बिहार में सरकार गठन पर दिल्ली में मंथन

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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बिहार में नीतीश कुमार के नेतृत्व में एनडीए की नई सरकार के गठन पर मंगलवार को दिल्ली में मंथन हुआ। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर भाजपा और जदयू के वरीय नेताओं की बैठक हुई। इसमें एनडीए विधायक दल की बैठक, शपथ ग्रहण समारोह के अलावा नई सरकार में मंत्रिमंडल के सदस्यों के नामों पर भी चर्चा की गई।

शाह के दिल्ली आवास पर हुई बैठक में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) के कार्यकारी अध्यक्ष संजय झा, केंद्रीय मंत्री ललन सिंह समेत एनडीए के वरीय नेता मौजूद रहे।

बताया जा रहा है कि इस बैठक में भाजपा, जदयू और अन्य घटक दलों से कितने और कौन-कौन से मंत्री बनाए जाने हैं, उस पर चर्चा की गई। इसके अलावा शपथ ग्रहण समारोह और सरकार गठन से जुड़ी अन्य बातों पर भी मंथन किया गया। बता दें कि 20 नवंबर को नीतीश सरकार का शपथ ग्रहण होगा।

पटना के गांधी मैदान में इसके लिए भव्य समारोह का आयोजन किया जाना है। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत एनडीए के सभी शीर्ष नेता और विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री मौजूद रहेंगे। इससे पहले 19 नवंबर को एनडीए विधायक दल की बैठक होगी जिसमें नीतीश कुमार को नेता चुना जाएगा।

शपथ ग्रहण समारोह में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह भी शिरकत करेंगे। शाह एक दिन पहले यानी 19 नवंबर की शाम को ही पटना आ जाएंगे। शपथ ग्रहण से पहले पटना में वे भाजपा के नेताओं के साथ बैठक भी करेंगे। माना जा रहा है कि इसमें भाजपा से कौन-कौन मंत्री बनेगा, इस पर अंतिम मुहर लगाई जाएगी।

मंत्रिमंडल में एनडीए की किस पार्टी को कितने मंत्री पद मिलेंगे, इसका एक फॉर्मूला तय किया गया है। एनडीए में 6 विधायकों पर एक मंत्री पद का फॉर्मूला तय किया गया है। प्रत्येक घटक दल की मंत्रिमंडल में कितनी भागीदारी होगी, यह तय है। अब सिर्फ सवाल यह है कि किस पार्टी को कौन-कौन से विभाग मिलेंगे और किस पार्टी के किस नेता को मंत्री पद मिलेगा। हालांकि गृह मंत्रालय के बारे में तय है कि यह नीतीश कुमार हमेशा की तरह अपने पास ही रखेंगे। विधानसभा अध्यक्ष को लेकर फिलहाल स्थिति साफ नहीं है कि यह पद बीजेपी को मिलेगा या जनता दल यूनाईटेड (जेडीयू) को।

कानून-व्यवस्था अपने हाथ में रखना चाहते हैं नीतीश

बिहार में जब से एनडीए या महागठबंधन की बहुदलीय सरकारें बन रही हैं, तब से मंत्री पदों को लेकर बहुत खींचतान कभी नहीं हुई। हर बार गठबंधन के दलों के बीच एक फॉर्मूला बना लिया जाता है और उसके मुताबिक प्रत्येक घटक दल को उसकी सत्ता में हिस्सेदारी के हिसाब से मंत्री पद दे दिए जाते रहे हैं।

हालांकि साल 2005 से नीतीश कुमार बिहार के मुख्यमंत्री हैं, और हर बार गृह मंत्रालय उन्होंने अपने पास ही रखा है। गृह मंत्रालय सबसे अहम मंत्रालय होता है, जिसका कानून-व्यवस्था सहित राज्य के कई मामलों में दखल होता है। मुख्यमंत्री के बाद सबसे महत्वपूर्ण पद गृह मंत्री का ही होता है। नीतीश कुमार राज्य की कानून व्यवस्था को अपने नियंत्रण में ही रखना चाहते हैं, इसलिए वे हमेशा गृह मंत्रालय को अपने पास रखते हैं। इस मंत्रालय को अपने पास रखकर शायद वे भ्रष्टाचार पर अंकुश भी अपने पास रखना चाहते हैं।

मंत्री पदों के बंटवारे के लिए फॉर्मूला

बिहार सरकार की नई कैबिनेट के लिए दिल्ली में अमित शाह और नीतीश कुमार की बैठक में 6 विधायक पर 1 मंत्री का फार्मूला तय हुआ है। इस फॉर्मूले के तहत जेडीयू को 14, बीजेपी को 15 से 16, लोक जनशक्ति पार्टी -रामविलास (एलजेपी-आर) को 3, जीतनराम मांझी की पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (हम) को 1 और उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी को 1 मंत्री पद देने पर सहमति बनी है। मुख्यमंत्री का नाम तय होने के बाद पटना में कल एनडीए विधायक दल की बैठक होगी। इस बैठक में जेडीयू विधायक नीतीश कुमार के नाम का प्रस्ताव रखेंगे और बीजेपी सहित एनडीए के अन्य दल उस प्रस्ताव का समर्थन करेंगे।

विधानसभा अध्यक्ष पद को लेकर पेच फंसा

सूत्रों के मुताबिक नई सरकार में विधानसभा अध्यक्ष और गृह मंत्रालय को लेकर अब तक सहमति नहीं बनी है। बीजेपी विधानसभा अध्यक्ष का पद और गृह मंत्रालय चाहती है। जेडीयू इस बार विधानसभा अध्यक्ष के पद पर दावा कर रही है। उसका कहना है कि विधान परिषद में सभापति का पद पहले से बीजेपी के पास है। निवर्तमान विधानसभा में बीजेपी नेता नंद किशोर यादव स्पीकर थे और जेडीयू के नरेंद्र नारायण यादव ने डिप्टी स्पीकर थे।

बिहार की नई एनडीए सरकार को अंतिम रूप देने के लिए दिल्ली में गहन विचार-विमर्श हो रहा है। स्पीकर के पद और प्रमुख मंत्रालयों के आवंटन के मुद्दे पर मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ जेडीयू के नेता व केंद्रीय मंत्री राजीव रंजन सिंह (ललन सिंह) और संजय झा की बैठक हुई।

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