जीरादेई में पर्यटन की अपार संभावनाएं 

जीरादेई में पर्यटन की अपार संभावनाएं

तितिर स्तूप तथा देशरत्न के आवास परिसर एवं पार्क का विकास की पहल लौटा सकती है सिवान का गौरव!

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देश के पर्यटन मानचित्र पर आते ही सिवान में बहेगी खुशहाली और समृद्धि की बयार ।
आते है देश विदेश के पर्यटक ।

श्रीनारद मीडिया, सीवान (बिहार):


गणतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति देश रत्न डॉ राजेन्द्र प्रसाद का पैतृक आवास व तीतिर स्तूप पर्यटन का बड़ा हब बन सकता है ।यहाँ प्रतिवर्ष देश विदेश से पर्यटक आते रहते है जिससे जिले का राजस्व भी बढता है ।जामा पुर निवासी
पाठक आई ए एस कोचिंग सिवान के निदेशक गणेशदत्त पाठक ने बताया कि जीरादेई में पर्यटक आते रहते है जरूरत है इसे आकर्षक बनाने का ।उन्होंने कहा कि
देश के पर्यटन के मानचित्र में यह चमक उठेगा तथा यहाँ की जनता भी निहाल हो उठेगी।

शोधार्थी डा कृष्ण कुमार सिंह बताते हैं कि सिवान के जीरादेई प्रखण्ड के तितिरा टोले बंगरा में स्थित तितीर स्तूप का परीक्षण उत्खनन भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण, पटना अंचल के सहायक पुरातत्वविद शंकर शर्मा के नेतृत्व में 20 जनवरी, 2018 से 20 फरवरी, 2018 तक कराया गया, जिसमें प्रचुर मात्रा में पुरातात्विक साक्ष्य मिला । जैसे एंबीपीडब्ब्ल्यू,धूसर मृद्भांड, टेराकोटा की दर्जनों मूर्तियां ,स्टाम्प ,टेराकोटा के खिलौने , पीली मिट्टी से बना छोटा स्तूप जैसा आवरण ,शीशा की गोली ,छोटा शिलालेख (जिस पर किसी लिपि में कुछ अंकित है ), मौर्य कालीन ईंट से निर्मित स्तंभ। साथ ही, अन्वेषण के क्रम में मौर्य ,कुषाण व गुप्तकाल के मिश्रित ईंटो से निर्मित भवनावशेष तथा दो सौ फीट लम्बी दीवार की नींव तथा 30 फीट लम्बी 4 फीट चौड़ा दीवाल आदि महत्वपूर्ण साक्ष्य मिले हैं। इस स्थल की विशेष महता का खुलासा पटना में बिहार सरकार के कला एवम संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित इंडियन आर्किलॉजिकल सोसाइटी ,इंडियन प्री हिस्ट्री एवम क्वाटनारी सोसाइटी के त्रिदिवसीय संयुक्त अधिवेशन ( 6 से 8 फरवरी 2019)में हुआ। इसमें तितिर स्तूप के परीक्षण उत्खननकर्ता पुरातत्वविद शंकर शर्मा ने अपना आलेख प्रस्तुत किया, जिसका शीर्षक था “उतरी बिहार में पुरातात्विक उत्खनन में प्राप्त बाढ़ के अवशेष का प्रमाण “। श्री शर्मा ने बताया कि गत वर्ष 2018 में तितिरा,जीरादेई का परीक्षण उत्खनन में पुरातात्विक साक्ष्य के रूप में बाढ़ के स्तर का मिलना, पूरी उत्तरी बिहार के गुप्तयुगीन पुरातात्विक सन्निवेश के पतन के कारण को उजागर करता है। सहायक पुरातत्वविद शंकर शर्मा ने प्रतिवेदन में वर्णित किया है कि अन्वेषण के क्रम में जो भवन के अवशेष फर्श युक्त मिले, वह प्राचीन नालंदा के भवनाशेष से मेल खाते हैं ।

इस स्थल पर विदेशी बौद्ध भिक्षुओं की टीम सहित देश व प्रदेश के पर्यटक भी आते रहते हैं । यहाँ भगवान बुद्ध की पूजा व अर्चना की जाती है। इतने सारे प्रमाणों के बाद भी तितिर स्तूप के इतिहास को जानने, समझने का प्रयास अभी सतही स्तर पर ही है। सरकार तक संदेश पहुंचाने के लिए ज्ञापनों का सहारा लिया जा रहा है। प्रशासन के हर स्तर पर ज्ञापन आदि के माध्यम से दस्तक दी जाती रही हैं। अभी कल गत शनिवार को मियां के भटकन पंचायत के गोठी गांव में चांदी का भगवान बुद्ध की प्रतिमा मिली है तथा प्रचुर मात्रा में मृदभांड एवं गुप्त कालीन ईंट मिल रहे है ।शोधार्थी डा कृष्ण कुमार सिंह ने पुरातत्व विभाग के निदेशक ,मुख्य मंत्री बिहार ,पटना अंचल के पुरातत्व विभाग के क्षेत्रीय निदेशक तथा सिवान डीएम को मेल कर भगवान बुद्ध के चांदी के प्रतिमा को संरक्षित करने तथा स्थल को विधिवत परीक्षण कराने का निवेदन किया है । डा सिंह ने बताया कि बुद्ध की चांदी की प्रतिमा का वजन 75 ग्राम है तथा लंबाई 4 इंच तथा चौड़ाई 3.5 इंच है ।

गत शनिवार को सिवान डीएम विवेक रंजन मैत्रेय ने भी जीरादेई में कहा कि यहां पर्यटन की अपार संभावनाएं है तथा इसे और विकसित करने का प्रयास किया जा रहा है। डीएम को सिवान जिले के तथा भगवान बुद्ध के जीवन काल ,देशरत्न राजेंद्र प्रसाद का पैतृक क्षेत्र जीरादेई से संबंधित पुस्तक भी भेंट किया जा चुका है।

बौद्ध स्थल के रूप में सिवान का विकास बदल देगा मंजर ।

यदि सरकार तितिर स्तूप के बारे में खोज, उत्खनन के प्रभावी प्रयास करे और सत्य तक पहुंच जाया जाए तो सिवान का परिदृश्य ही बदल सकता है। सिवान के लोगों को अपने अतीत के गौरव पर गर्व तो होगा ही। प्रतिवर्ष लाखों पर्यटकों का आगमन सिवान के लिए खुशियों की बयार लायेगा। होटल, भोजनालय, परिवहन साधनों की आवश्यकता सिवान के विकास की एक नई गाथा लिख डालेगी। बेरोजगार युवाओं को स्थानीय स्तर पर मिलेगा रोजगार बाहर जाने की आवश्यकता को कम करेगा। आवश्यता है देशरत्न के पैतृक आवास व तितिर स्तूप का विकास करने का इससे इतिहास का संदर्भ ही नहीं बदलेगा, वर्तमान को भी गढ़ेगा और भविष्य तो शानदार होना ही हैं ।

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