बिहार में एनडीए के जीत के मायने

बिहार में एनडीए के जीत के मायने

वर्ष 2026 में होने वाले चुनावों में इसका प्रभाव पड़ेगा

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निरंतर की प्रतिष्ठा व लोकतंत्र का यश

प्रशासन का अहर्निश कार्य एवं निष्पक्षता

✍🏻 राजेश पाण्डेय

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

बिहार में 18वीं विधानसभा के लिए चुनाव नवंबर 2025 महीने में हुआ।17वीं विधानसभा का कार्यकाल 22 नवम्बर को समाप्त हो रहा है।
भारत के निर्वाचन आयोग, पुलिस प्रशासन एवं सामान्य प्रशासन की भूरि- भूरि प्रशंसा करनी होगी जिन्होंने निष्पक्ष, शांतिपूर्ण चुनाव कराया एवं लोकतंत्र में आम व्यक्ति की आस्था व विश्वास को और प्रगाढ़ किया है। सुप्रीम कोर्ट में लगातार याचिका दायर करके चुनाव को प्रभावित करने की कोशिश की गई।

परन्तु इस बार चुनाव दो चरणों में हुआ, पहले चरण का चुनाव 18 जिलों में 121 सीटों पर 6 नवंबर 2025 को हुआ जबकि द्वितीय चरण का चुनाव 11 नवंबर को 20 जिलों के 122 सीटों पर चुनाव हुआ। मतगणना 14 नवम्बर को हुआ। प्रत्येक जिलों में 18000 से 20000 सशस्त्र बलों की तैनाती मतदान केंद्रों पर की गई। शांतिपूर्ण ढंग से चुनाव संपन्न हुए।

पिछले चुनाव से इस बार लगभग 10% तक अधिक मतदान हुआ, परन्तु सबसे बढ़कर महिलाओं ने अधिक वोट किया। एक आंकड़े की माने तो 46 लाख महिलाओं ने पुरुषों के मुकाबले अधिक मतदान किया है। विपक्षी दलों की माने तो इस चुनाव को पहले ही निर्वाचन आयोग भारत सरकार ने जीता दिया था क्योंकि उसने 65 लाख मतदाताओं के नाम मतदाता सूची से हटा दिया था।

ऐसे में लगभग 5000 से अधिक मतदाताओं का नाम प्रत्येक विधानसभा की सूची से हटा दिया गया। यही‌ वे फर्जी मतदाता थे जो बोगस वोटिंग करते थे।कांग्रेस पूरे मनोयोग से चुनाव नहीं लड़ि वहीं अंतिम समय में महा गठबंधन के राष्ट्रीय जनता दल को भी लगा कि मैं चुनाव नहीं जीत पाऊंगा ऐसे में उसने गंभीर प्रत्याशियों को चुनावी टिकट नहीं सौंपा।

जीत का कारण-
– मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का बेदाग चेहरा,
– पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पूरे देश की सुरक्षा और उनका औरा,
– मोदी का कार्य एवं उनकी बातें जनता के दिल में जगह बनाया,
– प्रदेश में चल रहे सुशासन की निरंतरता को जनता ने पसंद किया,
– नीतीश के मुकाबले तेजस्वी का कद लोगों को पसंद नहीं आया,
– नीतीश कुमार की बीमारी को लेकर फैलाया गया अफवाह जनता को रास नहीं आया,
– प्रशांत किशोर का निरंतर नीतीश कुमार एवं मोदी पर प्रहार एकदम से बेकार हो गया,
– चल रही योजनाएं एवं लाभप्रद योजनाओं से जनता का अतिशय लगाव है,
– भाजपा व जदयू के कार्यकर्ताओं का समन्वय, एकजुटता, एक दूसरे के विधानसभा में काम करना सबसे बड़ी उपलब्धि रही,
– उम्मीदवारों के चयन में भरोसा व संयम भी महत्वपूर्ण कदम रहा।

 

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