बिहार में साइबर अपराध पर नकेल कसने को EOU की नई इंटेलिजेंस यूनिट, इन चीजों पर हुआ एक्शन

बिहार में साइबर अपराध पर नकेल कसने को EOU की नई इंटेलिजेंस यूनिट, इन चीजों पर हुआ एक्शन

श्रीनारद मीडिया, स्‍टेट डेस्‍क:

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बिहार में तेजी से बढ़ रहे साइबर अपराध की जड़ों पर चोट करने के लिए आर्थिक अपराध इकाई (ईओयू) ने एक अलग आसूचना इकाई (इंटेलिजेंस यूनिट) का गठन किया है। यह यूनिट परंपरागत अनुसंधान से अलग, साइबर अपराधियों और उनके नेटवर्क से जुड़ी खुफिया सूचनाएं जुटाकर त्वरित और तकनीकी कार्रवाई करने का काम कर रही है। कम समय में इस यूनिट ने साइबर अपराध के पैटर्न का गहन अध्ययन कर कई संगठित गिरोहों पर शिकंजा कसा है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नई इंटेलिजेंस टीम संदिग्ध मोबाइल नंबर, वेबसाइट, यूआरएल और डिजिटल ट्रांजैक्शन को ट्रैक करते हुए साइबर अपराध के मूल स्रोत तक पहुंचने में जुटी है।

 

दूरसंचार कंपनियों के सहयोग से अब तक साइबर अपराध में इस्तेमाल हो रहे करीब 9300 मोबाइल नंबर और लगभग 4000 आईएमईआई नंबर को ब्लॉक कराया जा चुका है। इससे अपराधियों की संचार व्यवस्था को बड़ा झटका लगा है और कई मामलों में ठगी की श्रृंखला को समय रहते तोड़ा गया है। इंटेलिजेंस यूनिट की सक्रियता से सिम बॉक्स जैसे गंभीर मामलों का भी खुलासा हुआ है, जिनमें अंतरराष्ट्रीय कॉल को स्थानीय कॉल में बदलकर साइबर ठगी को अंजाम दिया जा रहा था। इसके अलावा फर्जी वेबसाइट बनाकर आम नागरिकों के व्यक्तिगत और बैंकिंग डेटा की चोरी करने वाले गिरोहों का भी पर्दाफाश किया गया है। इन कार्रवाइयों से यह साफ है कि ईओयू की यह नई इकाई केवल प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि प्रो-एक्टिव रणनीति के तहत काम कर रही है। साइबर अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई में ईओयू की आसूचना इकाई को ‘प्रतिबिंब’ पोर्टल से भी अहम मदद मिल रही है।

यह पोर्टल केंद्रीय गृह मंत्रालय के आई4सी (Indian Cyber Crime Coordination Centre) के सहयोग से लॉन्च किया गया एक जीआईएस आधारित सॉफ्टवेयर मॉड्यूल है। प्रतिबिंब, राष्ट्रीय साइबर क्राइम पोर्टल पर दर्ज ऑनलाइन शिकायतों के आधार पर अपराधियों की पहचान, लोकेशन और नेटवर्क को ट्रैक करने में पुलिस और कानून प्रवर्तन एजेंसियों की मदद करता है। इसी तकनीकी सहयोग और मोबाइल नंबरों के गहन विश्लेषण के आधार पर ईओयू ने ‘साइबर प्रहार’ के तहत विशेष अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान 171 साइबर अपराधियों की गिरफ्तारी की गई। वहीं, ईओयू मुख्यालय की टीम ने इस साल राज्य के साइबर थानों में करीब 5600 से अधिक कांड भेजे हैं, जिनमें संलिप्त एक हजार से अधिक साइबर अपराधियों को गिरफ्तार किया जा चुका है। यह आंकड़े बताते हैं कि राज्य में साइबर अपराध के खिलाफ कार्रवाई अब संगठित और परिणामोन्मुख हो रही है

बिहार पुलिस के आंकड़ों के मुताबिक, इस साल नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल (एनसीआरपी) पर राज्य से साइबर अपराध से जुड़ी 24.38 लाख कॉल प्राप्त हुईं। इनमें साइबर ठगी की 1.10 लाख शिकायतें दर्ज की गईं। इसके अलावा सोशल मीडिया और अन्य साइबर अपराधों से संबंधित 24,100 से अधिक ऑनलाइन शिकायतों पर भी संज्ञान लिया गया। साइबर ठगी के मामलों में अब तक करीब 500 करोड़ रुपये की ठगी का आकलन किया गया है। राहत की बात यह है कि त्वरित कार्रवाई से 106.30 करोड़ रुपये की राशि संदिग्ध खातों में ही होल्ड करा ली गई। हालांकि, तकनीकी और प्रक्रियात्मक कारणों से इस साल अब तक केवल 7.36 करोड़ रुपये ही पीड़ितों को वापस कराए जा सके हैं।कुल मिलाकर, ईओयू की नई इंटेलिजेंस यूनिट और तकनीकी प्लेटफॉर्म्स के सहयोग से बिहार में साइबर अपराध के खिलाफ लड़ाई को नई धार मिली है। आने वाले समय में इससे न सिर्फ अपराधियों पर लगाम लगेगी, बल्कि आम लोगों का डिजिटल सिस्टम पर भरोसा भी मजबूत होगा।

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