जीविका आश्रम में बसंतोत्सव और भारतीय जीवनशैली पर शिविर का होगा आयोजन

जीविका आश्रम में बसंतोत्सव, आश्रम मित्र-मिलन और भारतीय जीवनशैली पर शिविर का होगा आयोजन

ग्रामीण जीवनशैली विषयक तीन-दिवसीय आवासीय व्यवहारिक शिविर, 3-4-5 फरवरी, 2025

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श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


वर्तमान में हम भारतीयों की स्थिति त्रिशंकु जैसी है। भले ही रीति-रिवाजों या कर्मकाण्डों के पालन में कुछ घरों में कुछ हद तक भारतीयता बाकी हो, लेकिन शेष विचार, व्यवहार और व्यवस्थायें सभी अ-भारतीय बन गई हैं, या अतिशीघ्र बनती जा रही हैं । हमारी पहचान भी ‘इंडिया, दैट इज/वाज ग्रेट’ वाली हो गई है।

यह अ-भारतीय सोच ही है कि अब हम ‘कर्तव्यों’ के पालन में विश्वास नहीं रखते हैं, बल्कि ‘अधिकारों’ के प्रति ही हमारा आग्रह है। अब हमारे ‘कुटुम्ब’ नहीं होते, ‘फेमिली’ होती है, और हम दो, और हम पर निर्भर एक या दो बच्चे। विवाह भी अब ‘संस्कार’ न होकर, ‘एग्रीमेंट’ हो गए हैं। ‘पुनर्जन्म’ में अब हमारा विश्वास नहीं है। जीवन के हर पहलू में ‘सामाजिकता’ के स्थान पर ‘व्यक्तिवादिता’ हावी हो रही है।

हमारे ग्राम भी अब ‘स्वावलंबी ग्राम’ न होकर ‘स्मार्ट विलेज’ बन गए हैं, जो और कुछ नहीं बल्कि आजकल के शहरों के ही छोटे स्वरूप होते जा रहे हैं, एक तरह के ‘मिनी शहर’ जैसे। आजकल लोगों की एक बड़ी जमात गाँव की ओर आकर बसने लगी है, पर सोच में समग्रता न होने के कारण वे भी जानबूझकर या अनजाने में ही सही, हमारे गाँवों को शहर बनाते चल रहे हैं। बहुत अच्छी नीयत वाले लोग भी ज्यादा से ज्यादा ‘गाँव की समस्याओं’ को ‘शहर की समस्याओं’ से बदलने की दिशा में ही कार्य कर पा रहे हैं।
गत पीढ़ियों की अ-भारतीय शिक्षा ने हमारे जीवन की ओर देखने की दृष्टि को अ-भारतीय बना दिया है। फलस्वरूप जितना अधिक हम पढ़ जाते हैं, भारतीयता से दूरी बढ़ती जाती है। हमारी युनिवर्सिटियों के नीति-नियंताओं में भारतीय दृष्टि का अभाव स्पष्ट झलकता है। जानकारी संकलित करने में महारत भलेही ही यूरो-अमरीकी लोगों को है, पर दृष्टि तो उनकी विखन्डित, स्वार्थ/मानव केन्द्रित, जड़वादी और इहवादी ही है। वहीं जीवन की ओर देखने की भारतीय दृष्टि तो चिर काल से ‘सर्वे भवन्तु सुखिनः’ वाली रही है।

इस पृष्ठभूमि में, तीन-दिवसीय इस आवासीय शिविर का उद्देश्य प्रतिभागियों को भारतीय जीवनशैली के कुछ सैद्धांतिक, पर विशेषकर कुछ व्यवहारिक पहलुओं से पुनः परिचय (स्मृति-जागरण) कराने का है। प्रतिभागियों से अपेक्षा है कि तीन-दिवसीय इस शिविर के दौरान, वे अपने-अपने व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में किए जा सकने वाले कुछ कार्यों को चिन्हित कर पायेंगे। शिविर के सूत्र संयुक्त रूप से प्रतिभागियों एवं कुछ ऐसे व्यक्तियों के हाथ में होंगे, जो बहुत हद तक जीवनशैली के इन पहलुओं को अपने जीवन में लागू कर चुके हैं, या उस ओर प्रयासरत हैं।

 तीन दिन का यह आवासीय शिविर 3 फरवरी, 2025 से 5 फरवरी, 2025 तक है।
शिविर से एक दिन पूर्व, यानि 2 फरवरी 2025 को जीविका आश्रम अपना वार्षिक बसंतोत्सव एवं आश्रम मित्र-मिलन समारोह मना रहा है। प्रतिभागियों से अपेक्षा है कि वे शिविर से एक दिन पूर्व, यानि 2 फरवरी, 2025 को ही अपनी सुविधानुसार शिविर स्थल पर पहुँच जायें, एवं वहाँ चल रहे वार्षिक बसंतोत्सव एवं आश्रम मित्र-मिलन समारोह का आनन्द लें।
शिविर का समापन तृतीय दिवस यानि 5 फरवरी, 2025 के दोपहर भोजन-पूर्व हो जायेगा। उसी अनुसार, प्रतिभागी अपनी वापसी आरक्षित कर सकते हैं।

