जीरादेई में सात दिवसीय श्रीमद भागवत कथा प्रारंभ
समाज के ऋण को उतारना मनुष्य का कर्तव्य
भगवान श्रीकृष्ण सम्पूर्ण नेता थे । कथा वाचक आदित्य कृष्ण
देशरत्न राजेंद्र बाबू भगवान श्रीकृष्ण के उपासक थे ।डा कृष्ण
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

सीवान जिला के जीरादेई प्रखण्ड मुख्यालय में रविवार को साथ दिवसीय श्रीमदभागवत कथा का आयोजन आरंभ हुआ । वृन्दावन के अंतराष्ट्रीय कथावाचक आदित्य कृष्ण गुरु जी ने भगवान श्री कृष्ण के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि भगवान श्री कृष्ण ने प्रत्येक नेतृत्व विविध परिस्थितियों में ,विविध लोगों के लिये कर के यह सिद्ध किया कि व्यक्ति समाज के ऋण को अपने सामान्य कार्यो व पूजन द्वारा उतार सकता है ।कथावाचक ने कहा कि श्री कृष्ण ने पांडवों का समर्थन इसलिये नहीं किया कि वे लोग उनके रिश्ते में भाई लगते थे या उनकी बहन सुभद्रा का विवाह अर्जुन से हुआ था या द्रौपदी के प्रति उनके ह्रदय में विशेष स्नेह था बल्कि समर्थन और उनका पथ प्रदर्शन एक बड़े उत्तरदायित्व के लिये किया ।
गुरु जी ने कहा कि उन्होंने उच्च कोटि के राजनयिक और परोपकारी नेतृत्व का प्रदर्शन महाभारत के महायुद्ध से पूर्व और उसके पश्चात किया ।श्री कृष्ण ने अपना नेतृत्व द्वारका या यादवों तक सीमित नहीं रखा ,बल्कि उन्होंने वैशिवक नेतृत्व की शानदार मिसाल पेश की ।गुरु जी ने कहा कि उन्होंने गांधार के शकुनि (वर्तमान अफगानिस्तान )की प्रत्येक कुटिल चाल को विफल किया ,कालयवन का वध बड़ी चतुराई से किया ,जो वर्तमान बलूचिस्तान का शक्तिशाली नरेश था ।उन्होंने नागों का प्रबन्ध किया जो आज के नागालैंड और म्यांमार है तथा घटोत्कच जैसे आदिवासी राजाओं की सहायता कठिन स्थितियों में प्राप्त की ।
कथावाचक ने कहा कि श्री कृष्ण के नेतृत्व ने आम जनता तथा उसके सभी वर्गों का प्रेम और सम्मान प्राप्त किया ,जो हमारे समाज के लिये अनुकरणीय व वंदनीय है । उन्होंने कहा कि भगवान श्री कृष्ण का जीवन दर्शन मानवीय विकास के लिये प्रेरणा का स्रोत है ।उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण सम्पूर्ण नेता थे जो अपने छह ईश्वरीय गुणों शक्ति ,धन ,ज्ञान ,सौंदर्य ,साफल्य
त्याग के कारण विभिन्न स्थानों पर नेतृव करते थे । कथावाचक ने कहा कि श्री कृष्ण के भीतर जो नेता था उसमें कार्यशील घटकों का अद्भुत समिश्रण था ।
उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण का नेतृत्व अधिक सामूहिक ,सबको अपने में समाहित करने वाला और आक्रामक था ,मानवीय धरातल पर उन्होंने सिद्ध किया कि सत्य की स्थापना हमेशा सत्य के मार्ग पर चलकर नहीं हो सकती । उन्होंने कहा कि श्री कृष्ण का संदेश साफ था कि आपको अपने अभिगम के प्रबन्ध कौशल को मजबूती से जमे हुए दुष्टों से निपटने हेतु बदलना ही होगा ।
प्राचार्य डा कृष्ण कुमार सिंह ने बताया कि देशरत्न डा राजेंद्र बाबू भगवान श्री कृष्ण के परम उपासक थे ।उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति भवन में भी भगवान कृष्ण की पूजा अर्चना करते थे वह प्रतिमा राष्ट्रपति भवन से लाकर जीरादेई में बाबू के आवास परिसर के समक्ष स्थापित श्री लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित है ।डा सिंह ने बताया कि बाबू के पैतृक संपत्ति के प्रबंधक स्व बच्चा बाबू बताते थे कि जब बाबू भगवान श्री कृष्ण की पूजा करते थे तो उस मूर्ति से बांसुरी का मधुर धुन निकलता था । यह मूर्ति बिड़ला जी बाबू को उपहार में दिए थे तथा जीरादेई में मंदिर का निर्माण भी बिड़ला ही कराए थे ।
इस मौके पर शिक्षाविद प्रशांत विक्रम , रामेश्वर सिंह , यजमान लाल बाबू प्रसाद ,मुखिया अक्षय लाल साह,विजय सिंह ,हरिकांत सिंह , संजय सिंह ,पंकज कुशवाहा ,राजन राज शालू ,विकास सिंह ,नीरज सिंह ,अमरजीत शर्मा , आदि उपस्थित थे ।
यह भी पढ़ें
जेपी की जन्मभूमि सिताब दियारा में लोक समिति की बैठक संपन्न
विशुनपुरा कला में जन सुराज पार्टी की समीक्षा बैठक में चुनावी रणनीति पर हुआ मंथन
केरल के पंचायत चुनाव में भाजपा जीता,कैसे?
मेसी के इवेंट में क्यों हुई अफरा-तफरी?
सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी राज कुमार गोयल देश के अगले मुख्य सूचना आयुक्त होंगे


