बांग्लादेश की राजनीति में एक युग का अंत
श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

खालिदा जिया बांग्लादेश की राजनीति की एक बहुत ही मजबूत और चर्चित शख्सियत रही हैं. एक समय वह सिर्फ एक सैन्य अधिकारी की पत्नी थीं, लेकिन हालात ने उन्हें राजनीति में ला खड़ा किया और आगे चलकर वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. खालिदा जिया का जन्म 1945 में हुआ था. उनकी पढ़ाई सामान्य रही और शुरू में राजनीति से उनका कोई सीधा नाता नहीं था. उनकी शादी बांग्लादेश के पूर्व राष्ट्रपति और सेना प्रमुख जियाउर रहमान से हुई. जियाउर रहमान की हत्या के बाद खालिदा जिया की जिंदगी पूरी तरह बदल गई. पति की मौत के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा और बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) की कमान संभाली.
1991 में बनी पहली महिला प्रधानमंत्री
धीरे-धीरे उन्होंने खुद को एक मजबूत नेता के रूप में साबित किया. 1991 में वह बांग्लादेश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. इसके बाद भी वह कई बार सत्ता में रहीं और लंबे समय तक देश की राजनीति को प्रभावित करती रहीं. उनके कार्यकाल में विकास के साथ-साथ कई विवाद भी सामने आए, लेकिन उनके समर्थक उन्हें एक साहसी और जुझारू नेता मानते हैं. खालिदा जिया का जीवन संघर्ष, सत्ता, आलोचना और नेतृत्व से भरा रहा है. उन्होंने यह दिखाया कि कठिन हालात में भी एक महिला देश की राजनीति में सबसे ऊंचे पद तक पहुंच सकती है.
दूसरी पारी और महिला सशक्तिकरण
2001 में खालिदा जिया ने इस्लामी दलों के गठबंधन के साथ जोरदार वापसी की और संसद में लगभग दो-तिहाई सीटें जीतीं। अपने दूसरे कार्यकाल में उन्होंने संविधान संशोधन कर संसद में महिलाओं के लिए 45 सीटें आरक्षित कीं। उन्होंने युवा महिलाओं की शिक्षा पर विशेष जोर दिया, जबकि उस समय देश में 70 प्रतिशत महिलाएं निरक्षर थीं।
राजनीतिक संकट और गिरफ्तारी
अक्टूबर 2006 में उन्होंने आम चुनाव से पहले प्रधानमंत्री पद छोड़ दिया। लेकिन दंगों और अशांति के बाद सेना ने हस्तक्षेप किया और चुनाव टाल दिए गए। अंतरिम सरकार ने भ्रष्टाचार के खिलाफ व्यापक अभियान चलाया। 2007 में खालिदा जिया को जबरन वसूली और भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। इससे पहले उनकी प्रतिद्वंद्वी शेख हसीना भी गिरफ्तार हो चुकी थीं। दोनों महिलाएं, जो दो दशकों तक सत्ता और विपक्ष में अदला-बदली करती रहीं, अदालतों के चक्कर में फंस गईं।
जेल, बीमारी और सजा
2011 में भ्रष्टाचार निरोधक आयोग ने उन पर अपने पति के नाम पर बने ट्रस्ट के लिए अवैध आय से जमीन खरीदने का आरोप लगाया। 2018 में उन्हें अनाथालय ट्रस्ट के लिए तय 2.52 लाख डॉलर के गबन का दोषी ठहराते हुए पांच साल की सजा सुनाई गई। इस सजा के कारण वे चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गईं। उन्होंने सभी आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताया। बाद में उन्हें गंभीर गठिया, मधुमेह और अन्य बीमारियों के चलते अस्पताल में भर्ती कराया गया और स्वास्थ्य कारणों से रिहा कर दिया गया।
सत्ता परिवर्तन और अंतिम दिन
2024 में शेख हसीना की सरकार जनआक्रोश के चलते गिर गई। सरकारी नौकरियों में आरक्षण के विरोध में हुए आंदोलन के दौरान नागरिकों की हत्या के बाद देशव्यापी विद्रोह हुआ। हसीना भारत भाग गईं और नई अंतरिम सरकार ने खालिदा जिया की रिहाई तथा बैंक खाते खोलने का आदेश दिया। जनवरी 2025 में उन्हें इलाज के लिए लंदन जाने की अनुमति मिली। लेकिन 30 दिसंबर की सुबह, लंबे समय से खराब स्वास्थ्य से जूझने के बाद, ढाका में उनका निधन हो गया। उनके बड़े बेटे तारिक रहमान दिसंबर के अंत में कई वर्षों के निर्वासन के बाद बांग्लादेश लौटे। उन्हें देश का अगला संभावित नेता माना जा रहा है।
राजनीति में एक युग का अंत
खालिदा जिया ने 1991–1996 और 2001–2006 तक प्रधानमंत्री के रूप में देश का नेतृत्व किया। वे बांग्लादेश ही नहीं, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया की सबसे प्रभावशाली महिला नेताओं में गिनी जाती थीं। उनके निधन के साथ ही बांग्लादेश की राजनीति के एक ऐतिहासिक अध्याय का अंत हो गया है।
1971 में जब बांग्लादेश स्वतंत्रता संग्राम चल रहा था, उस समय शेख मुजीबुर रहमान को गिरफ्तार कर लिया गया. इसी दौर में जियाउर रहमान ने रेडियो पर घोषणा की कि वे स्वतंत्र बांग्लादेश की ओर से लड़ रहे हैं. युद्ध समाप्त होने पर रहमान सेना में लौटे और उन्हें उच्च पद मिला. धीरे-धीरे वे राजनीति में भी प्रभावशाली चेहरा बन गए. 1975 में शेख मुजीबुर रहमान और उनके परिवार की हत्या के बाद देश में लगातार तख्तापलट होते रहे.


