विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थानों को स्वपोषित बनाने के लिए विधेयक संसद में लाया जा रहा है

विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थानों को स्वपोषित बनाने के लिए विधेयक संसद में लाया जा रहा है

श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क

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एकल उच्च शिक्षा नियामक की स्थापना के लिए विधेयक अगले सप्ताह संसद में पेश किया जा सकता है। केंद्रीय मंत्रिमंडल से इसे शुक्रवार को ही मंजूरी मिल गई है। विश्वविद्यालयों और अन्य उच्च शैक्षणिक संस्थानों को स्वतंत्र और स्वपोषित बनाने के लिए आवश्यक है।

इस प्रस्तावित कानून को पहले उच्च शिक्षा आयोग (एचईसीआई) विधेयक के नाम से जाना जाता था, लेकिन अब इसका नाम विकसित भारत शिक्षा अधिक्षण नियम रखा गया है। एकल उच्च शिक्षा नियामक, जिसे नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) में प्रस्तावित किया गया था, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी), अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद (एआइसीटीई) और राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) को प्रतिस्थापित करेगा।

क्या है विधेयक का उद्देश्य?

एक अधिकारी ने कहा- ”विधेयक का उद्देश्य उच्च शिक्षा आयोग की स्थापना करना है ताकि विश्वविद्यालय और अन्य उच्च शैक्षणिक संस्थान स्वतंत्र और स्वशासित संस्थान बन सकें और एक मजबूत और पारदर्शी मान्यता और स्वायत्तता प्रणाली के माध्यम से उत्कृष्टता को बढ़ावा दिया जा सके।”

यूजीसी गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा क्षेत्र की, जबकि एआईसीटीई तकनीकी शिक्षा की देखरेख करती है और एनसीटीई शिक्षकों की शिक्षा के लिए नियामक निकाय है। मेडिकल-लॉ कॉलेज दायरे में नहीं प्रस्तावित आयोग को उच्च शिक्षा के एकल नियामक के रूप में स्थापित किया जाएगा, लेकिन मेडिकल और लॉ कॉलेज इसके दायरे में नहीं आएंगे।

इसके तीन प्रमुख कार्य प्रस्तावित हैं-विनियमन, मान्यता और व्यावसायिक मानक निर्धारण। वित्त पोषण, जिसे चौथा क्षेत्र माना जाता है, अभी तक नियामक के अधीन प्रस्तावित नहीं है। वित्त पोषण की स्वायत्तता प्रशासनिक मंत्रालय के पास प्रस्तावित है। — कोयले से जुड़ी सुधार नीति को मंजूरी केंद्रीय कैबिनेट ने कोयला लिंकेज नीति में सुधार और कोल-एसईटीयू को नीतिगत मंजूरी दे दी है।

अधिकारियों के अनुसार, जिन कानूनों को हटाने का प्रस्ताव है, उनमें एक ब्रिटिश काल का कानून भी शामिल है। एक अधिकारी ने कहा कि इस विधेयक का उद्देश्य औपनिवेशिक कानूनों को निशाना बनाना नहीं, बल्कि उन अधिनियमों को हटाना है जिनकी अब कोई उपयोगिता नहीं रही।

विश्वविद्यालयों के शिक्षकों ने इसका विरोध करना शुरू कर दिया है। उनका आरोप है कि सरकार इस आयोग के जरिए उच्च शिक्षा व सार्वजनिक विश्वविद्यालयों का निजीकरण करना चाहती है। सरकार का कहना है कि उच्च शिक्षा, अनुसंधान तथा वैज्ञानिक और तकनीकी संस्थानों में समन्वय स्थापित करने और मानक निर्धारित करने के लिए इस आयोग की स्थापना की जानी है।

कौन से कॉलेज होंगे दायरे बाहर?

हालांकि, यूजीसी वर्तमान में देश में गैर-तकनीकी उच्च शिक्षा की देखरेख करता है, एआइसीटीई तकनीकी शिक्षा की देखरेख करता है, जबकि एनसीटीई शिक्षकों की शिक्षा के लिए नियामक निकाय है। आयोग को एकल उच्च शिक्षा नियामक के रूप में स्थापित करने का प्रस्ताव है, लेकिन चिकित्सा और लॉ कालेजों को इसके दायरे में नहीं लाया जाएगा।

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