मौलाना मज़हरुल हक की जयंती के अवसर पर कवि सम्मेलन सह मुशायरे का आयोजन
श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):

सीवान नगर के पुराना किला स्थित साहित्यिक संस्था बज्मे शम्मे अदब के तत्वावधान में मौलाना मज़हरुल हक की जयंती के अवसर पर एक भव्य कवि सम्मेलन सह मुशायरे का आयोजन किया गया । जिसकी अध्यक्षता उस्ताद शायर कमर सिवानी ने की तथा संचालन हास्य कवि तंग इनायत पूरी ने किया । समारोह के मुख्य अतिथि पूर्व बिहार विधान सभा अध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम को प्रारंभ किया गया ।
उक्त अवसर पर श्री चौधरी ने कहा आज के परिवेश में जबकि दिलों में दूरियां पाटने वाले सक्रिय हैं, ऐसे में कवि शायर साहित्यकारों की अहम भूमिका है कलम के सिपाही समाज के आपसी संबंधों को मज़बूत करने का संदेश देते रहते हैं मै सभी अदबी साहित्यकारों का सम्मान करता हूं।
मुशायरे का आगाज़ अशरफ दाता नगरी के नातियां कलाम
सारे नबियों के हैं सरदार रसूले आरवी
दोनों आलम के हैं मुख्तार रसूले आरवी। से हुआ
उस्ताद शायर कमर सिवानी ने साबिक स्पीकर के सम्मान में अनेकों शेर कहा, उन्होंने कहा कोई बंजर जमी पर जा कर बो नहीं सकता
जो हीरा है वह चमकेगा, पत्थर हो नहीं सकता ।
फ़हीम जोगापुर ने कहा
कलाई मैंने दुनिया की मरोड़ी
बहुत चालाक निकली निगोडी।
मोईज बहनबरवी ने भी खूब कहा
किस कदर मुहब्बत उन्हें थी देश से
मौलाना मज़हरुल थे फखरे हिंदुस्तान।
तंग इनायत पूरी की तंज भी खूब चली
लगता है इस सदी का देवता हूं मैं
लोगों ने ढूंढ ढूंढ के कमियां निकाल दी।
डॉ अली असगर सिवानी की ग़ज़ल भी खूब सराही गई
पूछो न क्या हुआ है तुझे देखने के बाद
दिल हाथ से गया है तुझे देखने के बाद
मैं तो समझ रहा था मिलेगा शकुने दिल
दर्द और बढ़ गया है तुझे देखने के बाद
जाहिद सिवानी के मस्का भी खूब चला
सियासत के मंडी में अगर आइएगा
जहां जाइयेगा ठगे जाइयेगा।
सामी बहुवर्बी की गहरी सोच कुछ यूं रही।
जुबान पर लफ्जे सदाकत गले पर नेजा है
हमारा हाल अमाम हुसैन जैसा है
ज़ाहिर गोपाल पूरी ने पढ़ा
उनकी बस्ती में बनाऊंगा नया ताजमहल फ़िर हंसी रात में दीदार कराउंगा।
नूर सुलतानी ने एक सच उजागर किया।
वह गैरों की तरफदारी करेगा
अगर मतलब है तो यारी करेगा।
एडवोकेट अरशद सिवानी ने तो ग़ज़ल सुना कर सबको मंत्र मुग्ध कर दिया
रोज साया कोई आता है चला जाता है
अपना दुःख दर्द सुनाता है चला जाता है।
सफीर मखदूम ने भी ग़ज़ल का जादू जगाया।
मैं खेलता रहता हु हाथों की लकीरों से
बहलाता हूं दिल अपना किस्मत के आशीरों से
परवाना सिवानी की बुलबुला आवाज़ गूंज उठी
जिंदगी मुसीबतों में कटी थी
दर्द दिल में जगा गया कोई।
प्रोफेसर जया कुतवी भी ग़ज़ल के मामले में पीछे नहीं रहे
चाहतों की भीड़ में वह क्या से क्या हो जाएगा
एक दिन जो बा वफ़ा दिखता है बे वफ़ा हो जाएगा
जीनत प्रवीण जोया की भी भागेदारी खूब सराही गई।
अपनी उल्फत ये काम करती है
हर नज़र एहतराम करती है।
हैदर वारसी ने कहा
राज जो फांस हुआ तो समझा
सांप गर्दन में पाल रखा था।
कार्यक्रम के अंत में कवि शायर, साहित्यकारों को सम्मानित किया गया, तत्पश्चात समाज सेवी रेडियो स्नेही के संवाददाता डॉ अली असगर सिवानी शांति समिति सदस्य सिवान ने उपस्थित अतिथि गण को खुशबू लगा कर गत वर्ष की विदाई और अवगत की शुभ कामना व्यक्त किया, आखिर में संस्था बज्मे शम्मे अदब के संरक्षक वार्ड पार्षद शमसीर आलम ने उपस्थित कवि शायर साहित्यकारों और श्रोता गण का धन्यवाद अर्पित किया।
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