शिविर स्थल: तीन दिन का यह शिविर, प्रकृति की गोद में प्राकृतिक सौन्दर्य से परिपूर्ण स्थल ‘जीविका आश्रम’ में आयोजित हो रहा है। यह आश्रम मध्यप्रदेश राज्य के जबलपुर शहर से लगभग 30 किलोमीटर की दूरी पर, विन्ध्य पर्वतश्रृंखला की सुरम्य वादियों में, तीन ओर पर्वतों से घिरे हुए इन्द्राना गाँव में स्थित है।
जीविका आश्रम, व्यक्तिगत, पारिवारिक एवं सामाजिक जीवन में वैकल्पिक भारतीय-ग्रामीण-जीवनशैली के विभिन्न पहलुओं पर वृहत प्रयोगधर्मी पहल है। शिविर स्थल के बारे विस्तृत जानकारी इस लिंक पर प्राप्त की जा सकती है – https://linktr.ee/jeevikaashram

शिविर परिचय:
तीन-दिवसीय इस शिविर में भारतीय जीवनशैली के कुछ सैद्धांतिक, पर मुख्यतः कुछ व्यवहारिक पहलुओं पर विशेष ध्यान दिया जायेगा। शिविर स्थल में होने वाले चर्चा-सत्रों के साथ-साथ, गाँव में विभिन्न तरह के भ्रमण, जैसे गाँव-भ्रमण, खेत-भ्रमण, नदी-जंगल-पहाड़-भ्रमण, कारीगरी-भ्रमण और उस दौरान होने वाली चर्चाओं, आदि के माध्यम से जीवनशैली के व्यवहारिक पहलुओं को छूने का प्रयास किया जायेगा। इसके अतिरिक्त, जीविका आश्रम में पिछले कुछ वर्षों से इस तरह की जीवनशैली को अपनाते हुये रहने का प्रयास कर रहे परिवारों के अनुभव भी वृहत प्रतिभागी वर्ग के साथ साझा किये जायेंगे।

विशेष सूचना:
ठण्ड का मौसम होने एवं शिविर-स्थल के जंगल से लगे होने के कारण ठण्ड का अहसास ज्यादा होता है। प्रतिभागी अपने एवं बच्चों के लिये यथोचित गर्म कपड़े साथ लेकर आयें। रात्रि में सोने के लिए स्वच्छ कम्बल/रजाई, आदि आश्रम में उपलब्ध रहेंगे ।  प्रतिभागी अपने साथ अपने और बच्चों के लिए किसी प्रकार के चिप्स, चॉकलेट एवं अन्य पैकेट-बंद जंक फूड, आदि लेकर आने से बचें ।

शिविर शुल्क / सहयोग राशि —
जीविका आश्रम और इसकी सभी गतिविधियाँ एवं कार्यक्रम, भारतीय ग्राम व्यवस्थाओं के अध्ययन, शोध एवं उसके प्रचार-प्रसार की दृष्टि से संचालित हो रहे हैं। आश्रम या इसका कोई भी कार्यक्रम व्यावसायिक उद्यम नहीं है। जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में भारतीय विकल्पों की खोज में लगा यह आश्रम, अपने रख-रखाव, आदि के लिए भी भारतीय व्यवस्थाओं में विश्वास रखता है। इसीलिए, यह व्यापारिक या व्यवसायिक दृष्टि से संचालित न होकर, ‘सहयोग की अर्थव्यवस्था’ से संचालित हो रहा है, और मुख्य रूप से अपने अतिथियों, संरक्षकों से प्राप्त (समय, धन और ऊर्जा के) योगदान पर ही चल रहा है।
इसी क्रम में आयोजित होने वाले इस शिविर में आपकी भागीदारी निशुल्क है। आप शिविर पूर्ण होने के उपरान्त, गुरु-दक्षिणा स्वरूप, स्वेच्छानुसार जो भी सहयोग, जिस किसी रूप मे देना चाहें, दे सकते हैं।

पंजीयन:
भले ही शिविर पूर्णतः निशुल्क / स्वैच्छिक सहयोग पर आधारित है, पर आयोजन की दृष्टि से शिविर में भागीदारी के लिए पंजीयन कराना आवश्यक है। संचालन की दृष्टि से शिविर में ‘प्रथम आयें, प्रथम पायें’ के आधार पर कुल 40 प्रतिभागियों का पंजीयन ही संभव है।
सम्पर्क:
शिविर के संबंध में अधिक जानकारी के लिए आप निम्न नम्बरों पर सम्पर्क कर सकते हैं:
श्री संदीप साहू – +91 79999 86327
श्री आशीष गुप्ता – 9425325659
इसके अतिरिक्त आप जीविका आश्रम की वेबसाईट (https://linktr.ee/jeevikaashram) और इसके फेस्बूक, गूगल और यूट्यूब, आदि सोशल मीडिया हैन्डल्स भी विज़िट कर सकते हैं

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