पटना में अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश, देश-विदेश में ट्रांजेक्शन करने वाले 13 साइबर ठग गिरफ्तार

पटना में अंतरराष्ट्रीय साइबर गिरोह का पर्दाफाश, देश-विदेश में ट्रांजेक्शन करने वाले 13 साइबर ठग गिरफ्तार

श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क

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पटना के गर्दनीबाग थाने की पुलिस ने साइबर ठग गिरोह के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। पटना, गयाजी से लेकर मुजफ्फरपुर में हुई छापेमारी के बाद सरगना सहित 13 साइबर ठगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनमें कुछ निजी बैंक के लोन एजेंट और एक कंप्यूटर इंजीनियर शामिल हैं। यह गिरोह पिछले एक साल से सक्रिय था। दो तरीके से ठगी करता था। एक एटीएम में कार्ड फंसाकर और दूसरा यह म्यूल अकाउंट्स के जरिए देश-विदेश में पैसों का लेनदेन करता था। अब तक तकरीबन 50 से 55 करोड़ रुपये से अधिक का संदिग्ध ट्रांजेक्शन सामने आ चुका है।

 

सूत्रों की मानें तो जांच में यह बात भी सामने आई कि गिरोह के खाते में पाकिस्तान, बांग्लादेश सहित अन्य देशों से क्रिप्टो करेंसी के माध्यम से भी कुछ रकम आई और ट्रांसफर किया जा रहा था। गिरफ्तार आरोपितों की पहचान मो. आमिर, मो. अमीर, मो. वकार, मो. जाहिद, नवनीत कुमार उर्फ सौरभ, सोनू कुमार, सुजीत कुमार, प्रभात रंजन कौतुक के रूप में हुई है, जो गयाजी बोधगया, सिविल लाइन, चंदौती, मुफसिल के निवासी है। वहीं, अन्य की पहचान फुलवारीशरीफ निवासी मो. खुशाम, सिपारा निवासी विशाल कुमार, वैशाली के राहुल कुमार, मुजफ्फरपुर के सत्यम कुमार और पश्चिम चंपारण निवासी सौरभ द्विवेदी के रूप में हुई है।

 

इनके पास 54 एटीएम कार्ड, 11 पासबुक, 23 मोबाइल सिम के साथ, 59 सौ नकद, दो चार पहिया वाहन, 28 चेकबुक, ब्लैंक चेक और दो पासपोर्ट भी मिले हैं। गेमिंग एप से ठगी कर म्यूल अकांउट से करते थे निकासी एसएसपी कार्तिकेय शर्मा ने गुरुवार को इन सभी की गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए बताया कि यह गिरोह दो तरह के साइबर फ्राड में सक्रिय था। पहला एटीएम कार्ड फ्राड और दूसरा गेमिंग ऐप के माध्यम से ऑनलाइन ठगी। बताया जा रहा है कि साइबर अपराधियों की कार्यप्रणाली सुनियोजित और तकनीकी रूप से उन्नत थी। चेन बनाकर काम करते थे।

 

गिरोह का मास्टरमाइंड सौरभ द्विवेदी है। सभी से पूछताछ की जा रही है। पुलिस अब इस गिरोह के नेटवर्क के बाकी सदस्यों की तलाश में छापेमारी कर रही है। गिरोह के पास से दो पासपोर्ट मिला है। दोनों पासपोर्ट के जरिये पुलिस पता कर रही दोनों विदेश में गए हैं या नही। एटीएम में ग्लू लगाकर ठगी एसएसपी के अनुसार, गिरोह के सदस्य एटीएम के कार्ड स्लाट में गोंद लगा देते थे, जिससे ग्राहकों के कार्ड फंस जाते थे। उसी समय गिरोह का एक सदस्य एटीएम बूथ में मौजूद रहता था, जो ग्राहक का एटीएम पिन देख लेता था। मशीन में कार्ड फंसने पर आरोपित पहले से चिपकाए गए फेक कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करने का सुझाव देते थे। कॉल रिसीव करने वाला व्यक्ति भी गिरोह का ही सदस्य होता था, जो मदद के बहाने कार्ड का क्लोन बनाकर खातों से पैसे निकाल लेता था। पुलिस ने जांच में पाया कि इस तरीके से गिरोह ने दर्जनों लोगों को निशाना बनाया। कई शिकायतें विभिन्न थानों में पहले से दर्ज थीं, जिन्हें अब एक साथ जोड़ दिया गया है। गेमिंग एप्लिकेशन के माध्यम से भी ठगी पुलिस की जांच में डिजिटल प्रमाणों के साक्ष्य भी मिले हैं।

 

उससे स्पष्ट हुआ है कि यह गिरोह ने गेमिंग एप्लिकेशन के माध्यम से भी ठगी को अंजाम दिया। इन एप में रुपये और वर्चुअल करेंसी का लेनदेन कर लोगों से पैसे ऐंठे जाते थे। आरोपियों के खातों में क्रिप्टो करेंसी के जरिये विदेशी ट्रांजेक्शन के साक्ष्य भी मिले हैं, जो भारत के बाहर से भेजे गए थे। शुरुआती जांच में पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए कुछ ट्रांजेक्शन की बात सामने आई है। बैंक एजेंट के जरिये कई म्यूल अकाउंट खुलवाए छानबीन में पता चला कि सौरभ इस पूरे नेटवर्क का मास्टरमाइंड है। पहले सूरत में काम करता था, लेकिन लाकडाउन के दौरान घर लौट आया था।

 

फिर वह अपने कम्प्यूटर इंजीनियर मित्र सत्यम कुमार की मदद से साइबर गिरोह से जुड़ गया। सौरभ ने बैंक एजेंट राहुल के जरिये कई म्यूल अकाउंट खुलवाए, जिनके जरिए ठगी की राशि को अलग-अलग खातों में ट्रांसफर की जाती थी, ताकि पुलिस उन तक ना पहुंच सके। राहुल समेत अन्य बैंक एजेंट गिरोह को बैंक डेटा और ग्राहक जानकारी उपलब्ध कराते थे। इन जानकारियों का इस्तेमाल कर गिरोह आसानी से स्कैम और फर्जी ई-वेरिफिकेशन जैसी गतिविधियों को अंजाम देता था। अबतक पुलिस की डिजिटल टीम ने कुछ लैपटाप और मोबाइल फोनों से महत्वपूर्ण डेटा भी रिकवर किया है, जिसकी फोरेंसिक जांच जारी है। पुलिस ने उन बैंकों को भी नोटिस भेजा है जिनके खातों के माध्यम से रकम का ट्रांसफर किया गया था

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