर्चा करते हुए कहते थे कि “सत्ता आवते शेर लोमड़ी बन जाला हो । उ सबकुछ भुलाके आपन सत्ता बचावे में लगा जाला । मंडल के बाद जवन राजनीतिक बदलाव भइल, ओकरा से वंचित समाज में उम्मीद के आस जागल बाकिर ओकर मसीहा लो अपना परिवार के इर्द गिर्द केंद्रित हो गइल। सत्ता कायम रखे खातिर राजनीति के अपराधीकरण भइल जवन लगातार बढ़ल जाता ।”

उनके सहयोगी जब विकल्प के बारे में पूछते उनका जवाब होता मुख्य धारा के विकल्पों में जो सबसे बेहतर हो उसके साथ खड़े रहें । राजनीति में आदर्श स्थिति कभी नहीं आती लेकिन विकल्प हमेशा मौजूद रहता है ।

गुरुजी की स्मृतियों को नमन करते हुए उनकी जन्मतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि व्यक्त करता हूं । नमन गुरुदेव !

आभार- संजय सिंह

 

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